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निगम के लिए समझौता हो गया बड़ा, थड़ा तो वहीं खड़ा

सुभाष चंद्र, ब¨ठडा परस राम नगर के जिस एक थड़े को लेकर निगम के मी¨टग हॉल से लेकर निग

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 06:47 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 06:47 PM (IST)
निगम के लिए समझौता हो गया बड़ा, थड़ा तो वहीं खड़ा
निगम के लिए समझौता हो गया बड़ा, थड़ा तो वहीं खड़ा

सुभाष चंद्र, ब¨ठडा

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परस राम नगर के जिस एक थड़े को लेकर निगम के मी¨टग हॉल से लेकर निगम परिसर और बाहर सड़क तक इतना बवाल हुआ कि एक एसडीओ रा¨जदर कुमार को सस्पेंड करने का प्रस्ताव पास किया गया। निगम कर्मियों के तीन दिन तक हड़ताल पर चले जाने से सरकार को लाखों रुपये की रिक्वरी और महानगर के हजारों लोगों के काम प्रभावित हुए। वह मामला एक पल में मेयर बलवंत राय नाथ के कार्यालय में हल हो गया है। थड़े के मसले को उठाने से वार्ड 42 के पार्षद प्रदीप गोयल ने जिस थड़े के मालिक दुकानदार नरोतम कुमार से अपनी जान तक को खतरा बता डाला था, वे अब दोनों गलबहियां हो गए हैं। यह अलग बात है कि बतौर पार्षद जो थड़ा पूरी गली के लोगों के लिए आनेजाने में बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ था, वह आज भी वहीं का वहीं खड़ा है। लेकिन दोनों के गलबहियां होने का फायदा पार्षद से लेकर थड़े के मालिक और निगम अधिकारियों तक सबको हुआ है। पार्षद को अनहोनी के भय से छुटकारा मिल गया है और दुकान मालिक का थड़ा टूटने से बच गया है। सर्वाधिक लाभ निगम को हुआ है। थड़े को गिराना उनके गले की फांस बन गया था, लेकिन अब दोनों के समझौते से थड़े को गिराने की कार्रवाई से मुक्ति मिल गई है। थड़े के विवाद को लेकर कब-कब क्या-क्या हुआ

पार्षद प्रदीप ने 20 अप्रैल को हाउस की बैठक में थड़े की मौखिक शिकायत पर एसडीओ रा¨जदर की ओर से कोई सुनवाई न करने पर अपना अपमान बताते हुए हंगामा किया। अन्य पार्षदों ने भी उसका समर्थन कर एसडीओ को सस्पेंड करने की मांग की। हाउस ने एसडीओ को सस्पेंड करने का प्रस्ताव पारित कर दिया।

26 अप्रैल को सस्पेंशन के प्रस्ताव के विरोध में अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। तीन दिन तक हड़ताल चली। इस दौरान दुकान के मालिक नरोत्तम भी धरने में शामिल हुआ और पार्षद प्रदीप पर कई गंभीर आरोप भी लगाए। लंबी खींचतान पर की जा रही हड़ताल पर आखिर मेयर सहित पार्षदों को झुकना पड़ा और प्रस्ताव रद करने की बात स्वीकार की।

6 जून को फिर हुई हाउस की बैठक में पार्षद प्रदीप ने फिर से थड़ा अभी तक न गिराए जाने का मुद्दा उठाया और यह भी कहा कि दुकान के मालिक नरोत्तम से उसे जान का खतरा है। उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं। उसकी गली में लगे बोर्ड पर कालिख पोती जा चुकी है। अगर उसे कुछ हो गया तो उसके लिए निगम जिम्मेदार होगा। उसके फिर से हंगामे पर हाउस में मेयर ने थड़ा गिराने और पुलिस के पास शिकायत करने का सख्त आदेश दिया।

दो दिन बाद 8 जून को मेयर के दफ्तर में दोनों के बीच समझौता हो गया। दोनों ने एक दूसरे को लड्डू खिलाए और जफ्फी डाल ली। नरोत्तम ने लिखित रूप में प्रदीप के खिलाफ बोले गए अपशब्दों की माफी मांग ली और कहा कि वह उसके खिलाफ सभी बातें तैश में आकर बोल गया था। उसकी बातों में कोई सच्चाई नहीं थी। थड़े के मुद्दे पर अभी भी कायम : पार्षद

पार्षद प्रदीप गोयल ने दोनों के बीच समझौता होने की पुष्टि करते हुए कहा कि थड़े का मुद्दा जनहित से जुड़ा है। वह मुद्दे पर अभी भी कायम हैं। लेकिन कार्रवाई तो निगम ने ही करनी है। निगम मेयर बोले, पता कर कल बताएंगे

मेयर बलवंत राय से जब पूछा गया कि समझौता तो हो गया, लेकिन थड़ा तो वहीं का वहीं खड़ा है तो उन्होंने कहा कि वह इसके बारे में कल पता कर बताएंगे।


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