कारगिल शहीद की मां मनरेगा मजदूर
गांव कुसला निवासी सिपाही निर्मल सिंह की मां जगीर कौर आज मनरेगा मजदूर बनकर मजदूरी कर रही है।
नानक सिंह खुरमी, मानसा : कारगिल युद्ध में बलिदान देने वाले गांव कुसला निवासी सिपाही निर्मल सिंह की मां जगीर कौर आज मनरेगा मजदूर बनकर मजदूरी कर रही है। इस मां का बेटा देश के लिए कुर्बान हो गया, लेकिन शहीद की मां की ओर ध्यान नहीं दिया गया है।
गांव शहीद निर्मल सिंह का बुत लगा है जो बताता है कि इसी गांव बेटे ने देश के लिए शहादत दी, लेकिन मां इसी गांव में मजदूरी कर रही है।
सिख लाइट इंफेंट्री में तैनात निर्मल सिंह देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर गए। उनकी मां आज भी मजदूर बनकर काम कर रही हैं।
बलिदानी की 80 वर्षीय मां जगीर कौर अकेले ही रहती हैं।
निर्मल सिंह की शहादत के बाद उसकी पत्नी ने सरकार से मिलने वाली राशि को लेकर किसी व्यक्ति से शादी कर ली। उसने जागीर कौर को कुछ भी नहीं दिया। इसके बाद से ही शहीद की मां एक छोटे से टूटे कमरे में अपना जीवन बसर कर रही है। वह गांव में मनरेगा मजदूरी कर अपना पेट पाल रही हैं।
जागीर कौर के चार बेटे व और दो बेटियां और हैं। चारों बेटे गांव में ही रहते हैं। बेटियों की शादी हो गई है। जागीर कौर कहती है कि वह अपने बेटों पर बोझ नहीं बनना चाहती हैं। इसलिए वह अकेले अलग रह रही हैं।
कुसला गांव के सरपंच मनजीत सिंह ने बताया कि गांव में एक एनजीओ के सदस्य जागीर कौर की सहायता करने के लिए समय-समय पर आते हैं, वही निरवैर खालसा एड भी मदद करती है।
विधायक दिलराज सिंह भूंदड़ ने कहा कि भले ही उक्त शहीद की पत्नी उसका साथ छोड़कर कहीं चली गई हो, मगर वह सरकार से इस बारे में बात करेंगे। जिससे बुजुर्ग महिला की सहायता हो सके।
डीसी महेंद्र पाल गुप्ता ने कहा कि इस बारे में एसडीएम सरदूलगढ़ की ड्यूटी लगाई जा रही है। वह जांच कर रिपोर्ट देंगे। एसडीएम बुधवार को गांव में जाएंगे।