सेहत विभाग को पहले भी कई बार मिली शिकायतें, नहीं माना कभी सच
डोप टेस्ट के बाद पैसे लेकर उन्हें पास करवाने का खेल पूर्व कई माह से चल रहा है।
नितिन सिगला,बठिडा : असलहा लाइसेंस के लिए जरूरी किए गए डोप टेस्ट के बाद पैसे लेकर उन्हें पास करवाने का खेल पूर्व कई माह से चल रहा है। सेहत विभाग के पास इस बाबत कई बार शिकायतें भी आई कि शहर में कुछ दलाल चंद पैसे लेकर जहां डोप टेस्ट की फाइलों पर फर्जी मोहरें लगाकर उन्हें केवल पास नहीं करवा रहे है, बल्कि डोप टेस्ट में फेल होने वाले लोगों के यूरिन बदलकर उनके दोबारा टेस्ट पास करवाना का काम होता है। इस काम के लिए शहर के एक गन हाउस का मालिक के अलावा अस्पताल में घूमते कुछ दलालों की तरफ से लगातार किया जा रहा है, लेकिन सेहत विभाग के अधिकारियों के पास कोई ठोस सबूत या जानकारी नहीं होने के कारण इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया। जिसके चलते बेखौफ दलालों ने अपनी हद इतनी पार कर दी कि उन्होंने ना केवल सिविल अस्पताल के डाक्टरों की फर्जी मोहर बनाकर उनके हस्ताक्षर करने शुरू कर दिए, बल्कि अस्पताल के सीनियर मेडिकल आफिसर एसएमओ की जाली मोहर बनाकर उनके भी हस्ताक्षर करने शुरू कर दिए है, जोकि एक चिता की बात है। अगर बीती शुक्रवार को फर्जी मोहर लगाकर डोप टेस्ट की फाइल ना पकड़ी जाती, तो शायद सेहत विभाग के अधिकारियों को पता ही नहीं चलता कि बाजार में उनकी फर्जी हस्ताक्षर कर डोप टेस्ट खेल चल रहा है। ऐसे में अब यह सबसे बड़ी जांच का विषय है कि आखिरकार इस पूरे खेल में कौन-कौन शामिल है और कितने समय से यह धंधा चल रहा है। इसके साथ सवाल यह भी उठ रहे है कि इस पूरे मामले में अस्पताल के कर्मचारियों की मिलीभगत से नहीं हो सकता है। उधर, इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इस धंधे की सच्चाई जानने के लिए एसएसपी बठिडा डा. नानक सिंह ने मामले की जांच के आदेश दिए है। यह आदेश गत दिवस सामने आए एक फर्जीवाड़े के बाद जारी किए गए है। इसमें सिविल अस्पताल बठिडा के एसएमओ डा. सतीश गोयल ने इस धंधे की संभावना के मद्देनजर जिला पुलिस को लिखित शिकायत देकर जांच करवाने की मांग की थी। वही शुक्रवार को सिविल अस्पताल में भांगीबादर गांव से एक व्यक्ति गुरतेज सिंह डोप टेस्ट की फाइल, डोप टेस्ट के सैंपल व इन्हें पार करार देती फाइलों में सभी अधिकारियों की रिपोर्ट ओके करवा जाली मोहर लगाकर पहुंचा था। शातिर व्यक्ति ने एसएमओ से भी जाली फाइल में हस्ताक्षर करवा लिए। इसमें डॉ. सतीश गोयल की सतर्कता के चलते आरोपित के इस काले कारनामे का समय पर पर्दाफाश हो गया व आरोपी फाइल फेंककर वहां से भाग गया। फिलहाल आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने मुहिम शुरू कर दी है। इसमें उक्त व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद डोप टेस्ट को लेकर चल रहे नेटवर्क का खुलासा होगा। इस काले कारनामे को कर रहे लोगों की माने तो सिविल अस्पताल में तैनात दलाल नशा करने वालों का डोप टेस्ट क्लियर कराने के लिए पहले ड्रग्स या नशा न लेने वाले व्यक्ति से यूरिन सैंपल लिया जाता है। उसे दो हजार रुपये तक देने पड़ते हैं। फिर फाइल पास करवाने वाले डॉक्टर को 6 से 8 हजार और लेबोरेटरी में सैंपल बदलवाने के लिए लैब वाले को दो हजार रुपये दिए जाते हैं। आरोपित लोग अस्पताल में फाइल कभी नहीं पकड़ते हैं, फाइलें बाहर से लेकर सीधा संबंधित व्यक्ति के घर पहुंचा दी जाती हैं। शहर में एक गन हाउस में बकायदा एक अस्थायी दफ्तर चल रहा है जहां डोप टेस्ट क्लीयर करवाने से लेकर जिला प्रशासन के पास असलहा ब्रांच से लाइसेंस दिलवाने तक की पूरी प्रक्रिया को 20 से 25 हजार रुपये अतिरिक्त वसूली कर अंजाम तक पहुंचाया जाता है। सिविल अस्पताल के रिकार्ड अनुसार 25 जनवरी 2018 से लेकर 25 जनवरी 2020 तक के दो साल के समय में 13 हजार डोप टेस्ट करवाएं जा चुके हैं। इसमें 1129 लोगों के टेस्ट पॉजिटिव मिले हैं। वर्तमान में सिविल अस्पताल में सरकारी फीस 1500 रुपए प्रति टेस्ट है। वही जिले में एक अनुमान के अनुसार 26 हजार लोगों के पास असला लाइसेंस है। इसमें लाइसेंस रिन्यू करवाने पर भी डोप टेस्ट किया जाता है।