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दसवीं में अरमानवीर टॉपर,गरीमा दूसरे,सहजदीप व नेहारिका ने पाया तीसरा स्थान

बुधवार को सीबीएसई द्वारा दसवीं का रिजल्ट घोषित किा गया। इसमें छात्रा अरमानवीर कौर ने 98.4 फीसद अंक प्राप्त करके जिले में पहला स्थान प्राप्त किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 11:34 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 06:15 AM (IST)
दसवीं में अरमानवीर टॉपर,गरीमा दूसरे,सहजदीप व नेहारिका ने पाया तीसरा स्थान
दसवीं में अरमानवीर टॉपर,गरीमा दूसरे,सहजदीप व नेहारिका ने पाया तीसरा स्थान

ज्योति बबेरवाल, बठिडा : बुधवार को सीबीएसई द्वारा दसवीं का रिजल्ट घोषित किा गया। इसमें छात्रा अरमानवीर कौर ने 98.4 फीसद अंक प्राप्त करके जिले में पहला स्थान प्राप्त किया। जबकि छात्रा गरिमा ने 98 फीसद अंक प्राप्त करके दूसरा स्थान प्राप्त किया। छात्रा सहजदीप सिंह व निहारिका ने 97.8 फीसदी अंक प्राप्त करके संयुक्त रूप में तीसरा स्थान प्राप्त किया। जिले के टॉपर चारों छात्रों ने साबित कर दिया कि अगर मेहनत व लगन के साथ पढ़ाई की जाए तो उसका फल मीठा ही होता है। चारों टॉपर्ज के परिवार वाले बहुत खुश हैं। जब से परिणाम घोषि तहुए हैं उनको बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। दोस्त व रिश्तेदार उनको फोन पर मुबारकवाद दे रहे हैं।

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इस बेहतरीन रिजल्ट का श्रेय चारों टॉपर अपनी मां को देते हैं। उनका कहना है कि परीक्षा के दौरान बेशक उन्होंने मेहनत की लेकिन उस मेहनत के लिए मोटीवेशन का काम उनकी मां ने किया। सुबह उसे पढ़ने के लिए उठाने, चाय-काफी देने से लेकर पढ़ने के लिए टाइमटेबल बनाकर देने का काम मां ने ही किया। वहीं जब सेहत के पक्ष से कमजोर होने लगे तो उनकी डाइट एक डाक्टर से बेहतर उनकी मां ने की व उनके मनोबल को ऊंचा किया। पिता ने उन्हें कभी डाटकर हताश किया तो मां ने हाथ थामकर उन्हें फिर से बूस्टअप किया व आज इसी का परिणाम है कि वह परिणाम में टॉप पर हैं। सेंट जेवियर स्कूल की अरमानवीर कौर ने 98.4 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। अरमानवीर कौर की मां परमिदर कौर व पिता गुरविदर सिंह पेशे से अध्यापक हैं।टॉपर बेटी के पिता गुरविदर सिंह ने बताया कि उनका समय ज्यादातर बच्चों की पढ़ाई में निकलता है। अरमानवीर उनकी इकलौती बेटी है, जोकि पढ़ाई में शुरू से काफी होशियार है, वहीं मां परमिदर कौर ने बताया कि वह सुबह उठकर अपनी बेटी को तैयार कर ट्यूशन भेजती है। इसके बाद स्कूल बेटी को स्कूल भेजकर वह भी स्कूल चली जाती है। स्कूल से आने के बाद वह अपनी बेटी का होमवर्क में मदद करती है। वह ज्यादा बेटी की सेल्फ स्टडी पर जोर देती है। जबकि अरमानवीर कौर ने बताया कि वह सोशल मीडिया से दूरी रहती है। उनकी कोशिश रहती है कि वह और अच्छा करें। वह एक इंजीनियर बनना चाहती है। इसलिए वह आगे नॉन मेडिकल लेंगी।

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मां की वजह से मैथ्स सीखा

सेंट जोसफ स्कूल की गरीमा बांसल ने जिले में 98 प्रतिशत अंक हासिल कर दूसरा स्थान प्राप्त किया है। गरीमा के माता इंदु बांसल पेश से अध्यापक है। वहीं पिता सुरिदरपाल कुमार एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर है। गरीमा ने बताया कि उनकी इस उपलब्धि का श्रय उनकी माता को जाता है, जिन्होंने उनका मैथ्स में काफी हेल्प की। गरीमा ने बताया कि उनको मैथ्स विषय में दिक्कत आती थी। उनकी मां स्कूल के बाद उनकी मैथ्स में उनकी मदद करती थी। जिसके बाद उनका मैथ्स विषय में पकड़ मजबूत हो गई है। गरीमा डाक्टर बनना चाहती है। वह डाक्टर बनकर गरीब लोगों की मदद करना चाहती है। गरीमा की मांग इंदु बांसल ने बताया कि उनकी बेटी पढ़ाई में काफी होशियार है। मेरे पति और मुझे अपनी बेटी पर बेहद गर्व है।

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मां ने हर समय साथ दिया - नेहारिका

सेंट जोसफ स्कूल की विद्यार्थी नेहारिका ने जिले में 97.8 प्रतिशत अंक लेकर तीसरा स्थान हासिल किया है। उन्हें इस बात का भरोसा नहीं हुआ। नेहारिका के पिता संजीव अग्रवाल पेशे से डाक्टर है, वहीं मां मीनू अग्रवाल हाउस वाइफ है। नेहारिका ने बताया कि उनकी मां बेशक एक एक हाउस वाइफ है, लेकिन उन्होंने हमेशा पढ़ाई में उनका स्पोर्ट किया है। वह एक पढ़ी लिखी ग्रहणि है। उनका सुबह से लेकर शाम तक घर व बच्चों में ही अधिक ध्यान जाता है। नेहारिका एक इंजीनियर बनना चाहती है। जिसमें उसके माता पिता उसका पूरा सहयोग दे रहे हैं। नेहारिका ने पहले ही नॉन मेडिकल विषय रख लिया है। नेहारिका ने बताया कि उनकी मां से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है। आज उनकी वजह से ही वह टॉपर बन पाई है।

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सेंट जेवियर स्कूल के विद्यार्थी सहजदीप सिंह ने भी 97.8 प्रतिशत अंक लेकर जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। सहजदीप सिंह का सपना आर्मी ऑफिसर बनने का है। उसके लिए वह अभी से ही दिन रात मेहनत कर रहा है। सहजदीप सिंह के पिता हरदेव सिंह व माता परमजीत कौर पेशे से सरकारी टीचर हैं। हरदेव सिंह ने बताया ज्यादा देखभाल सहज की मां ही करती है। वहीं सहजदीप सिंह ने बताया कि उनको अपनी मां से बहुत प्यार है। अगर किसी भी विषय में उनको दिक्कत आती है, तो उनकी मां ही उनकी मदद करती है। उनकी मां ने ही उनको इस काबिल बनाया है कि उन्होंने जिले में तीसरा स्थान हासिल किया है। वह आगे भी इस प्रकार अपनी उपलब्धियां इस प्रकार हासिल करेगा। सहज के माता पिता को उनके बेटे पर बहुत गर्व है। वहीं माता परमजीत कौर ने बताया उन्हों अपने बेटे पर पूरा भरोसा था। उसका बेटे उनके भरोसे पर खरा उतरा है।


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