काउ सेस से आय 2.5 करोड़, खर्च 3.10 करोड़, निगम कैसे संभालेगा पशु
लावारिस पशुओं के आतंकवाद से जा रही इंसानों की कीमती जानों को लेकर जहां एक ओर शहर के समाजसेवी संगठनों की ओर से सोमवार से नगर निगम और जिला प्रशासन के खिलाफ जन आंदोलन की तैयारियां हो रही हैं, वहीं इन पशुओं को संभालने के लिए नगर निगम को पर्याप्त काउ सेस हासिल नहीं पा हो रहा है।
सुभाष चंद्र, ब¨ठडा : लावारिस पशुओं के चलते जा रही इंसानों की कीमती जानों को लेकर शहर के समाजसेवी संगठनों की ओर से सोमवार से नगर निगम और जिला प्रशासन के खिलाफ जन आंदोलन की तैयारियां हो रही हैं। दूसरी ओर इन पशुओं को संभालने के लिए नगर निगम को पर्याप्त काउ सेस हासिल नहीं पा हो रहा है। बेशक आम तौर पर लोगों की ओर से अकसर यह बात कह दी जाती है कि नगर निगम करोड़ों रुपये काउ सेस लोगों से वसूल करता है, लेकिन लावारिस पशुओं को संभालने पर खर्च नहीं कर रहा। जबकि वास्तविक स्थिति इसके विपरीत है। निसंदेह लावारिस पशुओं को संभालने की जिम्मेदारी निगम की ही है और इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। लेकिन निगम विभिन्न वस्तुओं से साल में हासिल हो रहे काउ सेस से कहीं अधिक राशि पशुओं की संभाल पर खर्च कर रहा है।
तीन के लक्ष्य के मुकाबले आएगा 2.5 करोड़ रुपये काउ सेस
नगर निगम इस समय विभिन्न गोशालाओं में करीब 4000 लावारिस पशुओं की संभाल के लिए डाइट मनी (चारा खर्च) उपलब्ध करा रहा है। इसमें 1000 पशुओं के लिए 31 रुपये प्रति पशु के हिसाब से और 3000 पशुओं को 18 रुपये प्रति पशु के हिसाब से डाइट मनी दे रहा है। इस तरह निगम प्रत्येक वर्ष 3.10 करोड़ रुपये डाइट मनी दे रहा है। जबकि निगम को इस चालू वर्ष में करीब 2.5 करोड़ काउ सेस आने की उम्मीद है। हालांकि निगम का इस वर्ष का लक्ष्य तीन करोड़ काउ सेस जुटाना है। लेकिन अंग्रेजी-देसी शराब तथा सीमेंट जैसी बड़ी आइटम से निगम को काउ सेस आ ही नहीं रहा है। जबकि लक्ष्य में इन दोनों वस्तुओं का काउ सेस भी शामिल है। बीते वर्ष 2017-18 में नगर निगम को अपने लक्ष्य से कम 2.14 करोड़ रुपये का काउ सेस विभिन्न वस्तुओं से प्राप्त हुआ था।
शहर में इस समय करीब पांच हजार के करीब लावारिस पशु
शहर में इस समय लगभग 5000 लावारिस पशुओं के होने का अनुमान है। हालांकि पिछले कई दिनों से निगम दो गाड़ियों की मदद से पशुओं को पकड़कर गोशालाओं में भेजने में लगा हुआ है। लेकिन उतनी ही संख्या में गांवों से और पशु आ रहे हैं। निगम ने पशुओं को पकड़ने के लिए अब 16 लाख रुपये का और प्रावधान किया है, ताकि पशु पकड़ने के लिए एक और काउ कैचर का इंतजाम किया जा सके। लेकिन जब तक गांवों से आ रहे पशुओं की रोकथाम नहीं होगी, तब तक इस समस्या का स्थायी समाधान नजर नहीं आ रहा है। जन आंदोलन की हो रही तैयारियों के चलते पिछले कई दिनों से निगम अधिकारियों एवं पदाधिकारियों में इसी मुद्दे पर चर्चा हो रही है।
शराब व सीमेंट से काउ सेस हासिल करने को प्रयास
नगर निगम के मेयर बलवंत राय नाथ का कहना है कि निगम को आबकारी विभाग और सीमेंट से बिल्कुल काउ सेस प्राप्त नहीं हो रहा है। यह काउ सेस राज्य सरकार ने अपने स्तर पर ही उपलब्ध करवाना होता है। निगम यह काउ सेस हासिल करने के लिए प्रयास कर रहा है। अगर इन दोनों वस्तुओं से काउ सेस आने लग जाए तो उनकी काफी मुश्किल आसान हो सकती है। जबकि निगम हासिल हो रहे काउ सेस के अलावा अपनी अन्य आय से भी पशुओं के लिए गोशालाओं को डाइट मनी दे रहा है। इसके अलावा करीब दो करोड़ रुपये की लागत से पशुओं को संभालने के लिए हररायपुर गांव की गोशाला में पांच और नए शेडों का निर्माण करवाने जा रहा है।