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सरकारी अस्पताल की सेहत सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर

सरकारी अस्पताल सुविधाओं के अभाव में मरीजों का इलाज करने के बजाय खुद बीमार होता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 03:06 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 03:06 AM (IST)
सरकारी अस्पताल की सेहत सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर
सरकारी अस्पताल की सेहत सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर

जागरण संवाददाता, बठिडा: जिले का सबसे बड़ा शहीद भाई मणि सिंह सरकारी अस्पताल सुविधाओं के अभाव में मरीजों का इलाज करने के बजाय खुद बीमार होता जा रहा है। यहां आने वाले मरीजों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही हें। अस्पताल की हालत ऐसी है कि वर्तमान में इमरजेंसी विभाग के पास आधुनिक तकनीक से लैस ईसीजी मशीन तो है, लेकिन उसमें डालने के लिए कागज नहीं है। इसलिए यह मशीन माइनर ओटी के एक कोने में पड़ी है। वहीं एंबुलेंस चालकों की बात करें तो एक चालक विभागीय कार्रवाई के चलते छुट्टी पर चला गया है और दूसरे चालक को कोरोना के सैंपल लेकर फरीदकोट जाना पड़ा रहा है। इसलिए पिछले कुछ दिनों से शाम और रात की ड्यूटी के दौरान एंबुलेंस चालक इमरजेंसी विभाग में मौजूद नहीं रहता है। इस दौरान यदि कोई अप्रिय घटना घटती है तो चालक के न होने से किसी भी प्रकार की जान का नुकसान वाजिब है। इसी तरह अस्पताल में सर्जनों की कमी भी मरीजों की जान के लिए खतरा है। बीती 23 जून को हुए हादसे में घायल व्यक्ति की मौत का कारण विशेषज्ञ का न होना भी बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक अगर मरीज का समय पर आपरेशन हो जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। सफेद हाथी बनी ईसीजी मशीन

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सरकारी अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में एक अत्याधुनिक स्थायी ईसीजी मशीन उपलब्ध कराई गई है। मशीन की खास बात यह थी कि यह न सिर्फ मरीज की धड़कन बल्कि मरीज की परेशानी भी बताती थी, लेकिन पिछले 15 दिन से मशीन में डालने वाला कागज खत्म हो गया है। इस संबंध में विभाग के अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखा है, लेकिन लापरवाही का आलम यह है कि मशीन में डालने के लिए कागज अभी तक उपलब्ध नहीं कराया गया है, जिससे अधिकारियों और विशेषज्ञ डाक्टरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण मशीन उपयोग में नहीं है और इसे ढंककर माइनर ओटी के एक कोने में रख दिया गया है। इस लापरवाही का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि इस मशीन की रिपोर्ट पढ़ने के बाद डाक्टर मरीज की बीमारी को समय रहते समझ सकता है और इलाज शुरू कर सकता है। शाम की ड्यूटी के दौरान कोई एंबुलेंस चालक नहीं

किसी भी अस्पताल के इमरजेंसी विभाग को एंबुलेंस चालक की सख्त आवश्यकता होती है, क्योंकि गंभीर रूप से बीमार रोगियों को रेफर करने और आवश्यक परीक्षणों से गुजरने के लिए किसी भी समय एंबुलेंस की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन स्थिति यह है कि पिछले दो से तीन दिनों से एंबुलेंस चालक नहीं है। इमरजेंसी के दौरान यानी शाम की ड्यूटी के दौरान मौजूद रहे, क्योंकि बताया जा रहा है कि उस दिन पहले एक एंबुलेंस चालक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई थी। इसलिए वह छुट्टी पर है और एक ड्राइवर को कोरोना का सैंपल लेकर फरीदकोट जा रहा है। इसलिए वाहन चालकों की कमी के चलते शाम के समय बिना एंबुलेंस चालक के दिक्कत हो रही है। आलम यह है कि अगर कोई बड़ा हादसा हो जाता है, तो एंबुलेंस चालक के न होने से बड़ी परेशानी हो सकती है जिले के सबसे बड़े अस्पताल में सिर्फ एक सर्जन

जिले का सबसे बड़ा अस्पताल होने के कारण प्रतिदिन बड़ी संख्या में रोगी आते हैं, जिनमें से कई को सर्जरी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर हादसों के शिकार लोगों को भी यहां लाया जाता है। इसलिए इस अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टरों का होना बहुत जरूरी है, लेकिन स्थिति यह है कि इस समय अस्पताल में सिर्फ एक सर्जन ही सेवाएं दे रहा है। इससे पहले गोनियाना मंडी के सरकारी अस्पताल में तैनात एक महिला डाक्टर का यहां तबादला किया गया था, लेकिन कुछ दिन पहले गोनियाना मंडी वापस बुला लिया गया।

इमरजेंसी विभाग में लगी स्टैंडिग ईसीजी मशीन का कागज भी स्थानीय शहर में उपलब्ध नहीं है। उक्त कागज मंगवाने के लिए डिमांड उच्चाधिकारियों को भेजी गई है। तब तक पुरानी ईसीजी मशीन से काम लिया जा रहा है। सरकारी अस्पताल तलवंडी साबो से एक एंबुलेंस चालक को बुलाया गया है। वहीं महिला डाक्टर डेपुटेशन पर दो दिन की ड्यूटी गोनियाना मंडी में करती है।

डा. मनिदरपाल सिंह, एसएमओ, सरकारी अस्पताल बठिंडा


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