निगम आफिस में निकाय विभाग की विजीलेंस टीम की दबिश
स्थानीय निकाय विभाग की विभागीय विजीलेंस टीम ने मंगलवार को अचानक नगर निगम कार्यालय में दबिश दी।
सुभाष चंद्र, ब¨ठडा : स्थानीय निकाय विभाग की विभागीय विजीलेंस टीम ने मंगलवार को अचानक नगर निगम कार्यालय में दबिश दी। विभाग के मुख्य विजीलेंस अधिकारी सुदीप मानक की अगुवाई में सीनियर विजीलेंस अधिकारी नीरज भट्टी, विजीलेंस अधिकारी इशान गोयल सहित चार सदस्यीय टीम सुबह ही निगम कार्यालय पहुंच गई और शाम तक बिल्डिंग ब्रांच सहित सड़कों का निर्माण करने वाली बीएंडआर एवं सीवरेज से संबंधित ओएंडएम शाखाओं के अलावा ऑडिट के रिकॉर्ड को खंगालती रही। हालांकि विजीलेंस अधिकारियों ने इस जांच के संबंध में कोई भी जानकारी देने से इंकार कर दिया, लेकिन सूत्रों के अनुसार रिकॉर्ड में बड़ी खामियां पाई गई हैं। खासकर विभिन्न फीसों के पैसे के लेन-देन और कैश बुक्स का रिकॉर्ड अधूरा पाया गया है। इसके लिए ऑडिट शाखा के कर्मचारियों की न केवल क्लास लगाई गई, बल्कि तमाम रिकॉर्ड पूरा करके एक-दो दिन में चंडीगढ़ कार्यालय भी तलब किया गया है। विजीलेंस टीम ने इस दौरान 40 से अधिक शिकायतों के रिकॉर्ड की पड़ताल की। काफी शिकायतों से संबंधित फाइलों की फोटो स्टेट कॉपियां विजीलेंस के अधिकारी अपने साथ भी ले गए हैं।
बि¨ल्डग ब्रांच से संबंधित करीब 15 शिकायतों की पड़ताल टीम ने अवैध इमारतों के निर्माण तथा निगम अधिकारियों की ओर से बीते दिनों विभिन्न इमारतों पर की गई कार्रवाई से संबंधित शिकायतों की भी पड़ताल की। इसमें डॉ. संजय, निर्वाणा अस्पताल आदि की ओर से की गई शिकायतें भी शामिल हैं। पड़ताल की सभी शिकायतें संबंधित लोगों की ओर से सीधे विजीलेंस को ही की गई हैं। टीम ने ऐसी लगभग 15 शिकायतों की पड़ताल की है। विजीलेंस ने पिछले समय के दौरान कई शिकायतें के मांगे स्पष्टीकरण का कोई जवाब न भेजने को लेकर भी अधिकारियों से जवाब तलबी की। इमारतों के पिछले तीन साल में पास किए गए नक्शे देखे
विजीलेंस टीम की ओर से निगम अधिकारियों द्वारा पिछले तीन सालों में पास किए विभिन्न इमारतों के नक्शे भी देखे। पहले उन्होंने एक वर्ष के नक्शे ही देखे थे, लेकिन मौके पर पिछले तीन सालों में पास किए गए नक्शों को भी मंगवा लिया। इस दौरान खासकर सिक्स कैटेगरी के नक्शों को चेक किया गया। टीम ने इसमें भी काफी कमियां पाई हैं। इसके अलावा निगम की बीएंडआर शाखा की ओर से पिछले सालों के दौरान निर्माण की गई सड़कों का रिकॉर्ड भी गहनता के साथ खंगाला है।
ग्रीन सिटी और कृष्णा कॉलोनी में जाकर किया निरीक्षण
विजीलेंस अधिकारियों ने खासकर शहर की मुख्य कॉलोनी ग्रीन सिटी और कृष्णा कॉलोनी में खुद जाकर हासिल हुई शिकायतों की जांच की। इन कॉलोनियों से संबंधित शिकायतें आरटीआइ एक्टीविस्ट रंजीव गोयल की ओर से की गई थी। इसकी मुख्यमंत्री कार्यालय भी पड़ताल के आदेश दे चुका है। गौरतलब है कि नगर निगम जहां ग्रीन सिटी कॉलोनी को टेकओवर करना चाहता है, वहीं कृष्णा कॉलोनी में लाखों रुपये की लागत के साथ सड़कों के निर्माण के अलावा स्ट्रीट लाइटस भी लगाना चाहता है। इस संबंध में निगम की ओर से दो बार हाउस की बैठक में प्रस्ताव डाले जा चुके हैं। लेकिन दोनों बार ही विवादों के चलते स्थगित रख दिया है। शिकायतकर्ता ने ग्रीन सिटी कॉलोनी के मामले में नियमों को ताक पर रखकर इसके निर्माण का आरोप लगाया है। उसके अनुसार कॉलोनी का निर्माण छावनी की 12 सौ मीटर की प्रतिबंधित सीमा के अंदर किया हुआ है। जबकि कृष्णा कॉलोनी में अभी विकास करने की कोई जरूरत नहीं है। परंतु दोनों कॉलोनियों के मामले में निगम अधिकारी कॉलोनाइजर्स को लाभ पहुंचाने के लिए यह सब करने की कोशिश कर रहे हैं। आरोप है कि इसमें नगर निगम पर शासित अकाली-भाजपा गठबंधन के पदाधिकारियों व तत्कालीन निगम कमिश्नर ने अपनी निजी हित भी जुड़े हुए हैं। विजीलेंस टीम ने छावनी व ग्रीन सिटी कॉलोनी की सीमा को भी चेक किया।