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इस मानसून में भी बरसाती पानी की निकासी चुनौती, वित्तमंत्री चितित

इस मानसून में भी महानगर से बरसाती पानी की निकासी चुनौती बन गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 11:37 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 06:14 AM (IST)
इस मानसून में भी बरसाती पानी की निकासी चुनौती, वित्तमंत्री चितित
इस मानसून में भी बरसाती पानी की निकासी चुनौती, वित्तमंत्री चितित

सुभाष चंद्र, बठिडा : चार वर्षों से अधर में लटकी पड़ी 1200 एमएम राइजिग मेन के निर्माण पर संकट के बादल अभी तक दूर न हो पाने से नगर निगम से लेकर राज्य सरकार तक के लिए इस मानसून में भी महानगर से बरसाती पानी की निकासी चुनौती बन गया है। एक तो राइजिग मेन के निर्माण का काम बीते दिनों चार दिन शुरू होने के बाद फिर से बंद हो गया और ऊपर से लिसाड़ा ड्रेन को भी हरियाणा में बंद कर दिया गया है। इसे लेकर क्षेत्र के विधायक व वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल गहरे चितित हैं। वित्तमंत्री के लिए चिता की एक बड़ी वजह उनकी अगस्त में महानगर के निगम चुनाव कराने की योजना भी है। निगम के मौजूदा हाउस की समय अवधि आठ मार्च को खत्म हो रही है। एक तो चुनाव के मद्देनजर विकास कार्यों के नाम पर फिलहाल दिखाने को कुछ नहीं है, ऊपर से मानसून में अगर फिर से शहर डूब गया तो कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। मुसीबत से बचने के लिए ही अब उनके निर्देश पर बरसाती पानी की निकासी को जमीनों की तलाश की जा रही है। वक्फ बोर्ड की जमीन एक्वायर की प्रक्रिया शुरू

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निगम ने बरसाती पानी की निकासी लिए कचरा प्लांट व सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पास खाली पड़ी वक्फ बोर्ड की 11 एकड़ जमीन एक्वायर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। निगम ने इसके लिए डीसी बी श्रीनिवासन को पत्र लिख दिया है। यह जमीन को खरीदने के लिए वित्तमंत्री की तरफ से बजट में राशि रखने का प्रावधान किया जा रहा है। निगम अधिकारियों के अनुसार अगर यह जमीन मिल जाती है, जिसके मिलने की पूरी संभावना है तो इसे गहरा करके मुश्किल स्थिति में इसमें पानी छोड़ा जा सकता है। इसके साथ ही शहर के आसपास और जमीनों की तलाश भी शुरू कर दी गई है। स्लज कैरियर के टूटने से हर बार डूब रहा शहर

शहर का बरसाती पानी स्लज कैरियर से लिसाड़ा ड्रेन में फेंका जाता है। लेकिन एक तो अब हरियाणा ने अपने क्षेत्र में इस ड्रेन को बंद कर दिया है, दूसरा करीब 40 वर्ष पुराना स्लज कैरियर खस्ताहाल हो जाने के कारण यह हर मानसून में टूट रहा है। दरार भरने करने के लिए मेन डिस्पोजल बंद करना पड़ता है। जिससे निकासी ठप हो जाती और शहर के निचले हिस्से पानी में डूब जाते हैं। जिनमें सिरकी बाजार, सिविल लाइन एरिया, पावर हाउस रोड, अमरीक सिंह रोड, माल रोड, गणेशा बस्ती, सभी रेलवे अंडरब्रिज, परस राम नगर का इलाका, गोपाल नगर, जनता, वीर कॉलोनी, शक्ति नगर, नई बस्ती, अग्रवाल कॉलोनी, भट्टी रोड, पुराना थाना, गुरू नानकपुरा आदि क्षेत्र प्रमुख हैं। स्लज कैरियर के विकल्प के तौर पर ही 1200 एमएम राइजिग मेन का निर्माण शुरू किया गया था। राइजिग मेन के निर्माण पर संकट के बादल गहर

स्लज कैरियर के साथ-साथ शहर के एसटीपी से लेकर लिसाड़ा ड्रेन तक साढ़े 12 किलोमीटर लंबी राइजिग मेन का निर्माण 2016 शुरू किया गया था। अभी करीब दो किलोमीटर निर्माण ही हुआ था कि किसानों के साथ जमीनी विवाद पैदा हो गया। मामला अदालत में चला गया तो वर्ष 2017 के अंत में कोर्ट के निगम के पक्ष में फैसला सुनाने पर फिर से काम शुरू हुआ। करीब ढाई किलोमीटर और निर्माण होने के बाद नवंबर 2018 में गांव गहरी भागी व जस्सी के किसानों ने काम रोक दिया। किसानों की मांग पर दोबारा निशानदेही का काम होने और प्रशासनिक अधिकारियों के उनकी तसल्ली कराने के बाद करीब 15 दिन पहले फिर से काम शुरू किया गया। लेकिन चार दिन निर्माण चलने के बाद फिर से उन्होंने काम रोक दिया। प्रशासन फिर से किसी तरह किसानों को मनाने में लगा हुआ है। ड्रेन से किसानों की जमीनों को मार का खतरा

लिसाड़ा ड्रेन के हरियाणा में बंद हो जाने से यह सवाल भी खड़ा हो गया कि अगर इसका निर्माण हो भी गया तो आगे निकासी कैसे होगी। हरियाणा में निकासी बंद होने से ड्रेन में पानी ओवरफ्लो होकर पंजाब के किसानों की ही जमीनों को मार कर सकता है। 18 करोड़ की लागत के इस प्रोजेक्ट का अभी 4.8 किमी निर्माण ही हुआ है। जबकि करीब साढ़े सात किमी का निर्माण बाकी है। काम शुरू होने पर भी इसे मुकम्मल होने में एक साल लग जाएगा। निर्माण मुकम्मल होने पर भी अब यह बरसाती पानी की निकासी का स्थायी समाधान नहीं रह गया है। यह केवल आम दिनों में स्लज कैरियर के विकिल्प के तौर पर ही काम आएगी। उधर, निर्माण शुरू होने पर त्रिवेणी कंपनी के साथ भी विवाद खड़ा हो सकता है। चार सालों में प्रोजेक्ट की कॉस्ट काफी बढ़ गई है। कंपनी इसकी कॉस्ट बढ़ाने की मांग कर रही है, परंतु राज्य सरकार बढ़ाने को तैयार नहीं है।


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