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गुलाबी सूंडी से डरे किसान, 15 मई तक नरमा की बिजाई करने का टारगेट नहीं हुआ पूरा

गुलाबी सूंडी के कारण बीते साल खराब हुई नरमा की फसल ने किसानों को इतना डरा दिया है कि इस बार जिले में नरमा की बिजाई का टारगेट भी पूरा नहीं हो पाया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 11:39 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 11:39 PM (IST)
गुलाबी सूंडी से डरे किसान, 15 मई तक नरमा की बिजाई करने का टारगेट नहीं हुआ पूरा
गुलाबी सूंडी से डरे किसान, 15 मई तक नरमा की बिजाई करने का टारगेट नहीं हुआ पूरा

साहिल गर्ग, बठिडा

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गुलाबी सूंडी के कारण बीते साल खराब हुई नरमा की फसल ने किसानों को इतना डरा दिया है कि इस बार जिले में नरमा की बिजाई का टारगेट भी पूरा नहीं हो पाया। खेतीबाड़ी विभाग ने जिले में इस बार शुरूआती समय में 80 हजार हेक्टेयर की बिजाई करने का टारगेट लिया था। लेकिन अभी तक केवल 50 हजार के करीब हेक्टेयर में ही नरमा की बिजाई हो पाई। जबकि किसान नरमा की बिजाई न करने के पीछे गुलाबी सूंडी का कारण बता रहे हैं। वहीं अब विभाग की ओर से 65 हजार हेक्टेयर में बिजाई करने का लक्ष्य तय किया गया है। मगर किसानों की दिलचस्पी न होने के कारण यह भी पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है।

नरमा की बिजाई शुरू होने से पहले ही अप्रैल के आखिरी हफ्ते में गुजरात से कपास के बीज बड़ी मात्रा में पंजाब पहुंचे। जिस दौरान गुजरात के व्यापारियों ने पंजाब के किसानों को आश्वासन दिया था कि उन्होंने कपास के ऐसे बीज को तैयार किया है, जिस पर गुलाबी सूंडी या सफेद मक्खी का हमला नहीं होता। लेकिन किसानों ने जब इन बीजों की बिजाई की तो न तो फसल हुई, साथ ही पैकेट से निकलने वाले बीजों की हालत भी ठीक नहीं थी। हालांकि इस बारे में खेतीबाड़ी विभाग ने टीमों का गठन कर चेकिग भी की। लेकिन जिन गांवों के किसानों ने फसल की बिजाई की थी, उनको अपने खेतों में हल चलाना पड़ा। जबकि केंद्र सरकार की ओर से बीटी कपास के दाम में 43 रुपये प्रति पैकेट की बढ़ोतरी कर देने का फायदा गुजरात के बीज व्यापारियों ने उठाया। वहीं गुजरात से खरीदे गए बीटी सीड्स किग गार्ड व किसान 2122 के पैकेट से गुलाबी सूंडी निकली। दूसरी ओर बठिडा के चीफ एग्रीकल्चर अफसर डा. पाखर सिंह का कहना है कि अभी तक कपास की ऐसी कोई किस्म विकसित नहीं हुई है, जिस पर सफेद मक्खी या गुलाबी सूंडी का हमला न हो। जबकि 2015 में सफेद मक्खी के प्रकोप व बीते साल गुलाबी सूंडी के प्रकोप से किसान पहले से ही फसल खराब होने से डरे हुए हैं। जबकि अभी तक टारगेट तो पूरा नहीं हुआ, लेकिन फिर भी किसानों को जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए जिले में टीमों का भी गठन किया गया है।

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किसानों ने कहा: गुलाबी सूंडी से डरे कियान

गांव मलकाना के किसान सुखपाल सिंह का कहना है कि जब उन्होंने गुजरात से लाई कपास की बुवाई शुरू की तो पैकेट में से तीन-चार गुलाबी सुंडियां बीज के साथ निकलीं। इसकी जानकारी उन्होंने अन्य किसानों को दी, जिसके बाद उन्होंने गुजराती बीजों के बचे हुए पैकेट किसानों के सामने खोले। जहां बीज में गुलाबी सूंडी पाई गई। वहीं कपास के बीज में सुंडियों के छेद दिखाई दे रहे थे। लेकिन अब किसान इतना ज्यादा डर गए हैं कि नरमा की फसल की बिजाई करने से परहेज करने लगे हैं। दूसरी तरफ दैनिक जागरण की ओर से गुजराती बीज से गुलाबी सूंडी निकलने का मुद्दा उठाए जाने के बाद कृषि विभाग ने गैर कानूनी रूप से नरमा के बीज की बिक्री पर रोक लगाने के लिए राज्य भर में अधिकारियों की अलग-अलग टीमें गठित करने का आदेश दिए। कृषि विभाग के डायरेक्टर गुरविदर सिंह ने जहां पुलिस से नकली बीटी बीजों की बिक्री पर रोक लगाने में मदद मांगी। वहीं बठिडा, मानसा व फाजिल्का के मुख्य कृषि अधिकारियों को भी जिला पुलिस प्रमुखों को गैर कानूनी बीजों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए पत्र लिखने के लिए कहा। बीत साल राज्य में कपास की बुवाई 3.03 लाख हेक्टेयर में की गई थी।

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ऐसे कम होती गई पैदावार

साल रकबा पैदावार

2019-20 78 893

2021-21 81 815

2021-22 76 210

नरमा का रकबा हेक्टेयर में व पैदावार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर में

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ऐसे लिया था टारगेट

ब्लाक गांव 2020 2021 2022

तलवंडी साबो 48 28808 26000 26500

बठिडा 61 14990 14000 15000

संगत 38 20053 20000 21500

मौड़ 36 7983 8000 8500

रामपुरा 30 4614 4000 4000

नथाना 33 3356 3000 3500

फूल 46 1099 1000 1000

कुल 292 80903 76000 80000

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एक साल में 60 फीसद कम हुई आवक

साल आवक

2020-21 11,57,356

2021-22 4,65,473

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2 सालों में इतना रेट मिला

साल न्यूनतम अधिकतम

2020-21 3300 5880

2021-22 5600 10800


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