एसबीआइ में विलय के बाद से परेशान एसबीओपी के रिटायर्ड कर्मी
जागरण संवाददाता, ब¨ठडा एसबीओपी रिटायर्ड आफिसर्स एसोसिएशन ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक
जागरण संवाददाता, ब¨ठडा
एसबीओपी रिटायर्ड आफिसर्स एसोसिएशन ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक में विलय के बाद सहयोगी बैंकों के पेंशनधारकों के लिए नई मुसीबतें खड़ी हो गई हैं। एसोसिएशन के आर्गेंनाइ¨जग सेक्रेटरी रमेश ढंड ने कहा कि बैंक की शिकायत निवारण प्रणाली लगभग खत्म हो चुकी है। स्टेट बैंक आफ पटियाला सहयोगी बैंकों में से एक है तथा चंडीगढ़ लोकल हेड आफिस के अधीन आता है। अप्रैल 2018 से बैंक के 538 कर्मचारियों की पेंशन यह कहकर बंद कर दी गई कि इनके जीवन प्रमाण पत्र नई शुरू की एचआरएमएस प्रणाली में अपडेट नहीं हुए, जबकि ये पेंशनर्स कई बार अपना जीवन प्रमाण पत्र संबंधित शाखा में जमा करवा चुके हैं। साफ्टवेयर की त्रुटियों का खामियाजा पेंशनधारकों को भुगतना पड़ रहा है। वरिष्ठ नागरिकों को 3.40 लाख तक बिना किसी निवेश की इनकम टैक्स से छूट मिलती है लेकिन उसमें से भी 20 प्रतिशत टैक्स काटा जा रहा है। जबकि उनके आधार कार्ड व पैन के दस्तावेज संबंधित शाखाओं को पहले से दिए गए हैं। 2017 में वीआरएस के अधीन रिटायर हुए कर्मचारियों को वीआरएस स्कीम के अनुसार बनती तनख्वाह की इंक्रीमेंट भी नहीं दी गई। रमेश ढंड ने बैंक पेंशनर्स के अन्य अनेक मसले उठाते हुए कहा कि बैंक पेंशनर्स की बेसिक पेंशन बैंक पेंशन रेगुलेशंस 1995 लागू होने के बाद एक बार भी रिवाइज नहीं की गई। जबकि प्रदेश व केंद्र सरकारों के पेंशनर्स की पेंशन हर पे कमीशन के अनुसार बढ़ाई जाती है। फैमिली पेंशन सिर्फ 15 प्रतिशत है जबकि भारतीय रिजर्व बैंक के कर्मचारी 30 प्रतिशत फैमिली पेंशन ले रहे हैं। नवंबर 2002 के से पहले रिटायर होने वाले बैंक कर्मचारियों को 100 प्रतिशत डीए भी नहीं दिया जा रहा। रिटायर्ड कर्मचारियों को बैंक खर्च व सेहत बीमे की सुविधा नहीं दी जा रही है। प्रेस क्लब में की गई प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अन्य सेवानिवृत्त कर्मी भी मौजूद थे।