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जनता से नाता तोड़ विदेश में बैठे पार्षद अब वोट देने आएंगे बठिडा!

शहर के दो पार्षद अपने-अपने वार्डों की जनता से नाता तोड़कर पिछले करीब सात माह से विदेश में बैठे है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 12:25 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 06:30 AM (IST)
जनता से नाता तोड़ विदेश में बैठे पार्षद अब वोट देने आएंगे बठिडा!
जनता से नाता तोड़ विदेश में बैठे पार्षद अब वोट देने आएंगे बठिडा!

सुभाष चंद्र, बठिडा : शहर के दो पार्षद अपने-अपने वार्डों की जनता से नाता तोड़कर पिछले करीब सात माह से विदेश में बैठे हैं, लेकिन न तो उन्हें खुद उनको चुनने वाले लोगों की दिक्कतों-जरूरतों की कोई परवाह है और न ही नगर निगम पर शासित अकाली-भाजपा के पदाधिकारियों और अधिकारियों को। दोनों ही पार्षद नगर निगम हाउस पर सत्तासीन अकाली-भाजपा गठबंधन से भाजपा के हैं। प्रति माह 18 हजार रुपये भत्ता भी उनके खाते में जा रहा है। जबकि उनके वार्डों के बाशिदे अपने कामकाज के लिए अन्य वार्डों के पार्षदों के पास जाने के लिए मजबूर हैं। इन दोनों पार्षदों के वार्ड विकास कार्यों के मामले में भी लावारिस हुए पड़े हैं। पिछले सात महीनों से निगम के जनरल हाउस में इन वार्डों की समस्याएं उठाने वाला कोई नहीं है। उधर, हैरानीजनक बात यह है कि अब जब मेयर की ओर से विपक्षी कांग्रेसी पार्षदों की मांग पर इस 27 सितंबर को अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ है तो उन्हें अपनी कुर्सी के लिए उक्त पार्षदों की भी याद आ गई है। अकाली-भाजपा गठबंधन की ओर से अब उक्त दोनों ही पार्षदों से 27 सितंबर की बैठक में आने को लगातार संपर्क साधा जा रहा है। चीमा और सुखमंदर लगातार तीन मीटिगों से गैरहाजिर वार्ड नंबर 16 से पार्षद अरविद किरन चीमा और वार्ड नंबर 22 से पार्षद सुखमंदर सिंह नगर निगम की जनरल हाउस की बीती 27 फरवरी को हुई बैठक में आखिरी बार देखे गए थे। इसके बाद जनरल हाउस की तीन बैठकें हो चुकी हैं। जिनमें बीती 12 जुलाई, 22 जुलाई और बीती 13 सितंबर की बैठक शामिल है। निगम हाउस के हाजिरी रजिस्टर के अनुसार उक्त तीनों ही बैठकों से भाजपा के यह पार्षद गैरहाजिर रहे हैं। अरविद किरन चीमा तो पिछले लंबे समय से ही अपने परिवार समेत विदेश में सैटल हैं। लेकिन अब बताया जा रहा है कि यह दोनों पार्षद कांग्रेसी पार्षदों के अविश्वास प्रस्ताव के चलते 27 सितंबर की बैठक में शामिल होने पहुंच रहे हैं। चूंकि अकाली-भाजपा गठबंधन की ओर से बैठक में आने के लिए उनसे लगातार संपर्क किया जा रहा है। जहां नेता खुद संपर्क कर रहे हैं, वहीं उनके नजदीकियों से भी बैठक में हर हाल में हाजिर होने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। बेशक कुछ पार्षद उनके आने पर आशंका भी जता रहे हैं। गठबंधन के कुछ पार्षदों को बाहर ले जाने की कोशिश अकाली-भाजपा गठबंधन की ओर से अपने कुछ पार्षदों को शहर से बाहर किसी अज्ञात स्थान पर लेकर जाने की कोशिशें भी तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि विरोधी किसी तरह का दबाव या लालच देकर उन्हें इस कहीं बैठक से गैरहाजिर न कर दें या फिर अपने खेमे में न शामिल कर लें। जिसके चलते इस स्थिति से बचाने के लिए उन्हें किसी सुरक्षित स्थान पर लेकर जाया जा सकता है। गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं ने शहर के शिअद के प्रमुख नेताओं से भी इस मामले में बातचीत की जा रही है। योजना है कि 27 सितंबर को तीन बजे होने वाली बैठक में ही इन पार्षदों को सीधा बाहर से लाया जाए। तब तक यह बाहर ही रहें। पत्र देने वाले कांग्रेसी पार्षदों में मायूसी का आलम बढ़ा मेयर की ओर से बहुमत साबित करने के लिए बैठक बुला लेने की बाद इसकी मांग करने वाले कांग्रेसी पार्षदों के खेमों में अत्यंत मायूसी का आलम है। बीती 13 सितंबर को अविश्वास पत्र देने के बाद से कांग्रेसी पार्षदों की आपस में अभी तक एक भी बैठक नहीं हुई है। जबकि 50 सदस्यीय निगम हाउस में जहां इस समय दोनों गुटों के पास 24-24 पार्षदों का आंकड़ा है, वहीं अकाली-भाजपा गठबंधन की ओर से विदेश गए हुए दोनों पार्षदों को भी बैठक में बुलाया जा रहा है। सुपरिंटेंडेंट की पड़ताल की ड्यूटी लगाई : कमिश्नर

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उधर, नगर निगम कमिश्नर बिक्रमजीत सिंह शेरगिल ने इस मामले में कहा कि इन दोनों पार्षदों ने विदेश जाने के लिए किसी तरह की कोई परमीशन ली या है नहीं, इसकी पड़ताल के लिए सुपरिंटेंडेंट मक्खन लाल की ड्यूटी लगाई गई है। लगातार कितनी मीटिगों से गैरहाजिर रहा जा सकता है, इसकी भी जानकारी प्राप्त की जा रही है।


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