Move to Jagran APP

दो साल की कैद के बाद अदालत ने किया बाइज्जत बरी

प्रतिबंधित दवा की तस्करी के आरोपों का सामना कर रहे मंडी कलां निवासी युवक की बहुचर्चित खुदकशी मामले में शुक्रवार को पुलिस ने मामले में नामजद उसके दूसरे साथी को बाइज्जत बरी कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Mar 2018 02:58 AM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 02:58 AM (IST)
दो साल की कैद के बाद अदालत ने किया बाइज्जत बरी
दो साल की कैद के बाद अदालत ने किया बाइज्जत बरी

जागरण संवाददाता, ब¨ठडा : प्रतिबंधित दवा की तस्करी के आरोपों का सामना कर रहे मंडी कलां निवासी युवक की बहुचर्चित खुदकशी मामले में शुक्रवार को पुलिस ने मामले में नामजद उसके दूसरे साथी को बाइज्जत बरी कर दिया। बचाव पक्ष के वकील रणधीर कौशल व कर्मजीत ¨सह जिऔंद की दलीलों से सहमत होते हुए तथा सबूतों के अभाव में अतिरिक्त जिला सेशन जज कंवलजीत ¨सह की अदालत ने केस का सामना कर रहे जगपाल ¨सह पुत्र हरगो¨बद ¨सह को बाइज्जत बरी किया। इस केस में नामजद भू¨पदर ¨सह को पुलिस ने तफ्तीश के दौरान पहले ही बेगुनाह करार दे दिया था, मगर पुलिस कर्मी की ज्यादती के कारण उसने खुदकशी कर ली थी। बता दें कि पुलिस की सीआइए टीम ने 21 मार्च 2016 को दावा किया था कि मोड़ मंडी के निकट की गई नाकाबंदी के दौरान उसने बाइक सवार दो युवकों के कब्जे से 50 शीशी प्रतिबंधित दवा बरामद की हैं। उनकी पहचान मंडी कलां निवासी जगपाल ¨सह व भू¨पदर ¨सह के रूप में बताई गई। दोनों पर एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया गया। मगर अदालत ने शुक्रवार हुई सुनवाई के दौरान जेल में बंद जगपाल को बरी करके उसे रिहा करने के आदेश दे दिए।

prime article banner

पुलिस की धक्केशाही से युवक ने की थी खुदकशी

पुलिस द्वारा झूठा केस दर्ज करने तथा अदालत में गवाही से मुकरने के लिए लाखों रुपये की मांग करने के चलते केस में नामजद भु¨पदर ¨सह ने खुदकशी कर ली थी। इससे भड़के लोगों ने करीब दस दिन तक रामपुरा-मोड़ सड़क पर जाम लगा कर रखा था। युवक ने अपने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए सीआइए स्टाफ के एएसआइ जगरूप ¨सह तथा केस के प्राइवेट गवाह सतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराया था। भारती किसान यूनियन सिधूपुर ने पुलिस मुलाजिम पर केस दर्ज करने के लिए दस दिन तक संघर्ष किया। तब तक भू¨पदर ¨सह का अंतिम संस्कार भी नहीं किया गया, जिसके चलते यह केस बेहद चर्चित हो गया था। बाद में इस मामले को लेकर दोनों पक्ष में समझौता हो गया। भारती किसान यूनियन के महासचिव रेशम ¨सह यात्री का कहना है कि अदालत के फैसले से यह साबित हो गया है कि पुलिस ने दोनों युवकों पर झूठा केस दर्ज किया था। वो अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.