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संशोधित कापी..अस्थी गृह के लॉकर भरे, छत की हुक व रोशनदान तक पहुंची अस्थियां

देश भर में लॉकडाउन और राज्य में क‌र्फ्यू के कारण मृतकों की अस्थियों को जलप्रवाह कर पाना मुश्किल हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Apr 2020 11:56 PM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 06:04 AM (IST)
संशोधित कापी..अस्थी गृह के लॉकर भरे, छत की हुक व रोशनदान तक पहुंची अस्थियां
संशोधित कापी..अस्थी गृह के लॉकर भरे, छत की हुक व रोशनदान तक पहुंची अस्थियां

सुभाष चंद्र, बठिडा

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देश भर में लॉकडाउन और राज्य में क‌र्फ्यू के कारण मृतकों की अस्थियों को जलप्रवाह कर पाना मुश्किल हो गया है। लगभग सभी लोग अपने मृत पारिवारिक सदस्यों की अस्थियां श्मशानघाटों में ही रखे हुए हैं।

लोग जलप्रवाह करने के लिए क‌र्फ्यू एवं लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन कुछ लोग खेतों में भी अस्थियां दबा रहे हैं या फिर अपने आसपास की नहर में जल प्रवाह कर रहे हैं। राज्य के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने अपनी मां की अस्थियां खेत में ही दबाई हैं। लेकिन महानगर के नई दाना मंडी में स्थित मुख्य रामबाग के अस्थी गृह के तमाम लॉकर फुल हो गए हैं और अब अस्थियां अस्थी गृह के रोशनदान या फिर छत के पंखे की हुक पर टांगने लगे हैं। अब रामबाग के प्रबंधकों ने अस्थी गृह में ताबूत रख दिया है, ताकि अस्थियों की पोटली पर नाम लिखकर उसमें खुला ही रखा जा सके।

लॉकर भरने की पहली बार पैदा हुई स्थिति

रामबाग के क्लर्क आकाश ने बताया कि अस्थी गृह में लगभग 100 लॉकर हैं। श्मशानघाट में हर रोज औसतन तीन लोगों का संस्कार होता है। बीती 22 मार्च से लेकर अब तक करीब 40 लोगों का संस्कार हो चुका है। करीब सभी मृतकों की अस्थियां अस्थी गृह में रखी हुई हैं। कोई इक्का-दुक्का लोग ही लेकर गए हैं। जिन लोगों ने अपनी आस्था के अनुसार कीरतपुर, हरिद्वार या फिर अयोध्या में अस्थियां जलप्रवाह करनी हैं, उनकी यहीं लॉकरों में ही रखी हुई है। परंतु अब सभी लॉकर अस्थियों से भर चुके हैं। अब अस्थियों की पोटली पर नाम लिखकर अस्थी गृह में जहां भी जगह है, वहां रखा जाने लगा है। अस्थी गृह में एक ताबूत भी रख दिया है। उसमें भी अस्थियों को रखा जाएगा। ऐसी स्थिति पहली बार बनी है, जब अस्थी गृह के लॉकर कम पड़े गए हों। इससे पहले ऐसी कभी दिक्कत नहीं आई। हालात सामान्य होने पर अयोध्या लेकर जाएंगे अस्थियां

डीएवी कॉलेज के निकट स्थित श्मशानघाट के सेवादार रामू ने बताया कि अस्थियां लॉकरों में ही रखी जा रही हैं। लेकिन कुछ लोग अस्थियां लेकर भी जा रहे हैं, ताकि उन्हें अपने घर के आसपास पेड़ पर टांगा जा सके। कुछ लोग खेत में भी दबा रहे हैं या फिर शहर की नहर में बहा रहे हैं। जब से राज्य में क‌र्फ्यू लगा है, तबसे से इस श्मशानघाट में 18 लोगों का संस्कार हुआ है।

शनिवार को अपने 75 वर्षीय पिता रामफेर का संस्कार करके लौट रहे उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के मूल निवासी विनोद कुमार ने बताया कि वह अस्थियां श्मशानघाट से ले जाएंगे। वह ग्रीन सिटी रोड पर रहते हैं। अस्थियां घर के पास पेड़ पर टांग देंगे। वह अपने पिता की अस्थियां अयोध्या में जलप्रवाह करेंगे। जब भी हालात सामान्य होंगे तो यहां से ले जाएंगे। फिलहाल तो जाने के लिए कोई साधन है नहीं है।


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