लोगों के मनोरंजन का साधन बीड़ तालाब चिड़ियाघर अब हर रविवार रहता है शांत
22 मार्च से पहले लोगों के लिए मनोरंजन का साधन रहने वाला बीड़ तलाब चिड़ियाघर अब खाली पड़ा है।
जासं, बठिडा : 22 मार्च से पहले लोगों के लिए मनोरंजन का साधन रहने वाला बीड़ तलाब चिड़ियाघर अब खाली पड़ा है। जबकि लोग अपने परिवारों के साथ हर शनिवार व रविवार को यहां पर पिकनिक मनाने के अलावा बच्चों को घुमाने के लिए लेकर आते थे। लेकिन अब यह बंद पड़ा है तो इसके साथ सरकार की आमदन तो प्रभावित हो ही रही है, साथ ही में लोगों के लिए मनोरंजन के साधन भी कम हो गए हैं। जबकि रविवार को यहां पर बच्चे काफी आनंद लेते थे।
बठिडा के मिनी जू कम डियर सफारी के लिए हर हफ्ते 1 हजार के करीब टिकटों की बिक्री होती थी। मगर अब 22 मार्च से लॉकडाउन के कारण यह बंद ही पड़ा है। जबकि अमेरिका में एक तेदुएं के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद यहां पर सुरक्षा को काफी बढ़ा दिया गया है। वहीं जू में सोमवार से शुक्रवार तक तो रोजाना 50 से 60 टिकट ही बिकते थे। लेकिन शनिवार व रविवार को यहां पर टिकटों की बिक्री 400 से भी बढ़ जाती थी। इसके अलावा डियर सफारी के लिए अलग से 30 रुपये टिकेट है। इसमें एक बात यह भी है कि तेदुएं के आने से पहले तो यहां पर शनिवार व रविवार को भी बहुत ही कम लोग आते थे। मगर अब लोगों की गिनती काफी बढ़ गई थी।
दूसरी तरफ बीड़ तलाब स्थित मिनी जून में टाइगर सफारी बनाने की चल रही योजना को एक बार फिर से शुरू करने की तैयारी हो गई है। इसके लिए फाइलों को तैयार कर मंजूरी के लिए चंडीगढ़ छत्तबीड़ जू में भेज दिया गया है। हालांकि 2017 में मिनी जू में टाइगर सफारी का प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका था तो लोगों को आकर्षित करने के लिए तेंदुए लाए गए थे। उस समय दो मेल व एक फीमेल तेंदुए को लाया गया था। मगर कुछ समय पहले फीमेल तेदूंए की मौत हो गई तो उसकी जगह पर जंगल से मेल तेंदुए ही लाया गया। इसके बाद बीड़ तलाब मिनी जू में लोगों का आना जाना काफी बढ़ गया। वहीं अब टाइगर सफारी बनाने की तैयारी की जा रही है। बजट पास होते ही काम शुरू हो जाएगा। इसके बनने पर विभाग को उम्मीद है कि जू में ओर भी दर्शक आएंगे।
इसके अलावा मिनी जू में फिलहाल तीन मेल तेदुंए होने के बाद अब फीमेल तेंदुए को लेकर आने की भी तैयारी हो गई है। इसके लिए छत्तबीड़ जू चंडीगढ़ से मंजूरी भी मिल गई है। जिसको बठिडा में लेकर आने के लिए अब ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। इसके बाद यहां पर चार तेंदुए हो जाएंगे। इसके अलावा बीड़ तलाब जू में ईमू, उल्लू, बजरीगर, मोर, बंदर, तोते, कबूतर जैसे जानवर हैं। वहीं डियर सफारी अलग से बनाई गई है। यहां पर विभिन्न नस्लों के 234 हिरण हैं, जिनको सफारी में खुला छोड़ा गया है। जबकि इसकी अलग से टिकट लगती है। इनको देखने के लिए टॉय ट्रेन से घुमाया जाता है। यहां तक कि हर जानवर की खुराक भी अलग अलग है। इसमें अकेले तेंदुए ही हर रोज 12 किलो मास खाते हैं। इसको सहारनपुर से मंगवाया जाता है। यहीं नहीं वहीं अब टाइगर सफारी बनने के बाद विभाग को उम्मीद है कि दर्शक काफी बढ़ जाएंगे। जबकि टाइगर सफारी को ओपन बनाया जाएगा, जिसमें घूमने के लिए लोगों को एक कवर वैन में बिठाकर घुमाया जाएगा। इसको लेकर डीएफओ स्वर्ण सिंह का कहना है कि जू में टाइगर सफारी के लिए काम चल रहा है, जिसकी मंजूरी मिलने के बाद ही प्रोजेक्ट को शुरू कर दिया जाएगा। बजट के अभाव से रुका टाइगर सफारी का प्रोजेक्ट बजट के अभाव से बीड़ तालाब के मिनी जू में टाइगर सफारी का प्रोजेक्ट कई सालों से लटक रहा है। जबकि वन विभाग ने मिनी जू में टाइगर सफारी व अन्य जंगली जानवर लाने के लिए राज्य सरकार वे केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) को प्रस्ताव भेजा था। सीजेडए ने 9 दिसंबर, 2014 को दिल्ली में विशेषज्ञ समिति ने टाइगर सफारी व अन्य जानवर लाने के प्रोजेक्ट प्रस्तुतिकरण देखा था। इसके बाद विशेषज्ञ समिति ने सभी जरूरतों, जमीन व संसाधनों की उपलब्धता को देखते हुए बठिडा में टाइगर सफारी व लेपर्ड रखने की स्वीकृति दे दी थी। वहीं वन विभाग ने टाइगर सफारी व लेपर्ड रखने के लिए राज्य सरकार को 12 करोड़ रुपये बजट देने का प्रस्ताव भेजा था। वन विभाग की तरफ बीड़ तालाब मिनी जू में सफारी व लेपर्ड के पिजरे बनाने के लिए लेआउट प्लान व डिजाइन तैयार करवाया था। विभाग ने अप्रैल, 2015 में बजट देने के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर बीडीए को लिखा। बीडीए ने बजट उपलब्ध करवाया, लेकिन इससे टाइगर लाना अधर में रह गया। फिर राज्य सरकार ने लेपर्ड के लिए 80 लाख रुपये स्वीकृत कर दिए।