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मीडिया साक्षरता अनुसंधान का उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता प्राप्त करना : प्रो. मनीषा

पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के जनसंचार और मीडिया अध्ययन विभाग ने कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में क्रिटिकल मीडिया लिटरेसी विषय पर वेबिनार का आयोजन किया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 03:51 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 09:48 PM (IST)
मीडिया साक्षरता अनुसंधान का उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता प्राप्त करना : प्रो. मनीषा
मीडिया साक्षरता अनुसंधान का उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता प्राप्त करना : प्रो. मनीषा

संस, बठिडा : पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के जनसंचार और मीडिया अध्ययन विभाग ने कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में क्रिटिकल मीडिया लिटरेसी विषय पर वेबिनार का आयोजन किया। इसके विशेषज्ञ वक्ता प्रो. मनीषा पाठक-शैलेट, विकास प्रबंधन और संचार केंद्र, एमआइसीए, अहमदाबाद और किरण विनोद भाटिया, शोधार्थी, पत्रकारिता और जनसंचार स्कूल, विस्कान्सिन-मेडिसन विश्वविद्यालय यूएसए रहे।

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कार्यक्रम की शुरुआत में जनसंचार व मीडिया अध्ययन विभाग की प्रभारी डा. छवि गर्ग के स्वागत भाषण के साथ हुई। जहां उन्होंने विभाग की उपलब्धि पर प्रकाश डाला। विशेषज्ञ वक्ताओं का परिचय देते हुए मीडिया लिटरेसी ट्रेनर व सहायक प्रोफेसर डा. रूबल कनौजिया ने बताया कि दोनों वक्ताओं ने मीडिया साक्षरता अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। वहीं मुख्य वक्ता प्रो. मनीषा पाठक-शैलेट ने कहा कि प्रत्येक शोध कार्य का एक उद्देश्य होता है और मीडिया साक्षरता अनुसंधान का उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता प्राप्त करना है।

उन्होंने अपने व्याख्यान में उनकी पुस्तक किशोरों में धार्मिक सामाजीकरण की भेदभावपूर्ण प्रथाओं की चुनौती, क्रिटिकल मीडिया लिटरेसी और शिक्षा शास्त्र व्यवहार का सार प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि हमारे शोध अध्ययन ने हमें धार्मिक भेदभाव के कारकों की पहचान करने में मदद की है, जो समाज में धार्मिक-विभाजन का कारण बनते हैं। मीडिया साक्षरता हमारे समाज को न केवल फर्जी समाचारों की पहचान करने के लिए बल्कि बनावटी समाचार को पहचानने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। किरण विनोद भाटिया ने शोध कार्य के दौरान गांवों में बच्चों और शिक्षकों के साथ काम करने के अपने अनुभवों को सांझा करते हुए बताया कि शोध पद्धति शोधकर्ता को जमीनी स्तर पर लोगों के बीच खुद को शामिल करने और जमीनी वास्तविकता को समझने की अवसर प्रदान करती है। दोनों शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि समाज में बदलाव लाना मुश्किल है, लेकिन शोधकर्ताओं के इस दिशा में प्रयास निश्चित रूप से एक शांतिपूर्ण समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अंत में डा. परमवीर सिंह और डा. महेश मीणा ने विद्वत्तापूर्ण व्याख्यान के लिए विशेषज्ञ वक्ताओं के प्रति आभार प्रकट किया और विश्वविद्यालय संकाय और छात्रों को वेबिनार में उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया।


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