बठिंडा: सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित था जीदा बलास्ट का आरोपी छात्र, NIA ने अपने हाथ में ली जांच
एनआईए ने बठिंडा के जीदा गांव में हुए विस्फोट की जांच अपने हाथ में ली है। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, क्योंकि आरोपी छात्र गुरप्रीत सिंह कथित तौर पर फिदायीन हमले की तैयारी कर रहा था और सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित था। विस्फोट में गुरप्रीत और उसके पिता घायल हो गए थे। जांच में पता चला है कि वह जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख अजहर मसूद का समर्थक था।

दो महीने बाद, एनआईए ने बठिंडा विस्फोट की जांच अपने हाथ में ली (फोटो: जागरण)
जागरण संवाददाता, बठिंडा। बठिंडा के जीदा गांव में एक घर में दो माह पहले हुए दो विस्फोटों के मामले की जांच अब एनआईए करेंगी। हाल ही में देश के विभिन्न हिस्सों में पकड़े गए आतंकिय़ों व उनके समर्थकों के तार जम्मू कश्मीर के आतंकी संगठनों के साथ जुड़ने के बाद बठिंडा के इस मामले को भी केंद्रीय एजेंसी गंभीरता से ले रही है।
दिल्ली, फरीदाबाद के साथ उत्तरी भारत के पंजाब प्रांत में विस्फोटक समाग्री का साजों सामान मिलना इस बात का संकेत है कि कट्टरपंथी संगठन पाकिस्तान की सीमा के साथ सटे पंजाब में भी अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
बठिंडा में एक कट्टरपंथी कानून का पढाई कर रहे छात्र की तरफ से कथित तौर पर एक संवेदनशील प्रतिष्ठान पर "फिदायीन" हमले की तैयारी की जा रही थी। राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ जुड़ा मामला होने के चलते राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पंजाब पुलिस से जांच का जिम्मा संभाल लिया है। बठिंडा की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अमनीत कोनदल ने इसकी पुष्टि की है, लेकिन आगे कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
बताते चले कि 10 सितंबर 2025 को जीदा गांव में रहने वाले आरोपी गुरप्रीत सिंह ने विस्फोटक समाग्री मंगवाई थी व हाईडिफिसेंसन के दो विस्फोट उसके घर में हुए थे, जिसमें आरोपी के साथ उनके पिता बुरी तरह घायल हो गए थे।
जीदा गांव में 10 सितंबर को विस्फोट हुआ था, जिसमें आरोपी गुरप्रीत सिंह (19) गंभीर रूप से जख्मी हो गया और बठिंडा पुलिस को विस्फोटों के बारे में एक दिन बाद उस समय पता चला जब एक निजी अस्पताल ने पुलिस को मामले के बारे में सूचित किया।
इस विस्फोट में गुरप्रीत का दाहिना हाथ गंभीर रूप से घायल होने के कारण काटना पड़ा था जबकि उनके पिता जो किसान हैं, को मुंह व शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आईं। पुलिस के अनुसार, कानून की पढाई कर रहे छात्र गुरप्रीत पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कट्टरपंथी इस्लामी विचारधाराओं से प्रभावित होने का आरोप है।
11 सितंबर को गुरप्रीत के खिलाफ नेहियांवाला में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। अभी तक, बठिंडा पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी, जहां गुरप्रीत को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही थी और जांचकर्ताओं ने कहा कि आरोपी ने कथित तौर पर कठुआ में एक रक्षा प्रतिष्ठान को निशाना
पुलिस ने बताया कि गुरप्रीत ने खुद को कट्टरपंथी बना लिया था और उसकी डिजिटल एक्टिविटी से पता चला कि वह बम बनाने के तरीके दिखाने वाले वीडियो को लगातार देखने के साथ पाक समर्थित आतंकी संगठनों के नेताओं के विडियों सुनता था।
इसके बाद उसने आनलाइन ही विस्फोटक समाग्री मंगवाई व स्वयं को आत्मघाती बनाकर किसी सैनिक प्रतिष्ठान में हमला करने की साजिश रच रहा था। इसी दौरान वह घर के पास विस्फोकटक समाग्री से प्रयोग करते तेज ब्लास्ट की चपेट में आ गया।
इस घटना के बाद विभिन्न केंद्रीय एजेंसियां हरकत में आईं और एनआईए के चंडीगढ़ कार्यालय से डीएसपी रैंक के एक अधिकारी ने घटनास्थल का दौरा किया था। वही आरोपी के इस्लामी कट्टरपंथियों से संबंध और विस्फोटकों को इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल किए लिंक के बारे में जानकारी जुटा रही थी। इससे पहले, खुफिया ब्यूरो (आईबी) के अधिकारी भी जांच के लिए बठिंडा आये थे।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि ज़िला पुलिस द्वारा लगभग दो महीनों तक की गई जाँच में गुरप्रीत के किसी आतंकवादी संगठन या कट्टरपंथी व्यक्ति से जुड़े होने के शुरुआती निर्णायक सबूत नहीं मिले। हालाँकि, अधिकारियों ने कहा कि बम बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए रसायनों की बरामदगी और हमले की कथित आत्मघाती स्वीकारोक्ति ने मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा पर हमले की दृष्टि से गंभीर बना दिया है।
पुलिस के एक पूर्व आधिकारिक के अनुसार, गुरप्रीत प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख अजहर मसूद का कट्टर अनुयायी था। गुरपीत ने मसूद सहित चरमपंथी सामग्री वाले विभिन्न हैंडलों को फॉलो करने के लिए एक नकली सोशल मीडिया उपयोगकर्ता पहचान बनाई थी।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि जांच से पता चला है कि गुरप्रीत ऑनलाइन रसायन खरीदता था और उन्हें कूरियर के माध्यम से गांव के विभिन्न हिस्सों से इकट्ठा करता था। एक अधिकारी ने कहा, "इस बात पर अभी भी स्पष्टता नहीं है कि किस तरह के रसायनों का इस्तेमाल किया गया था क्योंकि फ़ोरेंसिक विशेषज्ञों ने पुलिस की मदद नहीं ली थी।
लेकिन विस्फोट इतना आक्रामक था कि पंजाब पुलिस और सेना की बम निरोधक टीमों को कई दिनों तक मशक्कत करनी पड़ी। विस्फोट स्थल की सफ़ाई के लिए रोबोट का इस्तेमाल करना पड़ा था क्योंकि विस्फोट वाली जगह पर कई दिनों पर ब्लास्ट होते रहे।

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