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डोर टू डोर जाकर सेहत विभाग ढूंढेगा टीबी मरीज

जिला सेहत विभाग की तरफ से अब टीबी के मरीजों की तलाश डोर टू डोर जाकर की जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 07:49 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 06:29 AM (IST)
डोर टू डोर जाकर सेहत विभाग ढूंढेगा टीबी मरीज
डोर टू डोर जाकर सेहत विभाग ढूंढेगा टीबी मरीज

जासं, बठिडा : जिला सेहत विभाग की तरफ से अब टीबी के मरीजों की तलाश डोर टू डोर जाकर की जाएगी। इसके लिए जिला सेहत विभाग की तरफ से सीएमओ डॉ. अमरीक सिंह संधू की अगुवाई में एक विशेष मुहिम तीन से 14 सितंबर तक चलाई जा रही है। इस मुहिम को लेकर सोमवार को एक मीटिग बुलाई गई, जिसमें ब्लाक एक्सटेनशन एजुकेटर, एलएचवी व टीबी विभाग में काम कर रहे एसटीएस शामिल हुए। जिला टीबी आफिसर डॉ. रोजी अग्रवाल ने बताया कि इस मुहिम के तहत जिले में आते सभी स्लम एरिया व लेबर कालोनियों में टीबी मरीजों की तलाश के लिए सर्वे किया जाएगा। इस सर्वे में दो सदस्यीय टीम डोर टू डोर जाकर सर्वे करेगी और लोगों से टीबी को लेकर कुछ सवाल किए जाएंगे। जिसमें परिवार में किसी भी सदस्य को एक सप्ताह पुरानी खांसी है या शाम के समय बुखार होता है, छाती में दर्द होता है, बलगम में खून आता हो। डॉ. रोजी अग्रवाल ने बताया कि इस सर्वे के दौरान इन लक्षणों से पीड़ित कोई भी व्यक्ति टीम को मिलता है, तो वह उसकी बलगम के नमूने लेकर उसके तुंरत टेस्ट के लिए भेजे जाएंगे। अगर केस पाजिटिव आता है, तो उक्त मरीज को तुरंत नजदीक के सिविल अस्पताल में दाखिल करवाकर उसका टीबी का इलाज शुरू करवाया जाएगा, ताकि समय रहते बीमारी पर कंट्रोल किया जा सके। सीएमओ डॉ. अमरीक सिंह ने अपील कि इस सर्वे का मकसद टीबी से पीड़ित मरीजों को ढूंढकर उनका इलाज करना है, ताकि जिले को टीबी मुक्त करने के अभियान को सफल बनाया जा सके और टीबी मरीजों की संख्या कम की जा सके। उन्होंने अपील कि सेहत विभाग की तरफ से किए जाने वाले इस सर्वे में लोगों की तरफ से पूर्ण सहयोग दिया जाए और टीम द्वारा पूछे जाने वाले सवाल का सही जबाव दिया जा सके, ताकि समय पर मरीजों की पहचान हो सके।

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सेहत विभाग की रिपोर्ट को देखें तो जिले के युवाओं को भी टीबी रोग अपनी गिरफ्त में ले रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में टीबी के कुल मरीजों में से 25 से 40 आयु वर्ग के मरीजों की संख्या 50 प्रतिशत है, जबकि हर साल दो हजार से ज्यादा टीबी के नए मरीज मिल रहे है। यही नहीं मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस व एक्सपेंसिव ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर व एक्सडीआर) टीबी के मामले में भी बढ़ोतरी हो गई है। जो मरीज बीच में ही अपने इस रोग की दवा छोड़ देते हैं, वे अपने लिए तो घातक सिद्ध होते ही हैं, साथ ही समाज के लिए भी खतरनाक हैं। ऐसे लोगों को तपेदिक विग डिफाल्टर रोगियों की लिस्ट में शामिल कर लेता है।

ये लक्षण दिखे तो तुरंत कराएं जांच डॉ. रोजी अग्रवाल ने बताया कि बीमारी की 3 स्टेज होती हैं। पहली अवस्था में पसलियों में दर्द, हाथ-पांव में अकड़न, शरीर में हल्की सी टूटन और बुखार बना रहता है। दूसरी अवस्था में रोगी की आवाज मोटी हो जाती है। पेट दर्द की समस्या होती है। कमर दर्द, बुखार आदि के लक्षण प्रकट होते हैं। तीसरी अवस्था में रोगी को तेज बुखार होता है। तेज खांसी होती है जो उन्हें बहुत ज्यादा परेशान करती है। कफ के साथ सामान्य खांसी और खांसी के साथ खून भी आता है। इससे ज्यादा भयानक स्टेज एक्स डीआर की है। उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों को सेहत विभाग की ओर से 6 से 9 माह तक की दवा मुफ्त व जरूरी टेस्ट भी विभाग की तरफ से किए जाते हैं, जबकि केंद्र सरकार ने मरीजों को पौष्टिक अहार के लिए 500 रुपये भी दिए जा रहे है।


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