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इमरजेंसी वार्ड में 24 घंटे तक मरीजों को मिलने वाली मुफ्त उपचार की सुविधा रहेगी जारी

इमरजेंसी वार्ड में 24 घंटे तक मरीजों को मिलने वाला मुफ्त उपचार 11 फरवरी से सेहत विभाग ने बंद कर दिया था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 11:35 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 06:14 AM (IST)
इमरजेंसी वार्ड में 24 घंटे तक मरीजों को मिलने वाली मुफ्त उपचार की सुविधा रहेगी जारी
इमरजेंसी वार्ड में 24 घंटे तक मरीजों को मिलने वाली मुफ्त उपचार की सुविधा रहेगी जारी

जासं,बठिडा : इमरजेंसी वार्ड में 24 घंटे तक मरीजों को मिलने वाला मुफ्त उपचार 11 फरवरी से सेहत विभाग ने बंद कर दिया था। इसमें साथ ही विभाग ने 5 वर्ष तक के बच्चों की ओपीडी स्लिप से लेकर उपचार तक, मिलने वाली फ्री सुविधा भी बंद कर दी गई थी। इसमें राज्य भर में लोगों की तरफ से किए गए विरोध के बाद जारी आदेश के चार दिन बाद शनिवार को सेहत विभाग ने यूटर्न लेते जारी आदेश को वापिस ले लिया है। इस बात की पुष्टि सिविल सर्जन बठिडा डा. अमरीक सिंह ने करते कहा कि सेहत व परिवार भलाई मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू व परिवार भलाई विभाग के डायरेक्टर की तरफ से एक पत्र जिला दफ्तरों को जारी किया गया है इसमें सरकारी अस्पतालों इमरजेंसी मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए पहले जारी 24 घंटे दौरान फ्री सेवा देने व एक से 5 साल तक की बच्चियों के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा जारी रहेगी। गत मंगलवार की सुबह से इमरजेंसी व पांच साल तक के बच्चों को मिलने वाली सुविधाएं पूरी तरह से बंद कर दी गई थी। उक्त सुविधाओं के बंद कर दिए जाने से सरकारी अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड में दाखिल होने वाले मरीजों को अपने उपचार के पूरे पैसे देने पड़ रहे थे। इसमें सर्वाधिक परेशानी गरीब परिवारों को उठानी पड़ रही थी। सिविल अस्पताल में प्रतिदिन एक हजार मरीजों की ओपीडी है जिसमें करीब 60 से 70 लोग प्रतिदिन दाखिल होते हैं। अब एक बार फिर से सेहत विभाग द्वारा इमरजेंसी में दाखिल होने वाले सभी मरीजों का दाखिल होने के समय से लेकर अगले 24 घंटे तक उपचार निशुल्क किया जाएगा। पांच साल तक के बच्चों की ओपीडी स्लिप से लेकर जांच व दवाएं भी निशुल्क रहेगी। उक्त सुविधाओं के बंद होने के पीछे सेहत विभाग के अधिकारियों द्वारा तर्क दिया जा रहा था कि विभाग को निचले स्तर से डाटा ही अपडेट होकर नहीं मिल रहा था, कि कितने लोगों का इमरजेंसी 5 साल के बच्चों का उपचार निशुल्क किया जा रहा है। कुछ लोग इमरजेंसी में दाखिल होकर 24 घंटे तक अपनी सभी जांच फ्री में करवा लेते थे, जिससे विभाग को नुकसान हो रहा था, जिसे देखते हुए विभाग द्वारा उक्त सुविधाओं को बंद करने का फैसला लिया गया था। इसके बाद राज्य भर में विरोध के स्वर उठने लगे थे।

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