178 एमएम बारिश से 30 साल का रिकॉर्ड टूटा
तीस साल बाद फिर से जमकर हुई बारिश ने शहर की सभी सड़कों गलियों को तालाब बना दिया।
साहिल गर्ग, बठिडा : बठिडा में मंगलवार को तीस साल बाद फिर से जमकर हुई बारिश ने शहर की सभी सड़कों गलियों को तालाब बना दिया। हालांकि रात के ढाई बजे ही बादल बरसने लगे थे। मगर करीब चार बजे शुरू हुई मूसलधार बारिश ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ने शुरू कर दिए। इसके चलते सुबह दस बजे तक छह घंटे तक ऐसे ही बारिश होती रही। इस कारण बारिश ने पिछले तीस साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया और दोपहर 12 बजे तक 178 से ज्यादा एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। इससे पहले साढ़े आठ बजे तक 130 एमएम बारिश हो गई थी। जबकि अगस्त 2016 में दोपहर से रात तक हुई बारिश को 132 एमएम रिकॉर्ड किया गया था। वहीं मौसम विभाग का कहना है कि आगामी 48 घंटे तक बरसात जारी रहेगी। दूसरी तरफ बारिश के कारण शहर के अधिकांश भागों में मकानों की छतें गिरने लगी, जिनकी समाजसेवी संस्थाओं द्वारा मदद की गई। जबकि आम तौर पर बठिडा में एक साल में 350 एमएम बारिश होती है।
इन इलाकों में भरा पानी
बारिश के कारण शहर के अधिकांश भागों में दिन भर बत्ती गुल रही। इसकी सप्लाई देर रात तक भी ठीक नहीं हो पाई। इसके अलावा मुख्य सड़कों पर पेड़ गिरने से ट्रैफिक प्रभावित हुआ। यही नहीं बरसात के दौरान सिटी के मुख्य डाकघर के आसपास पानी भरने से कर्मचारी भी दिन के समय कई घंटों तक दफ्तर में ही फंसे रहे। जबकि शहर के प्रताप नगर मुख्य सड़क, परसराम नगर, परसराम नगर अंडर ब्रिज के साथ फ्लाई ओवर से परसराम नगर को जाती सड़क, गुरु नानक पुरा, सिरकी बाजार, पावर हाउस रोड, मिनी सचिवालय रोड, माल रोड, गणेश नगर, सौ फुटी रोड, भागू रोड़, नई बस्ती, वीर कालोनी, अमरीक सिंह रोड सहित प्रमुख इलाके पानी में डूबे रहे। सड़कों के किनारे वाहनों की लंबी कतारें लगी तो लोग दो पहिया और चार पहिया वाहनों को धक्का मारकर मैकेनिक की तलाश करते रहे। यहां तक कि शहर की पावर हाऊस रोड व माल रोड को तो बैरीकेड्स लगाकर बंद करना पड़ा और तीन बजे के बाद एनडीआरएफ की टीम पावर हाऊस रोड पर पहुंची। प्रताप नगर में रहने वाले बोनी बाली ने बताया कि बरसात का पानी उनके पूरे घर में जमा हो गया और पूरा फर्नीचर पानी में भीग चुका है। वीर कालोनी में रहने वाले समाज सेवी साधू राम कुसला ने कहा कि बरसात का पानी उनके बैडरूम तक पहुंच गया है।
अफसरों के घर भी पानी से भरे
बठिडा में इतनी ज्यादा बारिश हुई कि अफसरों के घरों में भी पानी भर गया। बठिडा के सिविल लाइन एरिया में आईजी एमएफ फारुखी की कोठी में चार-चार फीट पानी जमा हो गया। उनकी पायलट गाड़ी भी पानी में डूब गई तो एसएसपी के घर से सामान बाहर निकालना पड़ा। इसी प्रकार डीसी बठिडा के निवास के बाहर चार फीट तक पानी जमा हो गया। डीसी के ड्राइंग रूम तक पानी पहुंच गया। जबकि एसएसपी व डीसी के निवास के पास बठिडा प्रेस क्लब चौक पानी में पूरी तरह से डूब चुका है। वहीं इसको लेकर डीसी बठिडा बी श्रीनिवासन ने बताया कि शहर से पानी की निकासी को लेकर काम किया जा रहा है, जिसके तहत जल्द ही लोगों को राहत दी जाएगी। ..इसलिए फेल हुआ शहर का ड्रेनेज सिस्टम
- 22 मोटर पंप एक साथ नहीं चल सके : ड्रेनेज के लिए शहर में लगी 22 मोटर पंप को इसलिए एक साथ नहीं चलाया गया, क्योंकि स्लज कैरियर की क्षमता कम व हालत कमजोर होने से टूटने का है डर। मगर फिर भी स्लज कैरियर टूट ही गया।
- ड्रेनेज जमीन पर हुआ कब्जा : बरसाती पानी के ड्रेनेज के लिए शहर में रखे डीएवी कॉलेज छप्पड़, अमरपुरा बस्ती छप्पड़ और संजय नगर छप्पड़ की अधिकांश जमीन पर कब्जा हो गया।
- त्रिवेणी कंपनी ने शहर की डीसिल्टिंग नहीं की : त्रिवेणी कंपनी को सीवरेज डालने व रखरखाव के लिए 288 करोड़ का कांट्रेक्ट दिया, मगर शहर की डीसिल्टिंग नहीं हुई, सीवरेज बोर्ड भी ठेके पर काम होने से गंभीर नहीं। नतीजा आधे से ज्यादा शहर पानी में डूबा है।
- डिस्पोजल बंद होने से लाइन पार का इलाका डूबा : लाइन पार इलाके में 42 करोड़ से सीवरेज डाला था, राइजिग मेन शुरू न होने से इसका कैनाल कॉलोनी डिस्पोजल 2 साल से बंद पड़ा है, जिससे वह इलाका पानी में डूबा।
सीवरेज पर खर्चे करोड़ों, समाधान फिर भी नहीं
बठिडा में 1983 से लेकर अब तक सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम पर पूर्व कौंसिल से लेकर मौजूदा निगम 250 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च चुकी है। यह खर्च सीवरेज बोर्ड के माध्यम से हुआ। मगर यह रुपया कहां-कहां खर्च हुआ, इसका हिसाब आज तक निगम को सीवरेज बोर्ड ने नहीं दिया। कैग की रिपोर्ट में हर साल इसके लिए एक पैरा और बढ़ जाता है, मगर हिसाब आज तक नहीं मिला। अब 288 करोड़ रुपए से शहर के सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम का रखरखाव और नया सीवरेज डालने का काम त्रिवेणी कंपनी को दिया है। मगर हालात यह है कि शहर में 132 एमएम बारिश से आधे से ज्यादा शहर डूबा हुआ है।
बरसात से घरों की गिरीं छतें
- मां और बेटे हुए जख्मी : नरूआना रोड़ पर एक कमरे की छत गिरने से कमरे में सोए हुए तीन मां बेटे गंभीर जख्मी हो गए। दुर्घटना की सूचना सहारा मुख्यालय में मिलने पर सहारा जनसेवा की लाइफ सेविग ब्रिगेड टीम के हरबंस सिंह, जग्गा सिंह, संदीप गोयल व मनीकर्ण शर्मा तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे, जिन्होंने मलबे में से घायलों को निकाल कर अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में उपचार के लिए पहुंचाया। जिनकी पहचान रवि पुत्र हंसराज, अशोक पुत्र हंसराज व कांता देवी पत्नी हंसराज के तौर पर हुई है।
महिला और बच्चा घायल : अमरपुरा बस्ती गली नंबर 5 में एक मकान की छत गिरने से एक महिला व बच्चा गंभीर जख्मी हो गया। दुर्घटना की सूचना सहारा मुख्यालय में मिलने पर सहारा जनसेवा की लाइफ सेविग ब्रिगेड टीम के मनी शर्मा, हरबंस सिंह व गोलू घटनास्थल पर पहुंचे। जिन्होंने जख्मी महिला प्रीतो कोर पत्नी अजीत सिंह व रवि पुत्र गुरदीप सिंह को गंभीर अवस्था में अस्पताल में पहुंचाया।
- बैंक कॉलोनी में एक जख्मी : बैंक कॉलोनी में एक कमरे की छत गिर जाने से एक व्यक्ति गंभीर जख्मी हो गया। दुर्घटना की सूचना सहारा मुख्यालय में मिलने पर सहारा जनसेवा की लाइफ सेविग ब्रिगेड टीम के हरबंस सिंह व विक्की घटनास्थल पर पहुंचे। जिन्होंने जख्मी व्यक्ति दिलीप कुमार पुत्र बाबू राम को अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में पहुंचाया।
- दीवार गिरने से कार टूटी : बठिडा की मिनी सचिवालय रोड़ पर एक दीवार गिरने से कार टूट गई। हुआ ऐसे कि रोड़ पर कार खड़ी की गई थी। मगर जब बारिश के बाद दीवारें कच्ची तो गई तो हवा चलने से दीवार कार पर गिर गई, जिस कारण कार का नुकसान हो गया।
1988 में हुई थी ज्यादा बारिश
बठिडा में 19 सितंबर 1988 को 130 एमएम बारिश हुई थी। जबकि हर साल बरसात होती है, लेकिन इस बार सबसे ज्यादा बारिश हुई। वहीं मौसम विभाग का मानना है कि 5 जुलाई 2005 को बठिडा में 106 एमएम बारिश हुई थी। यह कुछ हुआ प्रभावित
-- सिरकी बाजार की बैक साइड पानी से घिरे घरों में सहारा जनसेवा की टीम के मेंबर जग्गा सिंह, संदीप गिल व नीतीश कुमार गोलू ने 100 पैकेट दूध व 100 पैकेट ब्रेड के पहुंचाए। उनके द्वारा उन लोगों की मदद की गई, जो पानी के कारण घरों से बाहर नहीं निकल पाए।
- शहर की सारी सड़कें बंद होने के कारण लोगों को वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल था। शहर की मुख्य माल रोड़ व पावर हाऊस रोड़ के बंद होने से शहर में जगह जगह पर ट्रैफिक जाम हो गया। वहीं ऑटो वालों ने भी दस की बजाए 50-50 रुपए किराया वसूल किया।
- भगता भाईका में गौशाला का लैंटर गिर जाने से 32 गोवंश की मौत हो गई जबकि 12 घायल हैं। राहत कार्य अभी चल रहे हैं।
- बठिडा की धोबियाना बस्ती के कच्चे घरों में रहने वाले लोगों की छतें पानी से टपकने लगी, जिनको अपना सामान बाहर निकाल कर रखना पड़ा।
- शहर के सभी बाजार दिन भर बंद रहने से लोग घरों में ही बंद रहे।
- बारिश ज्यादा होने के कारण स्कूलों में बच्चों को छुट्टी की गई। बीपीईओ दफ्तर में भीगी किताबें
गोनियाना मंडी के सरकारी स्कूल में बनाए गए बीपीईओ के दफ्तर में रखा रिकार्ड भीग गया। जबकि यहां पर वह किताबें भी थी, जो आने वाले समय में बच्चों को बांटी जानी थी। मगर बारिश ज्यादा होने के कारण किताबें भीग गई, जिनको बाद में स्कूल अध्यापकों व स्टाफ की मदद के साथ बच्चों द्वारा संभाली गई। वहीं अब बच्चों को बांटी जाने वाली किताबों के सूखने का इंतजार करना पड़ेगा। जिसके बाद ही उनको बच्चों को बांटा जा पाएगा। लेकिन इस कारण कई किताबें खराब भी हो गई।