Tarantaran Fake Encounter: 16 पुलिस मुलाजिमों पर आरोप तय, एक सबूतों के अभाव में बरी
अदालत में उन 16 पुलिस मुलाजिमों के खिलाफ आरोप तय किए हैं जिन्होंने अक्टूबर 1993 में 17 साल के किशोर का अपहरण कर उसे बाद में मुठभेड़ के दौरान मार दिया था।
जाएगा संवाददाता, मोहाली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की विशेष अदालत के स्पेशल जज एनएस गिल ने बुधवार को 1993 में तरनतारन में हुए फेक एनकाउंटर मामले में पंजाब पुलिस के 16 मुलाजिमों के खिलाफ आरोप तय किए हैं। वहीं इस मामले में नामजद एक पुलिस मुलाजिम गुरशरन सिंह बेदी को सबूतों के अभाव के चलते बरी किया गया है। नामजद आरोपितों के खिलाफ एक मई से ट्रायल शुरू किया जाएगा।
अदालत ने क्राइम इनवेस्टीगेशन एजेंसी (सीआइए) तरनतारन व पंजाब पुलिस के उन 16 पुलिस मुलाजिमों के खिलाफ आरोप तय किए हैं जिन्होंने अक्टूबर 1993 में 17 साल के किशोर का अपहरण कर उसे बाद में मुठभेड़ के दौरान मार दिया था। इसे बाद में एनकाउंटर साबित करने की कोशिश की गई थी। यह एनकाउंटर अदालत में फर्जी साबित हुआ। जिक्रयोग है कि जिन आरोपितों के खिलाफ अपहरण व हत्या का मामला दर्ज हुआ था उनमें इंस्पेक्टर संत कुमार, शमशेर सिंह, गुरनाम सिंह, इकबाल सिंह, गुरसेवक सिंह, अमरजीत सिंह, ब्रह्म दास, सुरजीत सिंह, राम सिंह, बलदेव सिंह, जगपाल सिंह, नरेंद्रपाल सुखदेव सिंह व सतीश कुमार के नाम शामिल हैं।
सीबीआई ने दी अदालत में यह दलील
सीबीआइ ने अदालत में कहा कि सीआइए स्टाफ तरनतारन व बरनाला पुलिस ने 2 अक्टूबर 1993 को गुरप्रताप सिंह (17) निवासी तरनतारन का अपहरण किया था जिसे 22 नवंबर 1993 को एक मुठभेड़ के दौरान मार दिया गया। पुलिस ने हिरासत में रखे जाने के दौरान गुरप्रताप पर चार मामले दर्ज किए थे। पुलिस ने दावा किया था कि 22 नवंबर, 1993 को जब वे उसे रिकवरी की पूछताछ के लिए लेकर जा रहे थे तब उसने भागने की कोशिश की और एनकाउंटर में वह मारा गया। सीबीआइ ने पुलिस की इस थ्योरी पर ध्यान दिया तो पुलिस का कोई भी जवाब सही निकला। मामला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्देशों पर सीबीआइ को ट्रांसफर किया गया था।