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मनरेगा वर्करों - दिग्गज नेताओं के गांवों में भी नहीं मिला100 दिन रोजगारे

चित्र- जागरण संवाददाता बठिडा लोकसभा चुनाव मैदान में जनता के हितैषी बताने वाले उम्मीदवारों पर उस समय सवाल खड़े हो गए जब नरेगा वर्कर यूनियन के प्रधान जय सिंह ने उक्त उम्मीदवारों के गांवों या ब्लॉकों में ही नरेगा मुलाजिमों को सिर्फ 100 में से

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 08:24 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 06:28 AM (IST)
मनरेगा वर्करों - दिग्गज नेताओं के गांवों में भी नहीं मिला100 दिन रोजगारे
मनरेगा वर्करों - दिग्गज नेताओं के गांवों में भी नहीं मिला100 दिन रोजगारे

जागरण संवाददाता, बठिडा : लोकसभा चुनाव मैदान में जनता के हितैषी बताने वाले उम्मीदवारों पर उस समय सवाल खड़े हो गए, जब मनरेगा वर्कर यूनियन के प्रधान जय सिंह ने उक्त उम्मीदवारों के गांवों या ब्लॉकों में ही मनरेगा मुलाजिमों को सिर्फ 100 में से 8 दिन ही रोजगार मिलने की बात बोलकर सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया। बठिडा प्रेस क्लब में प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान प्रधान जय सिंह ने मनरेगा वर्कर यूनियन का रिपोर्ट कार्ड जारी कर यह दावा किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण बेजमीन लोगों की बढ़ती निराशा व गुस्से को देखते हुए मनमोहन सिंह सरकार ने मनरेगा 2005 में शुरू की। इसके साथ गांवों में बसने वाले लोगों के लिए 100 दिन का रोजगार यकीनी बनाया गया। वहीं कैप्टन सरकार ने सत्ता में वापिस आने पर मनरेगा को सुचारू ढंग के साथ लागू करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने यह भी बताया कि कैप्टन अमरिदर सिंह को मुख्यमंत्री बने हुए दो साल हो चुके हैं व दूसरे उम्मीदवार भी गरीब के हिमायती होने का दावा कर रहे हैं। मगर वह इस रिपोर्ट कार्ड के जरिए लोगों को बताना चाहते हैं कि उनके उम्मीदवारों का लोगों के लिए बनाई योजनाओं की तरफ कितना ध्यान है। उनके द्वारा प्रत्याशियों की जानकारी इस प्रकार से दी गई है।

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केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल व अकाली भाजपा प्रत्याशी हरसिमरत कौर बादल के गांव बादल में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शिअद प्रधान व पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल, वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल, पूर्व सांसद गुरदास सिंह बादल आदि बड़ी राजनीतिक शख्सियतें रहती है। गांव में 322 मजदूरों के जॉब कार्ड हैं। साल 2018-19 के 31 मार्च तक मनरेगा योजना तहत कुल 1838 दिन का रोजगार मिला। औसत प्रति परिवार को कुल 23 दिन का रोजगार मिला। गांव में कोई भी मजदूर ऐसा नहीं है, जिसको 100 दिन का रेाजगार मिला हो। किसी को भी बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया गया। लंबी ब्लॉक में मनरेगा तहत 34,174 मजदूर व 18,596 परिवार दर्ज हैं। इन परिवारों को साल में लगभग 26 दिनों का रोजगार मिला। ब्लॉक में कुल 1,50,515 दिन का रोजगार मिला। साल में हर परिवार 8 दिन का रोजगार ही एक परिवार के हिस्से आया।

गिदड़बाहा हल्के के विधायक व कांग्रेस प्रत्याशी अमरिदर सिंह राजा वडिग के अपने गांव वडिग में मनरेगा जॉब कार्ड प्राप्त 394 मजदूर हैं। एक साल में कुल 6058 दिन का रोजगार मिला। औसत प्रति परिवार को 15 दिन का रोजगार मिला। जबकि 100 दिन का रोजगार एक भी मजदूर को नहीं मिला और न ही किसी मजदूर को बेरोजगारी भत्ता मिला। ब्लॉक गिदड़बाहा में मनरेगा मजदूरों की कुल संख्या 40,604 व परिवारों की संख्या 20,093 है। केवल 56 परिवारों को 100 दिन का रोजगार मिला। ब्लॉक में कुल 3,48,773 दिन का रोजगार मिला। साल में हर परिवार के हिस्सा 17 दिन का रोजगार ही आया, जबकि प्रति मजदूर को एक साल में 8 दिन ही रोजगार मिला।

तलवंडी साबो की मौजूदा विधायक बलजिदर कौर के गांव जग्गा रामतीर्थ में मनरेगा जॉबा कार्ड प्राप्त 403 मजदूर है। एक साल में गांव में कुल 1838 दिन का रोजगार मिला। औसत प्रति परिवार को 4 दिन का रोजगार मिला। जबकि 100 दिन का रोजगार एक भी मजदूर को नहीं मिला और न ही किसी मजदूर को बेरोजगारी भत्ता मिला है। ब्लॉक तलवंडी में मनरेगा मजदूरों की कुल संख्या 29,764 व परिवारों की संख्या 15,917 है। जबकि केवल 14 परिवारों को 100 दिन का रोजगार प्राप्त हुआ। ब्लॉक में कुल 2,01,000 दिन का रोजगार तय किया। वहीं साल में प्रति परिवार 12 दिन का रोजगार ही एक परिवार के हिस्से आया, जबकि हर पंजीकृत मजदूर को एक साल में 6 दिन ही रोजगार प्राप्त हुआ।


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