नगर निगम को मिला स्टे, आज से बंद नहीं हो सकेगा कचरा प्लांट
मानसा रोड पर घनी आबादी के पास चल रहा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट (कचरा प्लांट) आज से बंद नहीं हो सकेगा।
सुभाष चंद्र, ब¨ठडा : मानसा रोड पर घनी आबादी के पास चल रहा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट (कचरा प्लांट) आज से बंद नहीं हो सकेगा। नगर निगम की अपील पर अतिरिक्त जिला सेशन जज पीएस बाजवा की अदालत ने जेआइटीएफ कंपनी के 19 जनवरी को कचरा प्लांट बंद करने के नोटिस को स्टे कर दिया है। अदालत की ओर से यह अल्पकालिक स्टे शुक्रवार की शाम को दिया है। हालांकि इस पर बहस निगम की ओर से पिछले सप्ताह दायर की गई अपील के बाद ही हो गई थी। कचरा प्लांट की शनिवार से बंदी के नोटिस को लेकर सुबह से अत्यंत ¨चता के आलम में घूम रहे निगम अधिकारियों को शाम को इस स्टे के फैसले से बड़ी राहत मिली है। यह अलग बात है कि प्लांट से प्रभावित दो दर्जन से अधिक मोहल्लों के लोग शनिवार की सुबह यह समाचार पढ़ रहे होंगे तो उन्हें मायूसी होगी। वे पिछले दो वर्ष से इस प्लांट को बंद कराने के लिए संघर्षरत हैं।
जेआइटीएफ ने निकाय को भेजा था टर्मिनेशन नोटिस
जेआइटीएफ कंपनी ने पहले बीते नवंबर माह में नगर निगम को कंसलटेशन नोटिस दिया था। लेकिन निगम ने जब कोई उचित जवाब नहीं दिया तो कंपनी ने बीती पांच दिसंबर को स्थानीय निकाय विभाग के डायरेक्टर को टर्मिनेशन नोटिस भेज दिया। जिसमें साफ तौर पर कह दिया गया कि अगर विभाग उनकी शर्तों को पूरा नहीं करता तो उनके करार को रद्द करके उनका हिसाब किताब कर दिया जाए। कंपनी 19 जनवरी को कचरा प्लांट बंद कर देगी। इसका कोई उचित जवाब न मिलने पर कंपनी ने फिर बीती 5 जनवरी को स्थानीय निकाय विभाग के मुख्य सचिव को भी नोटिस भेजा था। कंपनी का कहना है कि स्थानीय सरकार किए करार की शर्तें पूरी करने के लिए बिलकुल गंभीर नहीं है। विभाग ने प्लांट चालू न होने तक उन्हें 300 टन कचरा व प्लांट चालू हो जाने के लिए 500 टन कचरा हर रोज उपलब्ध कराने का करार किया था। सरकार ने यह बात एनजीटी में भी कही थी। लेकिन सरकार ने न तो प्लांट चालू होने से पहले 300 टन कचरा कभी उन्हें उपलब्ध कराया और न ही प्लांट चालू होने के बाद। जबकि जब तक प्रत्येक रोज 500 टन कचरा नहीं मिलता, तब तक यहां पर पावर प्लांट नहीं लग सकता। एनजीटी का कंपनी पर पावर प्लांट लगाने का लगातार दबाव बना हुआ है। स्थानीय निकाय विभाग ने करार में कचरा प्लांट में तैयार की जाने वाली खाद भी बिकवाने में सहयोग करने की बात हुई थी। नगर निगम के अधिकारी कचरा प्लांट में उनकी ओर से तैयार की जा रही खाद भी नहीं बिकवा रहे हैं। इसके अलावा विभाग की ओर से करीब डेढ़ वर्ष से बकाया खड़ी उनकी लगभग सवा दो करोड़ रुपये की देनदारी भी नहीं दी जा रही है।
नोटिस से उड़ी हुई थी निगम अधिकारियों की नींद
जेआइटीएफ कंपनी के 19 जनवरी से प्लांट बंदी के नोटिसों के बाद से नगर निगम के अधिकारियों की नींद उड़ी हुई थी। कभी नई दिल्ली तो कभी चंडीगढ़ निगम अधिकारी वकीलों से सलाह मश्विरा करने के लिए चक्कर काट रहे थे। आखिर निगम अधिकारियों की ओर से स्थानीय कचहरी के वकीलों के साथ इस मामले में राय ली। उधर, निगम अधिकारी लगातार आपस में बैठकें किए जा रहे थे। आखिरकार बीते सप्ताह के अंतिम दिनों ने निगम की ओर से स्थानीय अतिरिक्त जिला सेशन जज पीएस बाजवा की अदालत में अपील दायर कर जेआइटीएफ कंपनी के स्टे करने की मांग की। निगम ने इसमें अपना पक्ष रखते हुए बताया कि कंपनी ने उनके साथ 23 नवंबर 2011 से 20 दिसंबर 2036 तक का 25 साल का करार किया हुआ है। लेकिन कंपनी बहाने बनाकर किसी न किसी तरह से कचरा प्लांट को बंद कर भागना चाह रही है। जबकि करार के अनुसार कंपनी इस तरह से कचरा प्लांट को बंद नहीं कर सकती है। बेशक अपील पर बहस उसी दिन बहस हो गई थी, लेकिन अदालत ने कोई निर्णय नहीं दिया था। शुक्रवार की देर शाम को अदालत ने कंपनी के नोटिस को स्टे कर दिया।
कंपनी खटखटा सकती है कोर्ट का दरवाजा
निगम की अपील पर स्टे के बाद चाहे अगली सुनवाई 29 जनवरी निर्धारित की गई है। लेकिन अदालत की ओर से कंपनी के नोटिस को स्टे करने पर कंपनी के अधिकारियों को लगे गहरे झटके के बाद वे भी चुप नहीं बैठने वाले हैं। कंपनी के दिल्ली स्थित मुख्यालय के अधिकारियों ने ब¨ठडा में डेरा डाला हुआ है। संभवत वे इस आने वाले फैसले को लेकर ही यहां पर तैयारी कर रहे होंगे। संभावना व्यक्त की जा रही है कि कंपनी एक-दो दिनों में स्टे को वोकेट कराने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।