मोह में आकर मनुष्य लक्ष्य से हो जाता है भ्रमित :
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से अजीत रोड स्थित आश्रम में साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी, ब¨ठडा : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से अजीत रोड स्थित आश्रम में साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी परमजीत भारती जी ने कहा कि आज प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में किसी न किसी कारण से दुखी हैं। चाहे वो शारीरिक कष्ट हो, मानसिक परेशानी हो या आर्थिक मंदहाली से जूझ रहा हैं। ऐसी परिस्थिति से निकलने के लिए मनुष्य बहुत से बाहरी प्रयास करता हैं। लेकिन निकल नहीं पाता, क्योंकि जब तक हम समस्या की जड़ तक नहीं जाते तब तक हमारी जीवन की उलझने कम होने की बजाए बढ़ती ही जाएगी। इसलिए अगर हम इनसे पूर्ण निजात पाना चाहते हैं तो हमें अध्यात्मिक रूप से जागरूक महापुरुष की शरण को ग्रहण करना होगा। ठीक वैसे ही जैसे युद्ध में मोहग्रस्त हुआ अर्जुन भगवान कृष्ण की शरण लेता हैं। आज अर्जुन जहां एक और धर्म का कार्य करने जा रहा हैं। वहीं सामने जब अपने ही परिजनों को खड़ा पाता है तो मोह में आकर अपने लक्ष्य से भ्रमित हो जाता हैं। भगवान कृष्ण समझाते है, अर्जुन ये लोग जिन्हें तू अपना मित्र कह रहा हैं। सभी अधर्मी लोग है। इसीलिए उठ और धर्म युद्ध कर। ¨कतु आज अर्जुन बाहरी विचारों से समझ नहीं पाया तो उसी कुरुक्षेत्र के मैदान में ही श्री कृष्ण ने अर्जुन के मस्तक पर हाथ रख उसका तीसरा नेत्र खोल दिया और भीतर ईश्वर के ज्योति स्वरूप का दर्शन कर अर्जुन का सारा मोह भंग हो गया। ऐसे ही आज मनुष्य पग पग पर विषय विकारों और दुखों से ¨वचलित होकर हताश निराश होकर बैठ जाता हैं और आज भगवान कृष्ण की भांति हमें भी पूर्ण संत की शरण में जाने की जरुरत हैं जोकि दिव्य चक्षु को खोलकर भीतर प्रभु को दिखा दे। तभी हम अपने जीवन में शाश्वत सुख और आनंद को प्राप्त कर सकते हैं।