Move to Jagran APP

प्रदेश के पहले ड्राइविग टेस्ट ट्रैक की इमारत ही नहीं बनवा पाया प्रशासन

साल 2015 में शुरू हुए ऑटोमेटिड ड्राइविग टेस्ट ट्रैक को चार साल भी इमारत नहीं मिल पाई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 06:32 PM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 06:33 AM (IST)
प्रदेश के पहले ड्राइविग टेस्ट ट्रैक की इमारत ही नहीं बनवा पाया प्रशासन
प्रदेश के पहले ड्राइविग टेस्ट ट्रैक की इमारत ही नहीं बनवा पाया प्रशासन

जासं, बठिडा : जिले के गांव नरुआणा में साल 2015 में शुरू हुए ऑटोमेटिड ड्राइविग टेस्ट ट्रैक को चार साल भी इमारत नहीं मिल पाई। यह पंजाब के पहले ड्राइविग टेस्ट ट्रैक की इमारत थी, जिसको अभी भी पूरा होने का इंतजार है। जबकि इस इमारत का निर्माण शुरू करने से पहले 65 लाख रुपये का बजट पास किया गया था, जिसके साथ इसकी बाहरी दीवारें, कमरे व सीढि़यां ही तैयार हो गई। इसके बाद पैसा खत्म हो गया तो उसको अधूरा ही छोड़ दिया। यहां तक कि सीढि़यों व पहली मंजिल का फर्श भी नहीं लगाया गया। वहीं अब इमारत को पूरा करने के लिए 27 लाख रुपये का ओर एस्टीमेट तैयार किया गया है, जिसको मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा है। मगर अभी तक न तो एस्टीमेट पास हुआ है न ही कोई फंड का इंतजाम हुआ है। इसमें प्रशासन की कार्रवाई पर यह भी सवाल खड़े होते हैं कि पंजाब के बाकी सभी जिलों में बठिडा के बाद ड्राइविग टेस्ट ट्रैक बनाने का काम शुरू हुआ, लेकिन उनकी इमारतों को तैयार कर दिया गया है। मगर बठिडा की पहली इमारत आज भी चार साल ऐसे ही बीच में लटक रही है।

loksabha election banner

हर रोज आते हैं यहां पर 400 लोग नरुआणा में बनाए गए ड्राइविग टेस्ट ट्रैक पर हर रोज 400 के करीब लोग अपने विभिन्न प्रकार के कामकाज के लिए आते हैं। यहां पर इस समय तीन काम एक साथ चलते हैं। इसमें सबसे अहम ड्राइविग लाइसेंस हैं, जिनको बनवाने के लिए आने वाले लोगों की गिनती 250 के करीब होती है। वहीं अब यहां पर हाई सिक्योरिटी नंबरप्लेट लगाने का काम भी चलाया जा रहा है, जिसके चलते यहां पर हर रोज 100 के करीब लोग अपने वाहनों पर नंबरप्लेट लगवाने के लिए पहुंचते हैं। इसके अलावा वाहनों की पासिग करने का काम भी यहीं पर होता है। मगर इसके बावजूद भी इमारत को पूरा करने का प्रयास नहीं किया गया। जबकि हर रोज आने वाले लोगों के अलावा स्टाफ सदस्यों के सामने सबसे बड़ी समस्या शौचालय की है, क्योंकि जिस जगह पर अब काम चल रहा है वहां पर कोई भी शौचालय नहीं है, जबकि आने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है।

इस समय हैं यह हालात ड्राइविग लाइसेंस बनाने का काम तो पुरानी इमारत में ही चल रहा है। जबकि जहां पर नई इमारत बनती थी, वहां पर इस समय एक कमरे में तो मेडिकल होते हैं और बाकी कमरे अधूरे होने के कारण खाली पड़े हैं। इसी प्रकार पहली मंजिल पर एक कमरे में वाहनों की हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट निकालने की मशीन है तो दूसरे कमरे में पासिग का रिकार्ड पड़ा है। इसके अलावा नीचे सीढि़यों के पास नंबर प्लेटों की फीस जमा होती है। पूर्व मुख्यमंत्री ने किया था उद्घाटन इस सेंटर के लिए मारूति कंपनी के साथ उनका टाईअप हुआ है। ट्रैक के लिए रेडक्रॉस की सवा एकड़ जमीन 75 हजार रुपए वार्षिक लीज पर ली है। इसको शुरू करने का मकसद बोगस ड्राइविग लाइसेंस पर बैन लगाना है। जबकि इमारत तैयार हो जाने के बाद डीटीओ दफ्तर को भी यहीं पर शिफ्ट कर देने की योजना थी। गौर हो कि पंजाब के पहले ऑटोमेटिड ड्राइविग टैस्ट सेंटर का डिप्टी पूर्व सीएम सुखबीर बादल ने नींव पत्थर रखा था। जिसका उद्घाटन 15 अप्रैल 2015 को सीएम प्रकाश सिंह बादल ने किया था। जिस दौरान ऐलान किया था कि पंजाब में 32 ऐसे ओर सेंटर स्थापित किए जाएंगे, जिसके बाद पंजाब में तो बन गए, लेकिन बठिडा में अभी भी अधूरा है।

बजट के लिए भेजा है एस्टीमेट नरुआणा में अधूरी पड़ी इमारत को पूरा करने के लिए सरकार को एस्टीमेट भेजा गया है। जबकि इमारत के लिए आया 65 लाख रुपए का बजट खर्च हो गया था। जिसके बाद अब काम पूरा करने के लिए 27 लाख रुपए का एस्टीमेट तैयार किया गया है। जिसकी मंजूरी मिलने के बाद काम शुरू हो जाएगा। इस संबंध में मीटिग में भी बात की जाएगी।

उदयदीप सिंह सिद्धू, आरटीए सचिव, बठिडा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.