सेहत विभाग ने हेपेटाइटिस-बी को भी आईडीएसपी प्रोग्राम में किया शामिल
सेहत विभाग ने हेपेटाइटिस-बी को भी आइडीएसपी के प्रोग्राम के साथ जोड़ दिया गया है।
नितिन सिगला, बठिडा : राज्य में तेजी से बढ़ रहे हेपेटाइटिस-सी (काला पीलिया) के मरीजों की संख्या को देखते हुए सेहत विभाग ने हेपेटाइटिस-बी को भी आइडीएसपी (इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम) के प्रोग्राम के साथ जोड़ दिया गया है। इसके तहत पहले तीन महीने तक मरीजों के टेस्ट करने और उनकी रिपोर्टिग करने का काम सेहत विभाग द्वारा किया जाएगा। यह प्रोग्राम भी हेपेटाइटिस-सी की तरह ही चलेगा।
गौर हो कि हेपेटाइटिस-सी में मरीज की स्क्रीनिग होने के बाद उसका टेस्ट से लेकर दवा तक का खर्च सब सेहत विभाग द्वारा किया जाता है, जबकि मरीज के स्वास्थ्य होने पर उसे सेहत विभाग द्वारा सर्टिफिकेट भी जारी किया जाता है। इसी तर्ज पर हेपेटाइटिस-बी प्रोग्राम जारी रहेगा। इसके लिए सेहत विभाग ने निर्देश जारी करते कहा है कि हेपेटाइटिस-बी की स्क्रीनिग के लिए सिविल अस्पतालों में चेकअप करवाने के लिए आने वाली गर्भवती, थैलेसीमिक, एचआईवी और डायलसिस के मरीजों की स्क्रीनिग की जाएगी। इसका सबसे अधिक फायदा गर्भवती महिलाओं को होगा, क्योंकि कई बार डिलीवरी के बाद बच्चे को पीलिया होने की शिकायत रहती है। विभाग द्वारा तीन महीने तक हेपेटाइटिस-बी की बीमारी का असर देखा जाएगा, जिसके बाद मरीजों की दवा शुरू की जाएगी।
सेहत व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रदेश के सभी जिला सिविल सर्जनों को नोटिफिकेशन जारी कर हेपेटाइटिस-बी की स्क्रीनिग करने के आदेश जारी किए जा चुके है। वहीं विभाग ने आइडीएसपी विभाग को स्टेट हेल्थ अथॉरिटी द्वारा रिजेंट्स किट्स प्राप्त करने के भी निर्देश दिए है। नोटिफिकेशन के मुताबिक पहले तीन महीने तक सिविल अस्पताल, सब डिवीजनल अस्पताल और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हेपेटाइटिस-बी के मरीजों का फ्री टेस्ट किया जाएगा। टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद मरीज को बनती दवा भी विभाग द्वारा बिना किसी फीस के दी जाएगी। इसका सबसे बड़ा फायदा उन मरीजों को होगा, जिन्हें दूसरी बीमारी के कारण हेपेटाइटिस-बी होने का खतरा बना रहता है।
प्रोग्राम के शुरू होने से पहले सरकारी अस्पतालों में हेपेटाइटिस-ब की बीमारी के इलाज का टेस्ट होता था, लेकिन विभाग के पास मरीज की पहचान और मेडिकल रिपोर्ट नहीं होती थी, लेकिन अब सेहत विभाग ने आइडीएसपी विभाग को निर्देश जारी कर कहा है कि प्रतिदिन सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की आइडीएसपी लेबोरेटरी में होने वाले टेस्टों की रिपोर्ट महीने बाद सेहत विभाग को भेजी जाए।