कैंसर के इलाज के लिए भारतीय पारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान पर हो जोर
पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय में विश्व कैंसर दिवस पर कैंसर थेरेपी व इसकी रोकथाम में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका के विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी।
संस, बठिडा : पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूपीबी) में विश्व कैंसर दिवस पर कैंसर थेरेपी व इसकी रोकथाम में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका के विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी करवाया गया। इसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो. आरके कोहली ने की। कार्यक्रम का आयोजन जैव रसायन विभाग और ह्यूमन जेनेटिक्स एंड मॉलिक्यूलर मेडिसन विभाग द्वारा किया गया।
श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव कुमार, व अकादमिक मामलों के डीन डॉ. आशीष मेहता संगोष्ठी में मुख्य अतिथि रूप में भाग लिया। कार्यक्रम में सीयूपीबी संकाय सदस्यों व 200 से अधिक छात्रों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कैंसर के इलाज में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा के को खोजने के लिए सहयोगी और बहु-विषयक अनुसंधान की आवश्यकता पर जोर दिया। अकादमिक मामलों के डीन प्रो. पी रामाराव ने कार्यक्रम आयोजकों को बधाई दी और विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया। बलदेव ने आयुर्वेद की बुनियादी अवधारणाओं और रोग उपचार में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका पर बात की। उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आयुष विभाग के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
डॉ. सब्यसाची ने कहा, आयुर्वेद में वर्णित प्राकृत आधारित चिकित्सा प्रणाली व्यक्तिगत चिकित्सा की उपयोगिता की वकालत करती है, जो कि कैंसर और स्व-प्रतिरक्षित बीमारियों सहित कई मानव रोगों से लड़ने के लिए आधुनिक युग की आवश्यकता है। छात्रों ने भारतीय पारंपरिक दवाओं की अवधारणा को फैलाने के लिए विषयगत पोस्टर प्रस्तुत किए। अंत में आयोजकों ने दर्शकों को धन्यवाद दिया।