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टोनी बातिश कला मेला शुरू, सुबह नाटक तो शाम को सूफी संगीत

शुक्रवार को सरकारी राजिदरा कॉलेज में शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 12:00 AM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 06:12 AM (IST)
टोनी बातिश कला मेला शुरू, सुबह नाटक तो शाम को सूफी संगीत
टोनी बातिश कला मेला शुरू, सुबह नाटक तो शाम को सूफी संगीत

जागरण संवाददाता, बठिडा : वीनस आर्ट थियेटर का तीन दिवसीय टोनी बातिश कला मेला गुरप्रीत आर्टिस्ट की अगुआई में शुक्रवार को सरकारी राजिदरा कॉलेज में शुरू हो गया है। इस मेले में प्रदेश स्तर के साहित्यकार व नाट्यकार पहुंचे। मेले का आगाज पुस्तक प्रदर्शनी के उद्घाटन से हुआ। पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्यअतिथि के तौर पर पहुंचे बाबा फरीद ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन गुरमीत सिंह धालीवाल, सरकारी राजिदरा कॉलेज के प्रिसिपल ज्योति प्रकाश, वाइस प्रिसिपल सुरजीत सिंह व डॉ. गुरजीत सिंह मान की ओर से किया गया।

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मेले में नुक्कड़ नाटक खेलने के लिए जब सर्वजीत स्वामी ने डबली बजाई तो उनकी चारों ओर दर्शक भारी संख्या में जमा हो गए। उन्होंने नाटक में मलिक के किरदार को उजागर किया। नुक्कड़ नाटक को देख कर गुरमीत सिंह धालीवाल, प्रिसिपल ज्योति प्रकाश, डॉ. गुरजीत सिंह मान, प्रो. सुरजीत सिंह, प्रो. जगजीवन कौर, प्रो. परमजीत सिंह रोमाणा तालियां बजाए बिना नहीं रह पाए। पुस्तक प्रदर्शनी में लगी 35 स्टॉलें

मेले के पंडाल में चारों ओर पुस्तक प्रदर्शनी की स्टॉलें लगी हुई हैं। इन 35 स्टॉलों में में हर प्रकार की पुस्तक उपलब्ध है। प्रदेश भर के बड़े प्रकाशक मेले में पहुंचे हुए हैं। लक्खी जंगल प्रकाशन के मालिक लाभ सिंह संधू ने कहा कि युवाओं का किताबों से मोह भंग होता जा रहा है। ऐसे मेले लगने से वे किताबों के रूबरू होंगे। बठिडा में टोनी बातिश की याद में कला मेले की शुरुआत की जानी अच्छा कदम है। सूफी संगीत से शाम हो गई सुहानी

शाम के समय उत्सव सूफी रंग में रंगा गया। मेले की सूफी शाम में गायक सलीम सिकंदर व रजा हीर ने अपने गीतों से फिजाओं में अपने मीठे स्वर बिखेर दिए। दर्शक अभी रजा हीर के गीतों की और मांग कर रहे थे कि नाटक का समय हो गया। लेकिन दर्शकों दिल अभी सूफियत से बाहर आने को नहीं कर रहा था। वेटिग फॉर गोदो का मंचन

इंसान की जिदंगी में उम्मीद और इंतजार कभी भी खत्म नहीं होता। आखिरी सांस लेने से पहले भी इंसान के मन में भाव होता है कि उसे कोई कार्य पूरा करना है। इसको जीवत रूप देते हुए कुलवीर मलिक की निर्देशन में नाटक वेटिग फॉर गोदो का टोनी बातिश कला उत्सव में मंचन किया गया। नाटक में मुख्य पांच पात्र हैं, जोकि दो एपिसोड में सामने आते हैं। दोनों एपिसोड में मात्र इंतजार दिखाया गया है लेकिन बातें बदल गई है। नाटक का आरंभ फ्रांस की पृष्ठभूमि में किया गया। दो नौजवान ब्लादीमीर और ईस्तात्रां बोर्न एक स्थान पर बैठे है और बातें कर रहे है। उन्हें लग रहा है कि वह सब हकीकत में हो रहा था लेकिन वह हकीकत नहीं होती। बातें करते-करते वह सपनों में खो जाते हैं, जहां पर वह अपने भविष्य को देखते है। सपनों में जाने के बाद दोनों के सीन अलग-अलग हो जाते हैं कोई कहीं घूमता हुआ दिखता है तो कोई मस्ती करता हुआ दिखता है। सपनों में जाने के बाद वह अलग-अलग पात्रों से मिलते है। कुछ देर के बाद जब दूसरा एपिसोड शुरू होता है तो वह दोनों ही फिर से बातें करते हुए दिखते हैं। जब वह बात करते है तो एक पात्र उनके सामने आता है, जिसे एक पहचान लेता है, जबकि दूसरा इन्कार कर देता है और कहता है कि उस पात्र से वह कभी मिला ही नहीं। फिर वही पर वह दोनों अपने सपनों मे खो जाते हैं। नाटक के अंत में दिखाया जाता है कि दोनों ही सपने में होते हुए किसी पात्र से मिलते है। एक इंसान को एक अनुभूति एक बार में होती है तो दूसरे को दूसरे समय में होती है। रात के समय डॉ. स्वामी सरवजीत की निर्देशन में नाटक सूही सवेर का मंचन किया गया। इस मौके पर मुख्यअतिथि के तौर पर प्रिसिपल ज्योति प्रकाश ने शिरकत की जबकि डॉ. अमृत सेठी,डॉ. कशिश गुप्ता व राजीव अरोड़ा ने विशेष मेहमानों के तौर पर शिरकत की। आज बाबा बेली का बिखेरेंगे सूफी संगीत की छटा

मेले के दूसरे दिन शनिवार को बाबा बेली व अहन वानी बातिश की ओर से शाम को सूफी संगीत पेश किया जाएगा जबकि नाटक फिरदौस का मंचन प्रो. दविदर सिंह की ओर से शाम को किया जाएगा।इस मौके पर बठिडा के एसएसपी डॉ. नानक सिंह मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे दिन के समय पर्दाफाश, अर्श से फर्श तक, व नारको टेस्ट नुक्कड़ नाटक खेले जाएंगे। प्रो. परमजीत सिंह रोमाना ने अध्यापकों,छात्रों,कलाकारों व लेखकों का मेले में पहुंचने पर आभार व्यक्त किया। इस मौके पर पंजाबी साहित्य सभा के प्रधान जसपाल मानखेड़ा, जगविदर सिद्धू,टोनी बातिश के बेटे रूपक बातिश,साहित्यकार सुरेश हंस,तुषार फिरान आदि मौजूद थे। कला मेले सराहनीय प्रयास : धालीवाल ऐसे कला मेले लगते रहने चाहिए ताकि युवाओं को साहित्य के साथ जोड़ा जा सके। इंटरनेट के तेज रफ्तार युग में युवाओं को साहित्य के साथ जोड़ा जाना बहुत जरूरी है। साहित्य से जीवन जांच आती है। मेला आयोजकों का प्रयास बेहद सराहनीय है।

गुरमीत सिंह धालीवाल,एमडी,बाबा फरीद ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस


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