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गांवों में सिमटते जा रहे छप्पड़, जितने बचे वह भी हो रहे बदहाल

गुर¨बदर सोनू, भुच्चो मंडी जिला ब¨ठडा के नथाना ब्लाक के गांवों का लगातार गहरा होता जा रहा भूजल स्त

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 04:39 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 04:39 PM (IST)
गांवों में सिमटते जा रहे छप्पड़, जितने बचे वह भी हो रहे बदहाल
गांवों में सिमटते जा रहे छप्पड़, जितने बचे वह भी हो रहे बदहाल

गुर¨बदर सोनू, भुच्चो मंडी

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जिला ब¨ठडा के नथाना ब्लाक के गांवों का लगातार गहरा होता जा रहा भूजल स्तर लोगों के भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। आने वाले इस खतरे से बचने के लिए पानी की कम उपभोग के साथ पैदा होने वाली फसलें बीजने और पानी बचाने वाले स्त्रोतों को बचाने की सख्त जरूरत है। गाँवों में बनाए गए छप्पड़ जिनमें किसी समय नहरी पानी व बरसातों का पानी जमा करके लोग पशुओं को नहलाने व अन्य जरूरतों को पूरी करते थे, उनकी हालत सुधार उन्हें इस्तेमाल करने योग्य बनाने की आवश्यकता है। सरकारों और गावों की पंचायतों की अनदेखी कारण बहुत से गाँवों में बने पुराने छप्पड़ सिमटते जा रहे हैं जो बचे हैं वह गंदगी से भरे पड़े हैं।

नहरी पानी की सप्लाई न होने और धान की अत्याधिक बुआई के कारण आज पेयजल के लिए भी घर घर मछली लग चुकी हैं। खेतों और घरों में लगी इन मोटरों के कारण भूजल लगातार नीचे को जा रहा है। पिछले दस सालों के मुकाबले पानी की बर्बादी अधिक होने लग पड़ी है। गाँवों के वाटर वक्र्सों को पीने के लिए दी नहरी पानी की सप्लाई बहुत सारे गाँवों में से काफी सालों से बंद पड़ी है जिन गांवों में पानी पहुँचता है, वह भी लोगों की जरूरतों के हिसाब से पूरा नहीं। क्षेत्र के गांव चक्क फतेह ¨सह वाला भूजल स्तर 2006 में 40 फुट पर था, जो आज 75 फुट पर जा चुका है। चक्क बख्तू का भूजल स्तर 40 फुट की गहराई से 70 फुट और जा चुका है। हर साल करना पड़ता बोर गहरा

किसान गुर¨वदर ¨सह व जस¨वदर ¨सह मुताबिक पहले कम गहराई पर निकलने वाला पानी भी पीने योग्य और खेती के लिए भी अच्छा होता था। परंतु आज इस से तीन गुणा गहराई पर मिलने वाला पानी भी न तो पीने योग्य है और न ही फसलों के लिए ठीक है। अपने खेत में मोटर लगाने के लिए बोर करवा रहे चक्क फतेह ¨सह वाला के किसान इकबाल ¨सह ने बताया कि उसके 260 फुट की गहराई पर लगे टयूबवेल का पानी कम मात्रा में और प्रदूषित होने के कारण उसे दोबारा बोर करना पड़ रहा है। छप्पड़ों से करनी होगी गंदे पानी की निकासी

समाजसेवी गुरसेवक सेकी ने कहाकि सरकार को नरमा, गवार व मूँग की दाल आदि फसलों के अच्छे रेट देने पड़ेंगे। तभी किसान धान की बुआई करनी बंद करेंगे। इसी तरह गाँवों में छप्पड़ों में घरों का गंदा पानी डालना बंद करना पड़ेगी। छप्पड़ों के गंदे पानी की निकासी का प्रबंध करके छप्पड़ों को फिर से प्रयोग में लाना होगा। छप्पड़ों से कर रहे हैं गंदे पानी की निकासी

बीडीओ मक्खन ¨सह ने कहा कि छप्पड़ों की खुदाई का काम शुरू हो चुका है जल्दी ही ब्लाक के गाँवों के छप्पड़ों की गंदे पानी की निकासी का प्रबंध करवा कर साफ पानी पड़ता किया जाएगा।


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