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किसान संगठनों का भाजपा को खुला चैलेंज, गांव में आकर दिखाएं भाजपाई

भाजपा लीडरशिप के आदेशों पर गांवों में आकर किसानों को विधेयक के प्रति समझाकर दिखाएं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 09:53 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 05:03 AM (IST)
किसान संगठनों का भाजपा को खुला चैलेंज, गांव में आकर दिखाएं भाजपाई
किसान संगठनों का भाजपा को खुला चैलेंज, गांव में आकर दिखाएं भाजपाई

गुरप्रेम लहरी, बठिडा : किसान संगठनों ने भाजपा को खुला चैलेंज दिया है कि वह भाजपा लीडरशिप के आदेशों पर गांवों में आकर किसानों को विधेयक के प्रति समझाकर दिखाएं। किसान नेताओं ने कहा कि अगर कोई भाजपा नेता गांवों में आकर किसानों को गुमराह करने की कोशिश करेंगे तो उनका विरोध किया जाएगा और उनको गांवों में घुसने नहीं दिया जाएगा। किसान नेताओं का कहना है कि एक अक्टूबर से सभी किसान व मजदूर संगठन भाजपा नेताओं के घरों का घेराव करेंगे और उनसे इस बिल पर बहस करेंगे। किसान नेताओं ने दावा किया कि 31 किसान व मजदूर संगठनों द्वारा यह फैसला लिया गया है कि भाजपा नेताओं के घरों का घेराव करने के अलावा एक अक्टूबर से पूरे प्रदेश में रेल का चक्का जाम किया जाएगा।

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भारतीय किसान यूनियन उग्राहां के प्रदेश महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने कहा कि किसान संगठनों के संघर्ष को सभी वर्ग के लोगों से उम्मीद से ज्यादा समर्थन मिल रहा है। भाजपा लीडरशिप द्वारा पंजाब में भाजपा के नेताओं को जो लक्ष्य दिया गया है कि वह किसानों को जाकर समझाएं कि यह विधेयक कैसे उनके पक्ष में है, हम भाजपा नेताओं को चार दिन का समय दे रहे हैं कि वह गांव में आएं और समझाएं। अगर वह गांव में आए तो उनका घेराव किया जाएगा और जमकर विरोध किया जाएगा। एक अक्टूबर से हम उन तक पहुंच करेंगे कि आपको आने की जरूरत नहीं हम खुद आपके घर तक पहुंच रहे हैं। हमें समझाएं, हम उनके साथ सार्थक बहस करेंगे।

भारतीय किसान यूनियन के सीनियर उप प्रधान झंडा सिंह जेठूके ने कहा कि 31 किसान-मजदूर संगठनों ने यह फैसला किया है कि भाजपा नेताओं के घरों का घेराव किया जाएगा और एक अक्टूबर से रेल जाम की जाएगी।

भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के जिला महासचिव रेशम सिंह यात्री ने कहा कि शनिवार को इस सबंध में लुधियाना में बैठक थी। रविवार को दोबारा से 31 संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक आयोजित की जा रही है। इसमें एक अक्टूबर से भाजपा नेताओं के घेराव व रेलवे का जाम पर चर्चा की जाएगी। भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के प्रदेश महासचिव काका सिंह कोटड़ा ने कहा कि अब लड़ाई आर-पार की होगी। अगर कांग्रेस सरकार दिल से किसानों के साथ है तो वह विधानसभा का विशेष सेशन बुलाकर इस कानून का विरोध करने का मत पारित करे। इसके बाद केंद्र सरकार अदालत में जाएगी तो हम ग्राम सभाओं से मत पारित कराकर अदालत में केस लड़ेंगे।

अकाली दल व कांग्रेस हुई सीधी : कोकरी किसान नेता सुखदेव सिंह कोकरी ने कहा कि पहले तो अकाली दल व कांग्रेस दोनों ही किसान विरोधी थे। लेकिन इस प्रदर्शन के दौरान अकाली दल किसानों के पक्ष में आ गया है। उनके द्वारा किसानों के पक्ष में धरने भी लगाए गए हैं। कांग्रेस सरकार पहले किसानों को प्रदर्शन करने से रोक रही थी। उन्होंने धारा 144 लगा दी और किसानों पर केस दर्ज किये। लेकिन किसानों के रोष के आगे उनको भी घुटने टेकने पड़े और दर्ज किए केस रद करने पड़े। अब लड़ाई सिर्फ भाजपा के साथ है। भाजपा किसान विरोधी कानून बनाकर अब भाजपाइयों को गांवों में भेज कर किसानों को गुमराह करने की फिराक में है। जो किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा।


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