रिहायशी एरिया में स्टोर होने लगे पटाखे, लाइसेंस सिर्फ एक के पास
विभिन्न रिहायशी इलाकों में अवैध पटाखों के गोदाम बना शहर को बारूद के ढेर पर बिठा दिया है।
नितिन सिगला, बठिडा :
जिला प्रशासन की नाक तले एक्सप्लोसिव एक्ट का उल्लंघन कर पटाखों के थोक कारोबारियों ने विभिन्न रिहायशी इलाकों में अवैध पटाखों के गोदाम बना शहर को बारूद के ढेर पर बिठा दिया है। उक्त व्यापारी एक महीने से भी अधिक समय से इन गोदामों में अवैध रूप से पटाखे स्टोर कर रहे हैं लेकिन जिला पुलिस अभी तक सिर्फ एक अवैध पटाखा गोदाम को पकड़ पाई है। नियमों के अनुसार पटाखा गोदाम शहर की आबादी से दूर होने चाहिए पर बठिडा में पटाखों के लिए दुकानों और घरों को गोदाम में तब्दील किया जा रहा है। आठ अक्टूबर को जिले में 18 स्थानों शहर में छह स्थानों पर बड़े स्तर पर दशहरा मनाया जाएगा। दशहरे में ही करोड़ों रुपये पटाखों की खपत होती है जबकि गुरुपर्व दीवाली उत्सव में जिले भर में बड़ी तादाद में पटाखे बिक्री के लिए पहुंचते हैं। इसमें उत्तर प्रदेश यूपी से बड़े पैमाने पर पटाखों की खरीद दीवाली सीजन से पहले मात्र इसलिए की जाती है कि यह सीजन के मुकाबले 30 से 40 प्रतिशत कम रेट पर मिल जाते हैं। जानकारों की मानने तो फेस्टीवल सीजन शुरू होने से पहले शहर समेत जिले के विभिन्न ग्रामीण एरिया में बड़े स्तर पर पटाखें के अवैध गोदाम बन चुके है, जिसकी जानकारी न तो जिला प्रशासन को दी गई है और संबंधित विभाग के अधिकारियों को। जहां तक पटाखें स्टोर करने की कोई परमिशन या लाइसेंस भी नहीं लिया गया है। ज्यादा तरह पटाखें रिहायशी मकानों में स्टोर किए जा रहे है, ताकि किसी को कोई शक न हो,जबकि प्रशासन के पास मात्र 4 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा रखा है। शहर के अलावा ग्रामीण इलाकों में दर्जनों पटाखा बनाने वाली अस्थायी फैक्ट्री चल रही है। वर्तमान में अवैध तौर पर बठिडा के गोनियाना रोड, मुल्तानिया रोड, मानसा रोड पर पटाखें गोदाम व फैक्ट्री चल रहे हैं। इसमें प्रशासन के पास रजिस्टर्ड बहमण गांव में एक स्टोर, बीड़ तलाब में एक पटाखा स्टोर जो प्रशासन के पास रजिस्टर्ड है। जिसमें एक ने हर अब तक अपना लाइसेंस रिव्नयू करवाने के लिए प्रशासन को एप्लीकेशन दी है, जबकि नियमानुसार हर साल सेफ्टी सार्टिफिकेट फायर ब्रिगेड शाखा से लेना पड़ता है।
--------------
हादसा होने के बाद जागता है प्रशासन
हर साल दीवाली से पांच या छह दिन पहले फायर शाखा को नोटिस निकालकर इन स्टोर की जांच करने के आदेश प्रशासन द्वारा दिए जाते है, जबकि इस दौरान 80 फीसदी पटाखा बाजार में बिक चुका होता है, जबकि प्रशासन को दीवाली से दो माह पहले इन स्टोर व फैक्टरी की जांच शुरू करनी चाहिए। गौरतलब है कि दीपावली व अन्य त्यौहारों के मौके पर पटाखों की बिक्री व भंडारण के लिए एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत नियमों को पूरा करके लाइसेंस लेना जरूरी होता है, लेकिन प्रशासन की इसी लापरवाही के चलते अब तक पिछले दस साल में शहरी इलाके आसपास की 4 हादसे हो चुके हैं। साल 2009 में परसराम नगर में अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाका होने से दो लोगों की मौत हो चुकी है। एक घर में पटाखे बनाएं जा रहे थे, जबकि साल 2013 में मुल्तानिया रोड पर अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाके में तीन लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए बाद में उनकी मौत हो गई थी। शहर में तेल डिपो के पास साल 2012 में पटाखा फैक्ट्री में आग लगी थी। इन सभी मामलों में पुलिस ने केस तो दर्ज किए, लेकिन बाद में केस दबाव दिए गए। जिसके चलते केस में नामजद आरोपित कोर्ट से जमानत ले चुके थे।
--------------
शहर में जितने भी गोदाम हैं, वहां पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। नियमानुसार गोदाम में अग्निशमन यंत्र जिसमें सिलेंडर के अलावा पानी की टंकी और पाइप, रेत आदि के इंतजाम होने चाहिए लेकिन किसी ने भी स्टोर में इस बाबत इंतजाम नहीं किए हैं। फायर शाखा की तरफ से गत वर्ष इस बाबत गोदाम में जांच की तो खुलासा हुआ कि गोदाम संचालकों ने औपचारिकता के लिए एक से दो अग्निशामक यंत्र रखे हैं जबकि गोदाम की क्षमता क्षेत्रफल के अनुसार वहां 20 से 26 आग बुझाने वाले सिलेंडर, रेत पानी का इंतजाम होना लाजमी है।
बठिंडा में सिर्फ एक ही पटाखा फैक्ट्री : जसविंदर सिंह
जिला फायर आफिसर जसविदर सिंह ने बताया कि बठिडा में सिर्फ एक ही पटाखा फैक्टरी है, जिसे लाइसेंस जारी हुआ है, जबकि पहले तीन से चार स्टोर के लाइसेंस जारी हुए थे, लेकिन पिछले साल उन्होंने भी रिन्यू नहीं करवाएं। अभी तक किसी ने भी पटाखा फैक्टरी या गोदाम का लाइसेंस लेने के लिए उनके पास आवेदन नहीं किया है।