पीआरटीसी के बठिंडा डिपो से चोरी हुई तीन मशीनों पर चार साल से काटे जा रहे थे टिकट
पंजाब रोडवेज ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन (पीआरटीसी) को करीब 30 करोड़ रुपये का चूना लगने की आशंका है।
साहिल गर्ग, बठिडा
पंजाब रोडवेज ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन (पीआरटीसी) को करीब 30 करोड़ रुपये का चूना लगने की आशंका है। साल 2018 में बठिंडा डिपो से चोरी हुई टिकट काटने वाली तीन मशीनों के जरिए बड़े स्तर पर घोटाला किया गया। इन मशीनों की चोरी होने की रिपोर्ट तो दर्ज करवा दी गई, लेकिन इन मशीनों को फिर से चालू कर कथित रूप से चार साल से टिकट काटे जा रहे थे। इन टिकटों के पैसे विभाग के खाते में जमा नहीं किए जा रहे थे। यह सब मशीनों का साफ्टवेयर डिलीट करके किया गया। इसी हफ्ते इसका खुलासा होने पर विभागीय जांच भी शुरू हुई और पीआरटीसी हेड आफिस पटियाला के अधिकारियों ने बठिडा डिपो का दौरा कर सारा रिकार्ड और मशीनें जब्त कर ली हैं। हालांकि इस बारे में कोई भी खुलकर नहीं बोल रहा है।
दरअसल, पीआरटीसी बठिडा डिपो की ओर से साल 2018 में टिकट काटने वाली तीन मशीनों के चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। ये मशीनें एडवांस बुकरों (बस स्टैंड के गेट पर कंडक्टर या ड्राइवर को मशीन पकड़ाने वाले) के पास थीं। हालांकि उन्होंने मशीनें चोरी होने पर अपनी बनती जिम्मेदारी के तहत उनकी रकम विभाग के खाते में जमा करवा दी, लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद तीनों मशीनों को फिर से चला दिया गया। इन्हें चलाने से पहले इनके साफ्टवेयर में सारा डाटा डिलीट किया गया, जिसके बाद फिर से बस स्टैंड पर टिकट काटी जाने लगी। करीब पांच दिन पहले इसका पता चलने पर पंजाब रोडवेज पनबस पीआरटीसी कांट्रेक्ट वर्कर यूनियन ने इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट डालकर इसकी जानकारी दी। इसके बाद विभाग के अधिकारियों ने बठिडा डिपो का दौरा भी किया, लेकिन किसी भी तरह की जानकारी देने से इन्कार कर दिया। पता चला है कि चोरी होने वाली तीन मशीनों में से दो मशीनें बठिडा बस स्टैंड पर और तीसरी मशीन चंडीगढ़ के बस स्टैंड पर चल रही थी, जिन्हें विभाग के अधिकारियों ने जब्त कर लिया है। कांट्रैक्ट वर्कर यूनियन ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट डालकर दी जानकारी पंजाब रोडवेज पनबस पीआरटीसी कांट्रैक्ट वर्कर यूनियन की ओर से चोरी की मशीने से टिकट काटने के घोटाले की जानकारी बीते दिनों इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट डालकर दी गई। इसमें कहा गया कि मशीनों के चोरी होने की कहानी झूठी बनाई गई थी। इसी कारण मशीनों को बनती कीमत अदा करवाकर मामले को दबा दिया गया और मशीनों को फिर से चला दिया गया। पोस्ट में लिखा है कि एडवांस बुकर मशीनों से डाक्ट (काटी गई टिकटों की लिस्ट) कंडक्टर या चेकरों को दे देते थे, मगर उनका कैश वे-बिल कैंसिल कर उसमें फिर से नया वे-बिल लोड कर देते थे। चेकिग के दौरान अधिकारियों को एक डाक्ट पर शक हुआ तो पता लगा कि यह डाक्ट 2018 में चोरी हुई मशीन का है। इसके बाद पूरे मामले का खुलासा हो गया। पता चला कि चार साल से उक्त मशीनों से टिकट काटे जा रहे थे, लेकिन कैश जमा नहीं करवाया जा रहा था। पोस्ट के मुताबिक इसके तहत लगभग 30 करोड़ रुपये का घपला किया गया है। बठिडा डिपो की यूनियन के प्रधान संदीप सिंह का कहना है कि अगर कोई कंडक्टर दस रुपये की भी गलत टिकट काट देता है तो उस पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन अब इतना बड़ा घपला हो गया है, कोई कुछ नहीं बोल रहा। आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। यहां तक कि घपला करने वालों के नाम भी सामने आने चाहिएं और उनसे रिकवरी की जानी चाहिए। बठिडा डिपो में टिकट काटने वाली मशीनों से हेराफेरी होने की सूचना मिली है। बताया जा रहा है कि 2018 में जिन मशीनों की चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी, उनको अब भी चलाया जा रहा है। इस मामले में विभाग की टीम ने अपनी जांच शुरू कर दी है। इसके लिए सारा रिकार्ड चेक किया जा रहा है। हालांकि अभी कुछ निकल कर सामने नहीं आया है, लेकिन जल्द ही सारा कुछ पता लग जाएगा।
- सुरिदर सिंह, जीएम, आप्रेशन पीआरटीसी, पटियाला