सीधी बिजाई वाला धान देखने में ठीक न लगे तो किसान घबराएं नहीं
जिले में इस बार धान की सीधी बिजाई के नीचे 40 फीसद के करीब रकबा आ गया है।
जागरण संवाददाता, बठिडा
बठिडा जिले में इस बार धान की सीधी बिजाई के नीचे 40 फीसद के करीब रकबा आ गया है। जोकि लगभग 37,455 हेक्टेयर बनता है। जबकि पिछले साल के दौरान सिर्फ 2000 हेक्टेयर के करीब ही रकबे में ही धान की सीधी बिजाई हुई थी। अब पूरे जिले में सीधी बिजाई के नीचे रकबा आ गया है। यह जानकारी मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी डॉ. बहादुर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि सीधी बिजाई तकनीक से 6 से 7 हजार रूपये तक खर्च कम आता है। पानी की भी 15 फीसद बचत होती है। इस दौरान फसल को लगाया गया पानी भी जमीन में ही चला जाता है। जबकि हाथों से लगाए गए धान के दौरान पानी हवा में चला जाता है। सीधी बिजाई वाली फसल पहले 15-20 दिन जड़ों का पूरा विकास न होने के कारण बेशक देखने में ठीक नहीं लगती तथा किसान घबराहट में आकर इस पर हल चलाने की सोचने लगते हैं। लेकिन यह किसानों का भ्रम होता है कि शायद फसल कामयाब ना हो। इसलिए किसान चिता में पड़ जाते हैं। लेकिन किसान फसल की ऐसी स्थिति देखकर घबराहट में ना आएं, बल्कि खेतीबाड़ी महकमे के अधिकारियों के साथ संपर्क करें। सीधी बिजाई वाली फसल पर फल ना चलाया जाए, इस बिजाई के बहुत ही बढि़या नतीजे निकलते हैं। क्योंकि राज्य में बहुत सारे किसान इस तकनीक से वर्ष 2009 से धान की बिजाई कर रहे हैं। खेतीबाड़ी अधिकारी ने किसानों से अपील की कि धान की सीधी बिजाई वाली फसल को जिक सल्फेट-21 फीसद 25 किलोग्राम प्रति एकड़ या 33 फीसद जिक सलफेट 16 किलोग्राम प्रति एकड़ डालें।