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गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने का नियम लागू करने में विफल रहा नगर निगम

नगर निगम का कूड़ा उठाने का तंत्र तो मजबूत हो ही साथ ही नागरिक भी इसे स्वछ रखना अपनी जिम्मेदारी समझें।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 03:08 AM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 03:08 AM (IST)
गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने का नियम लागू करने में विफल रहा नगर निगम
गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने का नियम लागू करने में विफल रहा नगर निगम

जागरण संवाददाता, बठिंडा: शहर स्वच्छ रहे इसके लिए जरूरी है कि नगर निगम का कूड़ा उठाने का तंत्र तो मजबूत हो ही, साथ ही नागरिक भी इसे स्वच्छ रखना अपनी जिम्मेदारी समझें। उन्हें यह समझना होगा कि जिस तरह वे अपना घर साफ रखते हैं उसी तरह अपनी गली व मोहल्ले साफ रखने होंगे। हालांकि, निगम के 53 टिप्पर डोर-टू-डोर कचरा उठा रहे हैं, लेकिन शहरवासी अपने घर से निकलने वाला गीला और सूखा कचरा अलग-अलग देने के बजाय मिक्स कर दे रहे हैं। ऐसे में लोगों को समझना होगा कि अगर हम अपने घर से ही कचरा अलग-अलग करके हम सफाई कर्मियों को देंगे, तभी बठिडा अगले साल होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में फिर से प्रथम स्थान हासिल कर पाएगा। कचरा निस्तारण के लिए 2400 में से मिले सिर्फ 1640 अंक

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कचरा एकत्र करने के दौरान यह काफी जरूरी है कि गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्र किया जाए। जैविक कचरे की खाद बनाई जा सकती है व प्लास्टिक व अन्य कचरे को रिसाइकिल किया जा सकता है। इसे लागू कराने में बठिडा नगर निगम फिसड्डी साबित हो रहा है। इसके लिए योजनाएं तो बनी पर जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन सही से नहीं हो पाया है। बठिडा शहर का एक भी ऐसा वार्ड या एरिया नहीं जहां यह व्यवस्था पूरी तरह लागू हो पाई हो। नगर निगम आम जन को अलग-अलग कचरा देने का महत्व समझाने में सफल नहीं हो पाया है। यही कारण है कि कचरा एकत्र एवं निस्तारण के लिए 2400 अंकों के आधार पर हुए परीक्षण में निगम को 1640 अंक पर संतोष करना पड़ा। गार्बेज फ्री सिटी नहीं बन सका बठिडा

घरों से कचरा इकट्ठा करने वाले वाहनों में गीले और सूखे कूड़े के लिए अलग-अलग बाक्स हैं, इसके बावजूद इनका निस्तारण सही से नहीं होता है। डोर-टू-डोर कचरा एकत्र करने का काम पहले सालिड वेस्ट प्लांट चलाने वाली जेआइटीएफ कंपनी द्वारा किया जाता था, लेकिन निगम व कंपनी के बीच टिपिग फीस को लेकर हुए विवाद के बाद निगम ने यह काम अपने हाथों में ले लिया था। इसके चलते निगम ने 53 नए टिप्पर खरीदकरकचरा उठाने का काम शुरू किया था। इसके बावजूद बठिडा कचरा फ्री सिटी नहीं बन सका। ज्यादा दिन तक नहीं चल सका जागरूक अभियान

स्वच्छता रैंकिग-2020 में 10 लाख वाली जनसंख्या वाले शहरों में बठिडा का आल इंडिया पर 79वां रैंक आया था। इसके बाद जागरूकता अभियान तेज हुआ। बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चला। कोरोना संक्रमण के प्रभाव बढ़ने के बाद यह अभियान ठंडे बस्ते में चला गया। लोगों पर अलग-अलग कचरा देने के लिए दबाव बनाया गया था। 50 वार्ड सहित सभी घरों के लोगों को गीला-सूखा कचरा अलग-अलग देने के लिए जागरूक किया गया और लोगों को दो-दो डस्टबिन भी बांटे गए , लेकिन यह सब ज्यादा दिन नहीं दिन चल सका।

नागरिक बठिडा को स्वच्छ बनाने में सहयोग दें गीला-सूखा कचरा अपने घरों में अलग-अलग रखें और डोर-टू-डोर वाहन को उपलब्ध कराएं। दोनों तरह का कचरा एक में मिलाकर देने से उसकी प्रोसेसिंग में परेशानी होती है। सभी कचरा उत्पादन स्थल किचन से ही सूख-गीला कचरा अलग-अलग करके डोर-टू-डोर वाहन में देने की अपील की जा रही है। इंदौर के लोग सजग हैं, यहां के लोगों को भी सजग बनना पड़ेगा। इंदौर की नागरिकों की तरह बठिडा वासी गीला-सूखा कचरा अलग-अलग दें तथा जहां-तहां कचरा न फेंकें।

-पंकज भारद्वाज, प्रधान, समर्थ वैलफेयर सोसायटी बठिडा


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