विजेता बनाने वाले कोच आज खुद बैठे हैं बेरोजगार
कोरोना महामारी के कारण खेल गतिविधियां बंद हैं। न कोई मैच हो रहे हैं और न ही ट्रेनिग सेशन आयोजित किए जा रहे हैं।
संस, बठिडा : कोरोना महामारी के कारण खेल गतिविधियां बंद हैं। न कोई मैच हो रहे हैं और न ही ट्रेनिग सेशन आयोजित किए जा रहे हैं। ऐसे में खिलाड़ियों को ट्रेंड करने वाले कोच, मैच रैफरी, अंपायर और मैदान कर्मियों के आगे भी रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। वह भी कोरोना के दौर में आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
जिले में स्पोर्ट्स गतिविधियां बंद है। जिम भी बंद है। इसलिए अब सभी गेम्स के कोच को मंदी का सामना करना पड़ा रहा है। इस समय किसी को काम नहीं मिल रहा। सरकार ने भी अभी तक किसी भी प्रकार की खेल गतिविधि की करवाने की इजाजत नहीं दी है। अब सवाल है कि कोच करें तो क्या करें। जिस कोच ने लोगों को विजेता बनाया, इस समय वह भी बेरोजगार बैठा है। इनमें से कुछ कोच तो ऐसे है कि जोकि केवल खेल मैदान पर ही निर्भर है। उनका जीवन ही मैच होने या ट्रेनिग पर ही निर्भर करता है। स्कूल बंद होने के कारण नहीं करवा रहे ट्रेनिग
इस समय स्कूल सभी शिक्षक संस्थान भी बंद है। पहले कोच ज्यादातर बच्चों को उनके स्कूलों में जाकर कोचिग देते हैं। यह कोचिग गेम्स के टाइम पर दी जाती थी, लेकिन कोरोना वायरस के कारण अब कोई भी विद्यार्थी कोचिग नहीं ले रहा। इस कारण सभी कोच फ्री बैठे हैं। इस कारण उनको अपना घर का गुजारा करना भी मुश्किल हो गया है।
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परिवार का पेट पालना हुआ मुश्किल
हमें इस समय बड़ी मुश्किल से घर का गुजारा करना पड़ रहा है। सरकार की तरफ से गेम्स न करवाए जाने के कारण हम लोग बिल्कुल फ्री हैं। हमारे जीवन में खेल का काफी महत्व है। मैंने काफी बच्चों को जिम्नास्टिक के गुर सिखाए हैं, लेकिन अब काम न होने के कारण परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो गया है।
जसवीर सिंह, जिम्नास्टिक कोच
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सरकार करे मदद
मैं स्कूल में बच्चों को स्केटिग सिखाता हूं। छोटे बच्चे भी स्केटिग सीखते हैं। इस वर्ष हमारा कांट्रेक्ट भी रीन्यू नहीं हो पाया। इसलिए न हमें स्कूल की तरफ से पैसे मिले न ही किसी भी प्रकार सरकार से मदद मिली है। बिल्कुल बेरोजगार बैठे हैं। सरकार को भी चाहिए की गेम्स के लिए सोचे। सिखाने वाले कोच की मदद करें।
मनदीप सिंह, स्केटिग कोच