कृषि सेक्टर में लॉकडाउन, टूटने लगे खेती के लिए जमीन ठेके पर लेने के किए करार
धान की रोपाई के लिए जहां श्रमिकों की कमी की वजह से रेट को लेकर किसानों और ग्रामीण मजदूरों में तनाव की स्थिति पैदा हो चुकी है।
बठिंडा [सुभाष चंद्र]। Coronavirus COVID_19 epidemic के कारण कृषि सेक्टर में भी लॉकडाउन आ गया। धान की रोपाई के लिए जहां श्रमिकों की कमी की वजह से रेट को लेकर किसानों और ग्रामीण मजदूरों में तनाव की स्थिति पैदा हो चुकी है, वहीं जमींदारों से ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले भूमिहीन किसान भी पीछे हटने लगे हैं। यही नहीं, वे जमींदारों से अग्रिम राशि देकर खेती के लिए ठेके पर ली जमीन के करार भी टूटने लगे हैं। उन्हें डर है कि श्रमिकों की कमी के कारण धान की यदि रोपाई न हो पाई तो भारी नुकसान होगा।
दूसरी तरफ लंबे समय से जमीन ठेके पर देने वाले जमींदारों के लिए भी संकट की स्थिति पैदा हो गई है। अब या तो उन्हें औने-पौने दाम पर ही जमीन ठेके पर देनी होगी या फिर खुद खेती करनी होगी। कई जमींदार मजबूरी में अपनी जमीन हिस्से पर देने लगे हैं। जिले के पूहली, सेमा और पूहला गांवों में खेती के लिए ठेके पर ली जमीन के कई करार टूट चुके हैं।
बठिंडा जिले के गांव पूहली के जमींदार नरदेव सिंह ने हर साल की तरह इस बार भी कुछ समय पहले अपनी 17 एकड़ जमीन ठेके पर देने का सौदा किया था। यह सौदा प्रति एकड़ 67 हजार रुपये में हुआ था। इसके लिए ठेका लेने वाले भूमिहीन किसान ने दस हजार रुपये की अग्रिम राशि भी दी थी। अब वह किसान जमीन ठेके पर लेने से मुकर गया है। उसका कहना है कि कोरोना के कारण जिस तरह का माहौल बना हुआ है, उसमें पता नहीं धान की रोपाई हो सकेगी या नहीं। फिर फसल पकने तक भी पता नहीं क्या होगा। फसल बिक पाएगी की नहीं। इसलिए उसने जमीन नहीं लेनी है।
गांव सेमा के किसान ने इसलिए जमीन ठेके पर लेने से मना कर दिया है कि उसे आढ़ती से रुपये नहीं मिले। चूंकि भूमिहीन किसान पूरी तरह से आढ़तियों पर भी निर्भर होते हैं। ऐसे में ये ठेके पर जमीन लेने से पीछे हट रहे हैं। गांव पूहला में करमजीत सिंह और परमजीत सिंह की हर वर्ष ठेके पर जमीन लेने वाले किसान गुरचरन सिंह ने भी इस बार ठेका लेने से इंकार कर दिया है।
राज्य में चिंताजनक हालात बने : भाकियू
भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहां पंजाब के सचिव ङ्क्षशगारा ङ्क्षसह मान ने कहा कि कोरोना के कारण बेहद ङ्क्षचताजनक और खतरनाक माहौल बन गया है। ठेके पर जमीन न लेने के कारण जमींदार व भूमिहीन किसानों में टकराव की स्थिति बनने लगी है। यही नहीं जमीन लेने वाले भूमिहीन किसान ठेका कम करने की बात परअड़ गए हैं। ऐसा न करने की सूरत में ब्याज समेत अपनी अग्रिम राशि वापस मांग रहे हैं। जबकि जमींदार ऐसा करने को तैयार नहीं हैं। हालांकि भाकियू इस दिशा में अपने स्तर कदम उठा रही है, ताकि इस तरह के विवाद न हों।