गवाह को घर में आकर गोली मारने वाले हमलावरों का 15 दिन बाद भी नहीं कोई सुराग Chandigarh News
कुम्हार बीर सिंह का परिवार वारदात के बाद से इतना सहम चुका है कि हर वक्त दहशत के साये में दरवाजे बंद रखता है। जान-पहचान वाले के लिए ही घर का दरवाजा खोला जाता है ।
मोहाली, जेएनएन। गांव कुंभड़ा में 18 अक्टूबर को सुबह साढ़े छह बजे कुम्हार बीर सिंह के घर में घुसकर उसे जान से मारने की नीयत से गोलियां चलाने वाले मनीष प्रभाकर व उसके साथी राजविंदर सिंह उर्फ राजू का 15 दिन गुजर जाने के बाद भी पुलिस कोई सुराग नहीं जुटा पाई है। दूसरी तरफ कुम्हार बीर सिंह का परिवार वारदात के बाद से इतना सहम चुका है कि हर वक्त दहशत के साये में दरवाजे बंद रखता है। जान-पहचान वाले के लिए ही दरवाजा खोला जाता है ताकि उनके परिवार पर दोबारा से कोई हमला न हो जाए। हैरानी की बात तो यह है कि पुलिस की ओर से इस परिवार को अब तक कोई भी सिक्योरिटी मुहैया नहीं करवाई गई है।
जागरण टीम द्वारा जब उनके परिवार से बात करने की कोशिश की गई तो परिवार की आंखों में पुलिस से भरोसा उठने की बात कहकर आंसू बहने लगे। उन्होंने कहा कि पुलिस चाहे तो हमलावरों को तुरंत पकड़ सकती थी परंतु उन्हें पकड़ना तो दूर पुलिस अब तक उनका सुराग तक नहीं जुटा पाई है।
अभी तक नहीं निकली बीर सिंह के शरीर से गोली
बीर सिंह के बेटे कमल ने बताया कि उनके पिता के शरीर पर दो गोलियां लगी थी जबकि तीसरी गोली छू कर निकल गई थी। एक गोली कंधे पर और दूसरी पिछली तरफ जांघ पर लगी थी। कमल ने बताया कि उसके पिता के कंधे में लगी गोली को डॉक्टरों ने निकाल लिया है जबकि जांघ में फंसी गोली अभी तक नहीं निकाली गई है। डॉक्टरों का कहना है कि बीर सिंह इस स्थिति में नहीं है कि उसका दूसरा ऑपरेशन किया जाए। बीर सिंह को छुट्टी के बाद घर पर भेज दिया है। डॉक्टरों ने कहा है कि उनके शरीर को इप्रूवमेंट की जरूरत है जिसके बाद ही दूसरा ऑपरेशन किया जाएगा। बीर सिंह अभी कुछ बोल नहीं पा रहा है और बेसुध है। उसके एक हाथ को कोहनी तक पट्टियों से ढका हुआ है और नाक में पाइप डली हुई है।
अब कार्रवाई करवाने से डर लगता है
बीर सिंह का पूरा परिवार काफी दहशत में है। बेटे कमल का कहना है कि मेरे पिता ने एक बार गवाह बनकर नतीजा भुगत लिया। हम तो मिट्टी के बर्तन बनाकर घर का गुजारा करते हैं। अब कार्रवाई करवाने से भी डर लगता है। मैं व मेरा परिवार घर पर अकेला रहता है। अगर दोबारा आकर गोली मार देगा तो मेरा परिवार ही उजड़ जाएगा। मेरे पिता बड़ी मुश्किल से बचे हैं जिन्हें मैं खोने से बचा हूं। पर अब मैं उन्हें दोबारा खोना नहीं चाहता। जो दोस्त का कत्ल करने के बाद फिर से कत्ल करने की सोच सकता है, उसे दोबारा वारदात करने में किस बात का डर। हमें कौन सा पुलिस ने सिक्योरिटी दे रखी है। जिक्रयोग है कि इस मामले में बीर सिंह के भतीजे की गवाही हो चुकी है जो आज भी कुंभड़ा लाइटों पर दुकान लगा रहा है। उसकी सिक्योरिटी का भी पुलिस ने कोई बंदोबस्त नहीं किया हुआ।
दोस्त की सरेआम मनीष ने गोली मारकर ली थी जान
जिक्रयोग है कि 10 अक्टूबर 2015 को मनीष प्रभाकर चंडीगढ़ पासपोर्ट ऑफिस आया था। वापस जाते समय उसने कुंभड़ा लाइटों पर कुम्हार बीर सिंह की मिट्टी के बर्तन की दुकान पर नशे की हालत में अपने दोस्त हरप्रीत सिंह की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने उस समय कुम्हार बीर सिंह के बयानों पर मनीष के खिलाफ 302 का मामला दर्ज किया था। इस मामले में बीर सिंह मुख्य गवाह था। 18 अक्टूबर को मनीष प्रभाकर ने अपने साथी के साथ बीर सिंह के घर में घुसकर उस पर गोलियां चला दी थी। गनीमत यह रही कि इस हमले में बीर सिंह बच गया। पुलिस ने इस मामले में मनीष प्रभाकर व उसके दोस्त के खिलाफ इरादा-ए-कत्ल का मामला दर्ज किया हुआ है।
अपराधियों को पकड़ने की पूरी कोशिश की जा रही है। लोकेशन ट्रेस होते ही छापामारी भी की जा रही है। ऐसा नहीं है कि पुलिस कुछ नहीं कर रही। पुलिस परिवार की हर तरह की मदद कर रही है। अगर परिवार को सिक्योरिटी की जरूरत है तो वे एप्रोच कर सकती हैं।
-शिवदीप, एसएचओ, फेज-8, मोहाली