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निगम के गले की फांस बना पशुओं से घायलों को मुआवजा देने का मामला

अपने इलाज पर हुए खर्च की अदायगी करने की मांग का मामला नगर निगम के गले की फांस बन गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 07:17 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 06:09 AM (IST)
निगम के गले की फांस बना पशुओं से घायलों को मुआवजा देने का मामला
निगम के गले की फांस बना पशुओं से घायलों को मुआवजा देने का मामला

सुभाष चंद्र, बठिडा : बेसहारा पशुओं की चपेट में आकर घायल हुई स्थानीय करतार बस्ती की निवासी वीरपाल कौर पत्नी सुखमंदर सिंह की ओर से अपने इलाज पर हुए खर्च की अदायगी करने की मांग का मामला नगर निगम के गले की फांस बन गया है। नगर निगम को समझ नहीं आ रही कि घायलों को कितनी राशि देनी चाहिए और किस आधार पर देनी चाहिए। बीते बुधवार को निगम के जनरल हाउस की हुई बैठक के दौरान बेशक इस प्रस्ताव को पारित तो कर दिया गया, परंतु उक्त सवालों के जवाब के लिए फैसला सब कमेटी पर छोड़ दिया गया। निगम अब इस संबंध में सब कमेटी का गठन कर उसकी रिपोर्ट के आधार पर इस संबंध में कोई निर्णय लेगा। हालांकि इसी बैठक के दौरान बेसहारा पशुओं से घायलों को सहायता राशि देने के लिए 50 लाख रुपये का बजट रखने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई, लेकिन इसका निर्णय भी सब कमेटी पर ही छोड़ दिया गया। इस संबंध में भी सब कमेटी ही निर्णय लेगी कि सहायता के लिए कितना बजट रखा जाए। महिला ने की है इलाज खर्च की मांग वीरपाल कौर ने कहा कि वह बेसहारा पशुओं की चपेट में आकर घायल हो गई थी। इसके लिए निगम जिम्मेदार है और वह उसके इलाज पर खर्च हुई राशि का भुगतान करे। उसने निगम से यह मांग 18 मार्च 2019 को थी। उसके पत्र के आधार पर निगम की सेनीटेशन शाखा के सेनेटरी इंस्पेक्टर करतार सिंह ने पड़ताल की तो उसके जख्मी होने की बात सही पाई गई। लेकिन उसने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि इस खर्च का भुगतान किसे करना है, किस आधार पर देना है व इसका क्राइटेरिया क्या है? इस संबंध में कुछ भी निश्चित नहीं है। सेनेटरी इंस्पेक्टर की इस रिपोर्ट के आधार पर इस प्रस्ताव को ही जनरल हाउस में विचार के लिए लाया गया। लेकिन निगम हाउस उक्त सवालों का कोई जवाब नहीं दे पाया। पार्षदों ने कहा कि यह गंभीर मामला है। जिसके कानूनी पहलू भी हैं। इसकी सब कमेटी बनाई जाए। इसमें वकील भी शामिल हों। यह सब कमेटी ही तमाम पहलुओं पर विचार विमर्श करके फैसला करे कि किस आधार पर कितनी राशि का भुगतान करे। यह तरस के आधार पर दिया जाए या फिर किसी और आधार पर। चूंकि निजी अस्पतालों के इलाज के बिल बहुत भारी भरकम बन जाते हैं। मेयर ने सब कमेटी पर छोड़ा फैसला मेयर बलवंत राय नाथ ने भी पार्षदों की हां में हां मिलाते हुए कहा कि यह बिलकुल सच है। कहीं ऐसा न हो कि निगम को लेने के देने पड़ जाएं। इसलिए इसका फैसला सब कमेटी ही विभिन्न कानूनी पहलुओं पर विचार करके करे। उन्होंने पशुओं से घायलों की सहायता के लिए रखा जाने वाला 50 लाख रुपये का बजट रखने का प्रस्ताव भी सब कमेटी पर छोड़ दिया। मेयर बलवंत राय नाथ ने सब कमेटी से इसकी रिपोर्ट एक सप्ताह में देने को कहा है। परंतु देखना होगा कि सब कमेटी कब और क्या निर्णय देती है। औसतन हर रोज हो रहा

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एक व्यक्ति जख्मी

बेसहारा पशुओं की वजह से अब तक 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि घायलों की संख्या अनगिनत है। समाजसेवी संगठन सहारा जन सेवा के प्रधान विजय गोयल और नौजवान वेलफेयर सोसायटी के प्रधान सोनू महेश्वरी के अनुसार लगभग हर रोज एक व्यक्ति पशुओं की चपेट में आने से जख्मी हो रहा है। वे ही उनको उठा कर अस्पताल पहुंचाते हैं। निगम के खिलाफ आधा

दर्जन अदालती केस

बेसहारा पशुओं की चपेट में आने से घायल हुए लोगों को इलाज खर्च देने और मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने के नगर निगम के खिलाफ बठिडा में इस समय आधा दर्जन केस अदालतों में चल रहे हैं। इनमें तीन केस हाई कोर्ट में तो तीन ही स्थानीय अदालतों में चल रहे हैं। हाईकोर्ट में चल रहे केस में मृत हुए व्यक्तियों के परिजनों की ओर से 25-25 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की गई है। जबकि हाई कोर्ट में अन्य तीसरे केस में बेसहारा पशुओं के स्थायी हल की मांग की गई है।


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