गुरु पूर्णिमा : भारी बारिश के बावजूद भक्तों ने किया गुरुओं का सम्मान
मंगलवार को इस वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा मनाई गई इसे गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं।
संस, बठिडा : मंगलवार को इस वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा मनाई गई, इसे गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दौरान शहर के विभिन्न मंदिरों में गुरु पूर्णिमा पर विभिन्न प्रकार के समागम करवाए गए। गुरु पूर्णिमा पर ऐसी मान्यता है कि प्राचीन समय में इसी पूर्णिमा पर महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। इनकी जयंती के अवसर पर ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है और अपने गुरु की पूजा की जाती है। वेद व्यास अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं यानी इनकी कभी मृत्यु नहीं होगी, कभी वृद्ध नहीं होंगे और हर युग में जीवित रहेंगे। महर्षि वेद व्यास को भगवान विष्णु का अवतार भी माना गया है। इनका पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन भी है।
भक्तों ने लिया अपने गुरु का आशीर्वाद
शहर के हाथी वाला मंदिर, बस स्टैंड पर शिव मंदिर, गोडिया मठ, हनुमान मंदिर व शहर के विभिन्न मंदिरों में सहित शहर से लेकर गांव में रह रहे आचार्य व विद्वानों के यहां भी लोग पहुंचकर अपने गुरु का चरण स्पर्श किया और उनसे आशीर्वाद भी लिया। श्रद्धालुओं द्वारा अपने गुरु का सम्मान किया गया। इसके अलावा भक्तों द्वारा व्रत कथा भी की गई। इसके अलावा विभिन्न मंडलियों की ओर से शहर में विभिन्न प्रकार के लंगर भी लगाए गए। साई जी का किया अभिषेक
गुरु पूर्णिमा पर शहर के हाथी वाला मंदिर में सुबह साढ़े सात बजे दूध से साई अभिषेक किया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा बाबा का गुणगान किया गया। शहर में हुई बारिश के बाद भी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली। मंदिर द्वारा बाबा की आरती व स्नान के बाद संकीर्तन किया गया। अंत में मंदिर में भक्तों के लिए अटूट भंडारा किया गया। मंदिर के प्रधान प्रमोद मित्तल, मैनेजर सुरिदर मित्तल व मैनेजमेंट कमेटी के मेंबर भी उपस्थित थे।
प्राचीन शिव मंदिर मैहना चौक में किया हवन
प्राचीन शिव मंदिर मैहना चौक में प्रधान देवेंदर ग्रोवर की प्रधानगी में गुरु पूर्णिमा पर हवन का आयोजन किया गया। इस दौरान भक्तों द्वारा शिव का गुणगान किया गया। शिव पर फल, फूल आदि चढ़ाए गए। मंदिर के देवेंदर ग्रोवर ने बताया कि मंदिर में पूरे महीने संकीर्तन किया जाएगा। वहीं मंदिर के पंडित ने बताया कि सावन के चार सोमवार भक्तों का शिवजी के व्रत रखे जाएंगे। श्री चैतन्य गौड़ीय मठ
में की गई हरी कथा
श्री चैतन्य गौड़ीय मठ में गुरु पूर्णिमा तिथि के उपलक्ष्य में सुबह आठ बजे से लेकर साढे़ नौ बजे तक गुरु पूजा की गई। इस दौरान बताया गया कि गुरु पूर्णिमा तिथि पर आज के दिन वृंदावन में श्री गिरिराज जी की परिक्रमा होती है। जिसमे देश-विदेश से लाखों भक्तों भगवान की परिक्रमा एवं दर्शन करने के लिए पहुंचते है। गौड़ीय मठ में चंद्र ग्रहण के कारण रात को 10 बजेसे लेकर प्रात: 4 बजे तक श्री हरिनाम संकीर्तन किया गया। ग्रंथो में बताया गया है कि ग्रहण के समय भगवान के मंदिर के द्वार भी बंद हो जाते हैं। ग्रहण के समय में भगवान की आरती भी नही की जाती। इसके अलावा पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण भी देखने को मिला। ग्रहण के कारण सभी मंदिरों को शाम साढे चार बजे बंद कर दिया गया। इसके बाद बुधवार साथ सुबह पांच बजे खोला गया।