गुप्ता अस्पताल ने नी-रिप्लेसमेंट कर प्रीतम की लौटाई खुशियां
संवाद सहयोगी, ब¨ठडा गांव बगराड़ी, जिला फरीदकोट के 64 वर्षीय प्रीतम ¨सह करीबन 10 वर्षो से घुटनों में
संवाद सहयोगी, ब¨ठडा
गांव बगराड़ी, जिला फरीदकोट के 64 वर्षीय प्रीतम ¨सह करीबन 10 वर्षो से घुटनों में तकलीफ के जूझ रहे थे, दर्द इतना था कि पिछले तीन सालों में चलने से भी रह गए और उनकी ¨जदगी बिस्तर तक सिमट कर रह गई थी। बेहद देसी इलाज के बावजूद जब कोई फर्क न लगा तो प्रीतम ¨सह का परिवार उन्हें पावर हाउस रोड स्थित गुप्ता अस्पताल में लेकर आया। जहां उन्हें मात्र चार दिनों की नी रिप्लेसमेंट की प्रक्रिया में ही बिना सहारा चलने योग्य कर दिया। गुप्ता अस्पताल से ओर्थोपेडशियंस डॉ. मोहित गुप्ता ने बताया कि घुटनों में वजन अधिक पड़ने और दर्द अधिक समय तक रहने की वजह से घुटने टेडे होने लगे थे। जिस कारण प्रीतम ¨सह का चलना फिरना मुश्किल हो गया था। सभी टेस्ट के बाद प्रीतम ¨सह के घुटने को बदला गया। आपरेशन के बाद मरीज के घुटने सीधे हो गए और वे चलने फिरने में सक्षम हो गया। वहीं, प्रीतम ¨सह ने बताया कि आपरेशन के बाद वे अपने घर के छोटे मोटे काम और अपने नियमित कार्य भी कर पा रहा है। डॉ. मोहित गुप्ता ने बताया कि बदलते लाइफ स्टाइल की वजह से मनुष्य आज किसी न किसी कारण से घुटनों के दर्द से परेशान है। इस की वजह घुटनों में किसी प्रकार की चोट, मोटापा या औस्टियोआर्थेराइटिस होता है। जिनका बीएमआइ (बौडी मास इंडेक्स) अधिक यानी मोटापा अधिक है, उनमें घुटनों के दर्द की शिकायत ज्यादा रहती है। जब दर्द बहुत ही ज्यादा हो जाता है तो घुटने का बदलना ही उपाय रह जाता है। डॉ. मोहित गुप्ता ने बताया कि घुटनों में आर्थेराइटिस होने से कई बार विकलांगता की स्थिति तक आ जाती है। जैसे जैसे घुटने जवाब देने लगते हैं, चलना फिरना, उठना बैठना, यहां तक कि बिस्तर से उठ पाना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में नी रिप्लेसमेंट यानी घुटनों को बदलना एक विकल्प के तौर पर मौजूद है।