गुरप्रेम लहरी बठिडा
पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल के विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस पार्षदों पर उनका प्रभाव खत्म होना शुरू हो गया है। यही कारण है कि बठिंडा नगर निगम की पहली महिला मेयर रमन गोयल की कुर्सी को खतरा बढ़ने लगा है। उनके अपने ही उनकी कुर्सी छीनने पर लगे हुए हैं। कांग्रेस पार्टी के ही पार्षद अब बगावत पर उतर आए हैं। पार्षदों का आरोप है कि पूर्व वित मंत्री द्वारा कांग्रेस पार्षदों के हक पर डाका मारते हुए रमन गोयल को मेयर बनाया गया। वह पहली बार ही पार्षद चुनी गई थीं, लेकिन फिर भी उनको मेयर बना दिया गया, जबकि उनसे तो बहुत सीनियर पार्षद बैठे हुए थे। मेयर के खिलाफ कांग्रेस के 41 में से 18 पार्षद खुल कर मैदान में उतर चुके हैं, जबकि कुछेक अंदरखाते विरोध में हैं। ऐसे में कभी भी मेयर की कुर्सी छिन सकती है।
पार्षदों का आरोप है कि जिस महिला को कांग्रेस द्वारा मेयर बनाया गया है, उनके पास कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता भी नहीं है। मनप्रीत बादल द्वारा उनको बिना कांग्रेस में शामिल कराए ही कांग्रेस का टिकट दे दिया गया। यह पहले से ही तय था कि मेयर रमन गोयल को ही बनाया जाएगा। मनप्रीत बादल के हारने का कारण भी इनको मेयर बनाया जाना है। उन्होंने पूछा कि क्या बाकी के कांग्रेस वर्कर सिर्फ दरीयां बिछाने के लिए हैं? 29 जून को जनरल हाउस की मीटिंग रद करने पर भड़के पार्षद बठिडा निगम के जनरल हाउस की 29 जून को बैठक बुलाई गई थी, लेकिन एक दिन पहले ही मीटिग को स्थगित कर दिया गया। कारण यह बताया गया कि मेयर को अचानक बाहर जाना पड़ रहा है। इस कारण बैठक रद की जाती है। इससे कांग्रेस के ही पार्षद खफा हो गए। कांग्रेस के 41 में से 18 पार्षद उनके खिलाफ कमिश्नर से मिले, लेकिन कमिश्नर ने भी अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि मीटिग बुलाना उनके अधिकारी क्षेत्र में नहीं आता। वहीं मीटिग रद करने का विरोध करने वाले कांग्रेस के पार्षदों का तर्क था कि अगर मेयर को बाहर जाना पड़ रहा था तो उनकी जगह पर सीनियर डिप्टी मेयर बैठक की अध्यक्षता कर सकते थे, लेकिन बैठक जानबूझ कर रद की गई, क्योंकि मेयर को भनक लग गई थी कि इस बैठक में उनका कांग्रेस के पार्षदों ही विरोध करेंगे और मेयर बदलने की बात चलेगी। इस कारण उनके द्वारा मीटिग को रद कर दिया गया।
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