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सिविल लाइंस क्लब मामले में जेल में बंद संत बलजीत सिंह दादूवाल के पुराने केस किए रिओपन

सिविल लाइन क्लब मामले में कपूरथला जेल में बंद संत बलजीत सिंह दादूवाल को जेल में बंद रखने के लिए सरकार ने प्रयास आरंभ दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 12:15 AM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 12:15 AM (IST)
सिविल लाइंस क्लब मामले में जेल में बंद संत बलजीत सिंह दादूवाल के पुराने केस किए रिओपन
सिविल लाइंस क्लब मामले में जेल में बंद संत बलजीत सिंह दादूवाल के पुराने केस किए रिओपन

गुरप्रेम लहरी, बठिडा

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सिविल लाइन क्लब मामले में कपूरथला जेल में बंद संत बलजीत सिंह दादूवाल को जेल में बंद रखने के लिए सरकार ने प्रयास आरंभ दिए हैं। सरकार उन्हें बाहर नहीं आने देना चाहती। इसके चलते उससे संबंधित पुराने केसों को रीओपन किया जा रहा है। संत बलजीत सिंह दादूवाल को गत दिवस बठिडा के सिविल लाइंस क्लब विवाद में गिरफ्तार कर कपूरथला जेल में भेज दिया गया था। न्यायिक हिरासत खत्म होने को है तो संत दादूवाल को जेल में बंद रखने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। इसके मद्देनजर ही उन्हें मंगलवार को बठिडा पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर बठिडा लेकर आई थी, लेकिन सिविल जज हरजोत सिंह की अदालत ने पुलिस की अपील को यह बोल कर रद कर दिया कि इस केस में संत दादूवाल को बुलाना कोई जरूरी नहीं। इस लिए दादूवाल से खतरा

बठिडा के सिविल लाइंस क्लब का संत दादूवाल को सरपरस्त नियुक्त किया गया है। सरप्रस्त नियुक्त करने के बाद उन्होंने श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश उत्सव के मद्देनजर क्लब में धार्मिक समागम के आयोजन एलान किया था। इसके बाद क्लब पर काबिज कांग्रेस गुट को हाथों पैरों की पड़ गई और उनको क्लब अपने हाथों से जाता हुआ नजर आया। उनकी ओर से संत दादूवाल को उलझाने के लिए पुराने केसों को रीओपन कराया जा रहा है। संत दादूवाल पर दर्ज हैं 13 मामले

संत बलजीत सिंह दादूवाल पर कुल 13 मामले दर्ज हैं। इनमें अन्य अपराधों के अलावा गांव बल्लूआणा में हुई झड़प के तहत इरादा कत्ल का केस दर्ज किया गया था। हालांकि ये मामले पुराने हैं, लेकिन अब उनको रीओपन करने की तैयारी की जा रही है। क्लब से बाहर करने की तैयारी

भले ही उनको सिविल लाइन क्लब कासरपरस्त नियुक्त किया गया था। लेकिन क्लब कमेटी में कांग्रेसी नेताओं का दबदबा होने के कारण जिला प्रशासन के साथ मिलकर संत बलजीत सिंह दादूवाल को क्लब से दूर करने के प्रयास किए गए। क्लब से धारा 145 हटाना भी इन्हीं प्रयासों की कड़ी में शामिल है।


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