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बैंक कर्मियों ने विलय के विरोध में दिया धरना

देशव्यापी हड़ताल के आह्वान पर बठिडा में भी एक दिन की हड़ताल की गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 05:52 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 05:52 PM (IST)
बैंक कर्मियों ने विलय के विरोध में दिया धरना
बैंक कर्मियों ने विलय के विरोध में दिया धरना

जासं, बठिडा : ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन व बैंक इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से देशव्यापी हड़ताल के आह्वान पर बठिडा में भी एक दिन की हड़ताल की गई। इस दौरान बैंक कर्मचारियों द्वारा बैंकों का विलय करने व खराब ऋणों की वसूली न करने के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। इसके लिए पंजाब नेशनल बैंक के पंजाब मॉडल टाउन सर्कल ऑफिस के सामने कर्मचारियों द्वारा धरना दिया गया। वहीं बैंक मुलाजिमों की हड़ताल के कारण बैंकों में कोई भी काम नहीं हो सका, जिसके चलते न तो क्लियरिग का काम हो सका न ही बैंकों में कैश जमा हो सका। जबकि इस हड़ताल में एसबीआई बैंक को छोड़कर अन्य सभी सरकारी बैंक शामिल हुए।

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इस दौरान फेडरेशन के उप प्रधान कामरेड पवन जिदल ने कहा कि केंद्र सरकार जिन पब्लिक सेक्टर के बैंकों को बंद करने जा रही है। इनमें इलाहाबाद बैंक 154 साल, आंध्र बैंक का 96 साल, कारपोरेशन बैंक 113 साल, ओरिएंटल बैंक 76 साल, सिडीकेट बैंक 9 साल व यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया 69 साल पुराना है। जबकि मोदी सरकार ने अपने 100 दिन का प्रदर्शन दिखाने के लिए 100 वर्ष पुराने बैंकों का खत्म करने का निर्णय लिया। मगर यह सभी बैंक सर्वोत्तम ग्राहक सेवा प्रदान कर रहे हैं। इसी के रोष में बैंक कर्मचारी ही नहीं, बल्कि आम जनता भी वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा 30 अगस्त को घोषित छह बैंकों के मर्जर पर अपना रोष व्यक्त कर रही है।

उन्होंने बताया कि पब्लिक सेक्टर बैंकों ने चालू वित्त वर्ष के अंत तक 1,50,000 करोड़ का मुनाफा कमाया है। मगर खराब ऋणों पर 2,16,000 करोड़ का प्रावधान करने से बैंकों को 66 हजार करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा। जबकि एसबीआई में भी विलय के बाद 7000 ब्रांच बंद हुई हैं व वहां एनपीए भी ज्यादा हो गया है। इस दौरान प्रधान कामरेड केके सिगला ने कहा कि अमेरिका के बैंक के संकट के बाद बड़े बैंक ताश के पत्तों की तरह ढह गए हैं।

इस मौके पर चरणजीत शर्मा, प्रेमभूषण अरोड़ा, राजेंद्र कुमार, मनमीत सिंह, जितेंद्र गर्ग, राकेश कुमार आदि ने भी संबोधित किया।


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