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छह जिलों के 12 गांवों के खेत मजदूरों के 1640 घरों में 444 परिवार बेघर

सर्वे रिपोर्ट के संबंध में कार्यक्रम का आयोजन टीचर होम में किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Dec 2019 11:33 PM (IST)Updated: Sun, 22 Dec 2019 11:33 PM (IST)
छह जिलों के 12 गांवों के खेत मजदूरों के 1640 घरों में 444 परिवार बेघर
छह जिलों के 12 गांवों के खेत मजदूरों के 1640 घरों में 444 परिवार बेघर

संस, बठिडा : पंजाब खेत मजदूर यूनियन की ओर से खेत मजदूरों के घरों की हालात संबंधी सर्वे रिपोर्ट के संबंध में कार्यक्रम का आयोजन टीचर होम में किया गया। इस दौरान अर्थ शास्त्री डॉ. सुखपाल सिंह, दविदर शर्मा व जमहूरी अधिकार के डॉ. नवशरन की हाजिरी में सर्वे रिपोर्ट जारी की गई। कार्यक्रम में बठिडा, श्री मुक्तसर साहिब, फरीदकोट, मोगा, जालंधर व संगरूर समेत छह जिलों के 12 गांवों में 1640 घरों के किए सर्वेक्षण की रिपोर्ट यूनियन के प्रदेश महासचिव लक्षमण सिंह सेवेवाला की ओर से पेश की गई।

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उनकी रिपोर्ट के मुताबिक 1640 घरों में 444 परिवार 21.75 फीसदी बेघर हैं। जिनमें 19 परिवार समेत 1.16 फीसदी लोग बेघर हुए शामिल है। कुछ जगीरदार धर्मशालों व सरकारी अस्पतालों में दिन काट रहे हैं। जबकि 425 परिवार 20.50 फीसदी बेघर हैं। इनमें वह परिवार भी शमिल हैं, जोकि तीन, चार, पांच व छह मरले के घर में कई कई परिवार रह रहे हैं। गौर है कि सरकारी नियमों के मुताबिक पांच मरले के घर में रहते दो परिवारों में एक घर को बेघर माना जाता है। इसके अलावा 67 घर 4.09 फीसदी वह हैं जोकि एक कमरे के मकान में एक से अधिक परिवार दिन काट रहे हैं। घरों के रकबे में इन मजदूर परिवारों की हालात बहुत ही चिताजनक है। इनमें 1640 घरों में 775 घर 47.26 फीसदी चार मरले से भी कम जगह में बने हुए हैं। इसमें 249 घर तो तीन मरले या इसके भी कम में बने हैं। इसके अलावा 643 परिवार, 39.21 फीसदी वह हैं जोकि एक कमरे के मकान में रहते हैं। जबकि 493 घरों में शौचालय नहीं हैं। सेवेवाला ने कहा कि मजदूरों की रिहायश संबधी यह हालात उन्हें बीमारियों की तरफ लेकर जा रहे हैं। वहीं मजदूरों को खुदकुशी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। वहीं प्रदेश प्रधान जोरा सिंह नसराली ने कहा कि एक तरफ खेत मजदूर दलित परिवार की रिहायश के पक्ष से अति मंदी की हालात का सामना कर हैं। वहीं दूसरी तरफ पंजाब की कांग्रेस सरकार इन परिवारों को प्लाट व मकान के लिए ग्रांट देने की जगह पंचायती जमीनों औद्योगिक विकास के नाम पर कारपोरेट घरानों को कौड़ियों के भाव दे रही हैं। इस दौरान एडवोकेट एनके जीत, किसान नेता शिगारा सिंह मान, डॉ. दर्शन पाल व लोक मोर्चा पंजाब के नेता सुखविदर सिंह भी उपस्थित थे।


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