गुणों को जागृत करते हैं नवकार महामंत्र के पांच पद: डा. राजेंद्र मुनि
हमारा मन व तन इनके प्रति नमस्कार भाव से जागृत होता है।
संस, बठिडा: जैन सभा प्रवचन हाल में डा. राजेंद्र मुनि ने नवकार महामंत्र के पंचम पद नमो, लोए, सव्व, साहू और नम की व्याख्या करते हुए कहा कि साधु ,मुनि, महात्मा, गुरु, साधक ये शब्द प्राय एक-सा अर्थ रखते हैं, जिनमे गुणों का आभास होता है। हमारा मन व तन इनके प्रति नमस्कार भाव से जागृत होता है।
उन्होंने कहा कि संसार में कुछ पवित्र उत्तम शब्दावली होती है, जो अध्यात्म की प्रेरणा प्रदान करती है। उन्हीं शब्दों में नवकार मंत्र की ये पांच पदावली, जिनमें अरिहंत, सिद्ध ,आचार्य, उपाध्याय और साधु शब्द है, जिनका स्मरण मात्र पापों का क्षय व पुण्यों का शुभ उदय होता है। हमारी जीवन चर्या अधिकांश पाप मय कार्यों में व्यतीत होती है। कुछ क्षण धर्म स्थान मंदिर, गुरुद्वारा, गिरजाघर या मस्जिद जाने आने पर मन में पवित्र भाव उत्पन्न होते हैं। अगर ये शुभ भाव प्रतिपल क्षण-क्षण बने रह जाएं तो पापों का आवागमन संपूर्णत: समाप्त हो सकता है। साधु का संबंध गुणों के साथ है, जिनकी भावनाएं हमेशा पवित्र रहती हैं। जो अहिसा, सत्य, क्षमा, अचोयर्य ब्रह्माचार्य, अपरिग्रह, शाकाहार, रात्रि भोजन का त्याग कर निर्वयसन जीवन जीता है एवं संसार के समस्त जीवों को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करता हो, जो हमारे लिए आदर्श पूज्यनीय हो, वही सच्चा साधु सज्जन पुरुष कहलाता है। नवकार मंत्र के द्वारा भगवान महावीर ने जीवन को परम शुद्ध बनाने का संदेश दिया है। आवश्यकता है वर्तमान समय में इनकी साधना उपासना स्तुति करते रहने की। इनके स्मरण से शरीर के व मन के रोग शोक दूर होते हैं। स्वस्थता पर्सनता की प्राप्ति होती है।
सभा में साहित्यकार सुरेंद्र मुनि द्वारा मंत्र के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुए शुद्ध उच्चारण व महानता का वर्णन विवेचन विधिपूर्वक किया गया। महामंत्री उमेश जैन द्वारा सूचनाएं दी गई। 11अक्टूबर को प्रवचन सभा में संगरिया मंडी से अशोक जैन की पुत्री चेतना जैन का स्वागत कार्यक्रम रखा जाएगा जो महासाध्वी किरण की सेवा में जैन भगवती दीक्षा अंगीकार करने जा रही हैं।