कबड्डी खिलाड़ी की हत्या मामले में तीन पुलिसकर्मी सस्पेंड
गांव चाउके में कबड्डी खिलाड़ी हरविदर सिंह की मौत के बाद मामला गंभीर होता जा रहा है।
जागरण संवाददाता, बठिडा/रामपुरा फूल: गांव चाउके में कबड्डी खिलाड़ी हरविदर सिंह की मौत के बाद मामला गंभीर होता जा रहा है। इस मामले में पुलिस के तीन मुलाजिमों को सस्पेंड कर दिया गया है, वहीं गांव के लोग भी दो गुटों में बंट गए हैं। इसके लिए किसान नेताओं की आइजी व एसएसपी के साथ हुई मीटिग भी बेनतीजा रही। गांव के लोगों का धरना तीसरे दिन भी जारी रहा। डीएसपी फूल जसवीर सिंह के अनुसार जिन तीन मुलाजिमों को मुअत्तल किया गया है, उनमें एक मुंशी व दो होमगार्ड शामिल हैं। बाकी सारे स्टाफ को ट्रांसफर कर दिया गया है। इससे पहले चौकी इंचार्ज रुपिदर कौर को पुलिस लाइन में तलब किया गया है। दूसरी तरफ एसएसपी भूपिदरजीत सिंह विर्क ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस टीम आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए छापामारी कर रही है।
तीन सप्ताह पहले गांव चाउके में दो पक्षों में झगड़ा हुई था, जहां कुछ हथियारबंद नौजवानों ने कबड्डी खिलाड़ी हरविदर सिंह की बुरी तरह से मारपीट की। इसके बाद पुलिस ने कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज कर लिया। मगर तीन दिन पहले हरविदर सिंह की मौत हो गई। इस पर पुलिस ने मामले को कत्ल में बदल दिया। इसके तहत 13 लोगों को नामजद कर नौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं ग्रामीणों द्वारा शुरू किया गया धरना शनिवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। प्रदर्शनकारियों द्वारा बाकी बचे आरोपितों को गिरफ्तार करने, मृतक के परिवार को दस लाख रुपये मुआवजा देने व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की गई।
चिट्टें नाम देकर गांव को किया जा रहा बदनाम: सरपंच
गांव के पूर्व सरपंच गमदूर सिंह, पूर्व अध्यक्ष बलवीर सिंह, राजदीप सिंह व हरदयाल सिंह मिट्ठू ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर इसे चिट्टा बेचने के बजाय मुर्गा चोरी का मामला बताया। उन्होंने कहा कि मामले का नशा तस्करी से कोई संबंध नहीं है। कुछ बाहरी लोगों द्वारा इसे चिट्टे का मामला बताकर गांव को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए वे परिवार के साथ हैं। पुलिस के दबाव में मुर्गा चोरी का मामला बना रहे: फौजी
भाकियू नेता बलविदर सिंह फौजी ने कहा कि यदि यह मुर्गा चोरी का मामला था तो पुलिस द्वारा मामले का तुरंत निपटारा करने की कोशिश क्यों नहीं की गई। उन्होंने कहा कि गांव के कुछ लोगों द्वारा की गई प्रेस कांफ्रेंस संघर्ष को कमजोर करने के लिए पुलिस के दबाव में की गई है।