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सबको बराबरी का संदेश देने के प्रोग्राम में काग्रेसी बने वीवीआइपी

श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश उत्सव मौके बठिंडा के किला मुबारक में बड़े प्रोग्राम का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 12:29 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 06:08 AM (IST)
सबको बराबरी का संदेश देने के प्रोग्राम में काग्रेसी बने वीवीआइपी
सबको बराबरी का संदेश देने के प्रोग्राम में काग्रेसी बने वीवीआइपी

जागरण संवाददाता, बठिंडा : श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश उत्सव मौके बठिंडा के किला मुबारक में बड़े प्रोग्राम का आयोजन किया गया। श्री गुरु नानक जी के बराबरी के संदेश देने वाले इस कार्यक्रम में काग्रेसी वीवीआइपी सीटों पर बैठे दिखाई दिए जबकि आम जनता को खड़े होने के लिए भी जगह नहीं मिली।

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गुरु नानक देव जी के 550 वें प्रकाश पर्व को लेकर दिन भर शहर के गुरुद्वारों में कार्यक्रम होते रहे। वहीं देर शाम को जिला प्रशासन की तरफ से किला मुबारक में सूफी नाइट का आयोजन किया गया।

इसमें पंजाब के मशहूर सूफी गायक कंवर ग्रेवाल व सतिंदर सरताज के अलावा पदमश्री सुरजीत पातर विशेष तौर पर शामिल हुए। इस समागम के दौरान दोनों ही गायकों ने अपनी गायकी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इससे पहले सुरजीत पात्र ने लोगों को गुरु नानक देव जी की जीवनी के बारे में बताते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया।

पंडाल में लोग दोनों ही गायकों के आने का इंतजार कर रहे थे, जब पहले कंवर ग्रेवाल पहुंचे तो उन्होंने आते ही गाना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने रंग करतार के कलाम को गाकर बताया कि पंजाब की जवानी नशे के साथ किस प्रकार से बर्बाद हो रही है। पंजाब के दोनों ही गायकों के बठिंडा में आने के कारण किले में उम्मीद से ज्यादा भीड़ जमा हो गई।

जबकि प्रशासन की ओर से यहा पर कुल 5 हजार लोगों के बैठने का प्रबंध किया गया था। इसमें एक हजार कुर्सी तो स्टेज पर वीआईपी के लिए लगाई थी तो बाकी की चार हजार कुर्सी नीचे ओपन में लगाई थी।

वहीं समागम में आने के लिए एंट्री ओपन होने के कारण लोग किले की दीवारों पर भी खड़े हो गए। समागम में ओपन एंट्री होने के कारण हर कोई पहुंच रहा था। मगर यहा पर लगाई गई कुर्सिया भी कम पड़ गई। जबकि प्रशासन की ओर से समागम में 5 हजार लोगों के आने का ही अंदाजा लगाया जा रहा था। ऐसे में समागम स्थल तक पहुंचने के लिए हर कोई एक दूसरे के साथ धक्कामुक्की करता हुआ ही नजर आया। इस कारण कुछ लोगों की आपस में बहस भी हुई, जिनमे झगड़े भी हुए।

समागम को लेकर शाम चार बजे से रात तक किले के आसपास के एक किलोमीटर के एरिया को पूरी तरह से सील रखा गया। वहीं बाजारों में आने वाले वाहनों को पीछे ही रोक दिया गया। जबकि किले में जाने के लिए सिर्फ पैदल वालों को ही एंट्री मिली। इसी प्रकार समागम तक पहुंचने के लिए दिव्याग व बुजुर्ग लोगों के लिए खास प्रबंध किया गया। उनके लिए 40 ई-रिक्शा फायर ब्रिगेड चौक में खड़ी की गई।

एक तरफ कीर्तन तो दूसरी

ओर गूंजते रहे गीत किला मुबारक साहिब में बने गुरुद्वारा साहिब में सुबह से लेकर रात तक कीर्तन चलता रहा जबकि शाम के समय पार्क में सूफी गायकों की ओर से गीत पेश किए गए। इसका काफी लोगों की ओर से विरोध भी किया गया। जुझार सिंह नगर वासी हरमीत सिंह ग्रेवाल ने कहा कि वे अभी-अभी गुरु घर से ही आ रहे हैं। गुरु घर में कीर्तन चल रहा था और पार्क में गीत। यह गुरु साहिब की बेअदबी ही है।

समागम में रही काग्रेसियों की भीड़

- समागम के दौरान काग्रेसी नेता मंच पर आगे आगे रहे। बेशक इसमें वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल मुख्य मेहमान थे। लेकिन अन्य काग्रेस के सीनियर नेताओं ने अपनी शमूलियत को ज्यादा दिखाया।

- समागम के दौरान जब पद्मश्री सुरजीत पातर को सम्मानित करने के लिए जब मनप्रीत बादल के साथ काग्रेस के शहरी प्रधान अरुण वधावन व नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन केके अग्रवाल को बुलाया गया तो वहा पर मंच से मोहन लाल झुंबा व राजन गोयल को मनप्रीत ने कहकर बुलवाया।


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