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जिले में डेंगू के मरीजों का आंकड़ा सौ के पार

डेंगू के लिए जिम्मेदार मादा एडीज मच्छर का डंक भी तेज हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 07:45 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 06:09 AM (IST)
जिले में डेंगू के मरीजों का आंकड़ा सौ के पार
जिले में डेंगू के मरीजों का आंकड़ा सौ के पार

नितिन सिगला, बठिडा : डेंगू के लिए जिम्मेदार मादा एडीज मच्छर का डंक भी तेज हो गया है। पिछले एक सप्ताह में ही जिले के 33 लोग इसका डंक लगने के कारण डेंगू के कंफर्म मरीज बन चुके हैं, जिस कारण मंगलवार तक डेंगू के मरीजों की संख्या सेंचुरी हो गई है। सेहत विभाग का कहना है कि 15 नवंबर तक का समय डेंगू के लिए डेंजर पीरियड है। लिहाजा इसके डंक से बचने के लिए खुद भी सावधान रहना पड़ेगा। सेहत विभाग के आंकड़ों के मुताबिक एंटी लारवा टीमें लगातार काम कर रही हैं। लोगों के घरों, स्कूलों-कॉलेजों और सरकारी विभागों तक में जाकर कूलरों, छतों पर पड़े पुराने बर्तनों की चेकिग की जा रही है, ताकि अगर कहीं डेंगू का लारवा दिखाई दे तो उसे तुरंत नष्ट किया जा सके। अब तक टीमें शहर के 30 हजार घरों का सर्वे करके 1500 जगहों पर लारवा नष्ट कर चुकी है। इसके बावजूद डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कुछ दिनों में 33 नए केस आने से अब यह संख्या 100 का आंकड़ा पार कर चुकी है। यह मच्छर इसलिए भी खतरनाक है कि सिर्फ 48 से 72 घंटे तक एक ही बर्तन में जमा पानी में अंडे दे देता है और यह अंडे सात दिनों के भीतर मच्छर बनकर डंक मारना शुरू कर देते हैं। एक मादा मच्छर एक समय में 100 से लेकर 300 तक अंडे देती है। एक चम्मच पानी में भी पैदा हो

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जाता है डेंगू का लारवा

जिला एपिडिमोलॉजिस्ट डॉ. उमेश गुप्ता के मुताबिक डेंगू को अपना लारवा पैदा करने के लिए मात्र एक चम्मच (10 एमएल) पानी ही काफी होता है। किसी बड़े पत्ते पर अगर 48 से 72 घंटे पानी जमा रह जाए तो वहां भी लारवा पैदा हो सकता है। इसे मच्छर बनने के लिए सात दिन का समय लगता है। इसके डंक से बचने के लिए पूरी बाजू के कपड़े पहनें। रात को सोते समय मच्छरदानी या एंटी मॉस्किटो लोशन इत्यादि का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। डॉ. उमेश गुप्ता ने शहरवासियों से अपील की है कि 15 नवंबर तक का समय डेंगू के लिए डेंजर पीरियड है। इस कारण शहर के लोग डेंगू से बचने के लिए खुद भी जागरूक हों।

बठिंडा अर्बन में अब तक 76 मरीजों की पुष्टि हुई

सेहत विभाग की मानने इस साल अब तक बठिडा जिले में 100 डेंगू मरीजों की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें बठिडा अर्बन में 76, गोनियाना मंडी में 8, तलवंडी साबो में 4,भगता भाईका में 2, नथाना में 3, बालियांवाली में 2, संगत मंडी 3 और मौड़ मंडी में 1 डेंगू के मरीज मिल चुके है। सिविल अस्पतालों में डेंगू का

इलाज फ्री : सीएमओ डॉ. संधू

सीएमओ डॉ. अमरीक सिंह संधू का कहना है कि जिले के सभी सिविल अस्पतालों में डेंगू का इलाज फ्री किया जाता है। सिविल अस्पताल में आने वाले मरीजों के सभी टेस्ट से लेकर दवा तक फ्री दी जाती है। सिविल अस्पताल में विशेष तौर पर डेंगू वार्ड बनाया गया है, जहां हर बेड पर मच्छरदानी लगाई गई है।

वायरल फीवर और मलेरिया

के लक्षण एक जैसे

इस सीजन में वायरल फीवर और मलेरिया के लक्षण भी डेंगू से मिलते जुलते हैं। तीनों बीमारियों के फीवर कॉमन है और इसके अलावा बदन दर्द भी होता है। फीवर रुक-रुक कर आता है जिससे डॉक्टरों को डेंगू और मलेरिया की जांच कराने पर मजबूर होना पड़ता है। डाक्टरों का कहना है कि कई बार जरा सी लापरवाही से मरीज के इलाज में काफी दिक्कते पैदा होती है। अक्टूबर में सबसे

ज्यादा फैलता है डेंगू इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। ऐसे में आपको इस वक्त सबसे ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। डेंगू का मच्छर काटते ही आपको डेंगू के लक्षण नहीं होने लगेंगे, जबकि कुछ दिनों बाद आप पर इसका प्रभाव हो सकता है। एडीज मच्छर द्वारा काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। डेंगू के मच्छर दिन में खासकर सुबह के वक्त काटते हैं। वहीं अगर रात में रोशनी ज्यादा है तो भी यह मच्छर काट सकते हैं। शरीर को पूरा ढकने वाले कपड़े पहनने चाहिए।


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