टीचर के टार्चर की दहशत, स्कूल का नाम सुन कांप जाते हैं मासूम भाई-बहन
बठिंडा के तलवंडी साबो के एक व्यक्ति न आरोप लगाया कि एक निजी स्कूल में पढ़ रहे उसके बेटे और बेटी को इस कदर टार्चर किया गया कि वे स्कूल जाने को तैयार नहीं हैं।
जेएनएन, बठिंडा। मेरे बच्चोंं को स्कूल टीचर ने इस कदर टार्चर किया कि वे अब किसी भी स्कूल जाने के नाम पर कांप जाते हैं। स्कूल टीचर के अमानवीय व्यवहार के कारण मेरे दोनों बच्चों का एक साल भी खराब हो गया। न्याय के लिए पिछले एक महीने से इधर उधर भाग रहा हूं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अब तक कहीं से इंसाफ नहीं मिला। यह व्यथा गांव सींगो निवासी राकेश कुमार ने बयां की। मामला तलवंडी साबो का है। दूसरी ओर, स्कूल ने इस तरह के आराेप को निराधार बताया है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है।
परिजनों का आरोप, टीचर की टार्चर से दहशत में आए बच्चे 22 जनवरी के बाद से नहीं जा रहे स्कूल
राकेश अपने दोनों बच्चों व परिजनों के साथ प्रेस क्लब में पहुंचे थे। राकेश ने बताया कि सींगो बस स्टैंड में उनकी करियाने की दुकान है। उनकी बेटी कुसुम रानी (12) तथा बेटा परवीन कुमार (10) तलवंडी साबो के नत रोड स्थित एक निजी स्कूल में सातवीं व छठी कक्षा के छात्र हैं। स्कूल की 18 हजार रुपये फीस वह दो किस्तों में जमा करा चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि डेढ़ महीने से स्कूल प्रिंसिपल के इशारे पर टीचर बलविंदर सिंह और आशिमा उसके दोनों बच्चों पर अमानवीय अत्याचार कर रहे हैं।
बच्चों के साथ बठिंडा के प्रेस क्लब में अपनी बात रखते अभिभावक।
फीस न जमा कराने की बात कह बेटे से किया अमानवीय व्यवहार
राकेश ने कहा कि डेढ़ महीना पहले टीचर ने उसकी बेटी को केवल इस बात को लेकर स्कूल ग्राउंड में तीन घंटे तक दौड़ने की सजा दी थी कि टेस्ट में उसके नंबर कम आए थे। कुसुम का कहना था कि टीचर उसे दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक दौड़ने की सजा सुनाती थी। ऐसा लगातार पांच बार हुआ।
यह भी पढ़ें: चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट: शहीद भगत सिंह के नाम पर बन सकती है सहमति
टेस्ट में नंबर कम आने पर बेटी को पांच बार तीन घंटे तक दौड़ाया
राकेश ने कहा कि गत 22 जनवरी को टीचर ने उसके बेटे यह कह कर ठंडे फर्श पर बैठने की सजा दी कि उसके पिता ने स्कूल फीस जमा नहीं कराई है। सर्दी लगने से परवीन को बुखार हो गया। स्कूल वैन चलाने वाले ड्राइवर ने राकेश को सारी स्थिति से अवगत कराया। 22 जनवरी के बाद दोनों बच्चे स्कूल नहीं जा रहे। दोनोंं ने फाइनल पेपर भी नहीं दिए, जिससे उनका साल खराब हो गया।
मिलने गए तो प्रिंसिपल ने कहा बुरा-भला
राकेश का आरोप है कि मामले का पता चलने पर वह कुछ सम्मानित लोगोंं को साथ लेकर प्रिंसिपल से मिले तो प्रिसिपल ने कहा कि जब तक वह फीस जमा नहीं कराएंगे, तब तक ऐसा ही चलता रहेगा। उन्हें जलील करके स्कूल से बाहर निकाल दिया गया। इसके बाद उन्होंने मामले की शिकायत थाना तलवंडी साबो, डीएसपी तलवंडी साबो तथा डीओ आफिस को दी है।
------
' आरोप निराधार, बेवजह बदनाम किया जा रहा'
'' सभी आरोप निराधार है, स्कूल को बिना वजह बदनाम किया जा रहा है। स्कूल की ओर से 50 छात्रों को निशुल्क पढ़ाया जाता है लेकिन उनसे सालाना 2 हजार रुपये फीस ली जाती है। पहले साल में उक्त फीस राकेश ने जमा करा दी थी। पिछले साल उसने वह फीस भी माफ करने के लिए अर्जी दी थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया था। इस साल उसने न तो दो हजार रुपये जमा कराए और न ही अर्जी दी। वह स्कूल के खिलाफ कई जगह शिकायतें दे चुके हैं। लेकिन सभी अधिकारियों ने उन्हें रद कर दिया। आज डीसी आफिस में पेशी थी। उसका भी दो दिन में फैसला आ जाएगा। बच्चों को टार्चर करने वाले आरोप में कोई सच्चाई नहीं है।
-एसके शर्मा, स्कूल प्रिंसिपल।
मामले की जांच जारी : डीएसपी
तलवंडी साबो के डीएसपी सुरिंदर कुमार का कहना है कि मामला फीस के पैसे को लेकर है। स्कूल वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार हैं, लेकिन अभिभावक जिद पर अड़े हैं। इसके बावजूद मामले की जांच की जा रही है।