पति की मौत के बाद बुटीक चलाकर कर रही बच्चों की परवरिश
आजकल हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के बराबर कार्य कर रही हैं। लेकिन समाज में कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं जिन्होंने अपनी जिदगी के सफर में खुद के दम पर साहसपूर्ण कार्य किए हैं।
ज्योति बबेरवाल, बठिडा : आजकल हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के बराबर कार्य कर रही हैं। लेकिन समाज में कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं, जिन्होंने अपनी जिदगी के सफर में खुद के दम पर साहसपूर्ण कार्य किए हैं। कुछ ऐसी ही मिसाल देती है मैहणा चौक स्थित गांधी वाली गली में रहने वाली नमिता गर्ग। जिसने अपने दो बच्चों की परवरिश अकेले अपने दम पर सिर्फ एक बुटीक चलाकर की है। नमिता गर्ग ने बताया कि उनकी शादी 1999 में सतपाल गर्ग के साथ हुई था। इसके बाद बेटे ने जन्म लिया। मगर साल 2012 में जब उनके छोटा बेटा होने वाला था तो उनके पति की अचानक मृत्यु हो गई। जिसके चार महीने बाद उसके बेटे ने जन्म लिया। जबकि इसके साथ उनका सारा हौसला टूट गया। मगर धीरे धीरे बच्चों को देखते हुए सिलाई का काम सीखा और एक बुटीक की दुकान पर काम भी किया। जिसके बाद 2015 में खुद का बुटीक खोला। लेकिन इसके साथ भी घर की पूरी नहीं होती थी।
इसको देखते हुए साथ में ओर भी काम किए, जिसकी बदौलत आज बड़े बेटे जशन को बैंगलूरू में पढ़ने के लिए भेजा है। जो वहां पर होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रहा है। इसके बाद उसको बाहर विदेश भी भेजने का सपना है। इसके अलावा छोटे बेटे को भी कोई अफसर बनाने की इच्छा है। उन्होंने बताया कि बुटिक का कार्य सीखने के दौरान वह अपने छोटे बेटे को भी साथ लेकर जाती। इसके बाद वह घर में कपड़े की सिलाई का कार्य करती थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में जो भी हासिल किया वह खुद की मेहनत से किया। उनके पति के चले जाने के बाद उन्हें पहले महसूस हुआ था कि वह सब कार्य कैसे करेगी, लेकिन धीरे धीरे उन्होंने कार्य करते हुए अपने दोनों बच्चों की परवरिश की है। वह दूसरी महिलाओं को बिना किसी के सहारे कार्य करने की हिम्मत देती है।