मई में 100 मेगावाट बिजली की खपत और बढ़ेगी, इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट के छूटे पसीने
पारा लगातार बढ़ रहा है। 41 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। तापमान बढ़ने के साथ ही शहर में बिजली की खपत भी तेजी से बढ़ गई है।
By Edited By: Published: Tue, 30 Apr 2019 11:17 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2019 11:11 AM (IST)
बलवान करिवाल, चंडीगढ़। पारा लगातार बढ़ रहा है। 41 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। तापमान बढ़ने के साथ ही शहर में बिजली की खपत भी तेजी से बढ़ गई है। 15 मई तक शहर में बिजली की मांग सीधे 100 मेगावाट तक बढ़ने वाली है। गर्मी बढ़ने से एसी दिन रात चलने लगे हैं। जिस कारण बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। अप्रैल के आखिर तक बिजली की खपत 300 से 320 मेगावाट तक थी। जो मई शुरू होते ही निरंतर बढ़ेगी। अभी तक सर्वाधिक 410 मेगावाट बिजली की खपत एक दिन की रही है। दो साल पहले बिजली खपत ने यह नया रिकॉर्ड कायम किया था। पीक ऑवर्स में यह रिकॉर्ड बना था। 15 मई के आसपास उमस भी बढ़ने लगेगी। जिसमें एसी का चलन और ज्यादा बढ़ जाता है। जिस तरह से साल 2019 में तापमान तेजी से बढ़ रहा है। उसने इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट के पसीने छुड़ा दिए हैं। डिपार्टमेंट बिजली की मांग पूरी करने के लिए अभी से माथापच्ची में जुटा है। अतिरिक्त 100 मेगावाट बिजली की आपूर्ति के लिए कुछ बिजली एक्सचेंज में खरीदी जाएगी। जबकि बाकी रोजाना मार्केट में बिडिंग के बाद खरीदी जाएगी।
जेईआरसी ने लगाई थी फटकार
ज्वाइंट इलेक्ट्रीसिटी रेगुलेटरी कमीशन (जेईआरसी) के चेयरमैन ने हियरिंग के दौरान पिछले साल यूटी इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट को जमकर फटकार लगाई थी। यह फटकार बिजली टेंडर कॉल कर खरीदने के बजाय रोजाना बिडिंग से खरीदने पर लगाई थी। बावजूद इसके इस बार भी इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट ने अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया है। डिपार्टमेंट इस बार भी बिजली बिना टेंडर किए सीधे मार्केट से डेली बेसिस के रेट पर ही खरीदेगा। इससे सरकारी खजाने को तो नुकसान पहुंचेगा ही, साथ में बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है। एलईडी और सोलर एनर्जी बड़ा सहारा उजाला स्कीम के तहत अधिकतर घरों में बल्ब की जगह एलईडी ने ले ली है। जिस घर में पहले 10 बल्ब 1 हजार वाट बिजली लेते थे, अब एलईडी बल्ब महज 100 वाट भी नहीं ले रहे हैं। घरों के साथ नगर निगम सभी स्ट्रीट लाइट्स को भी एलईडी में तब्दील किया है। जिससे रोजाना कई मेगावाट बिजली बच रही है। बिजली बचाने का दूसरा सबसे बड़ा कारण सोलर एनर्जी बन रही है। चंडीगढ़ में सभी गवर्नमेंट, निजी बिल्डिंग्स और घरों से 26 मेगावाट सोलर एनर्जी उत्पन्न हो रही है। जो इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट को राहत पहुंचा रही है।
जेईआरसी ने लगाई थी फटकार
ज्वाइंट इलेक्ट्रीसिटी रेगुलेटरी कमीशन (जेईआरसी) के चेयरमैन ने हियरिंग के दौरान पिछले साल यूटी इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट को जमकर फटकार लगाई थी। यह फटकार बिजली टेंडर कॉल कर खरीदने के बजाय रोजाना बिडिंग से खरीदने पर लगाई थी। बावजूद इसके इस बार भी इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट ने अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया है। डिपार्टमेंट इस बार भी बिजली बिना टेंडर किए सीधे मार्केट से डेली बेसिस के रेट पर ही खरीदेगा। इससे सरकारी खजाने को तो नुकसान पहुंचेगा ही, साथ में बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है। एलईडी और सोलर एनर्जी बड़ा सहारा उजाला स्कीम के तहत अधिकतर घरों में बल्ब की जगह एलईडी ने ले ली है। जिस घर में पहले 10 बल्ब 1 हजार वाट बिजली लेते थे, अब एलईडी बल्ब महज 100 वाट भी नहीं ले रहे हैं। घरों के साथ नगर निगम सभी स्ट्रीट लाइट्स को भी एलईडी में तब्दील किया है। जिससे रोजाना कई मेगावाट बिजली बच रही है। बिजली बचाने का दूसरा सबसे बड़ा कारण सोलर एनर्जी बन रही है। चंडीगढ़ में सभी गवर्नमेंट, निजी बिल्डिंग्स और घरों से 26 मेगावाट सोलर एनर्जी उत्पन्न हो रही है। जो इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट को राहत पहुंचा रही है।
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